नई दिल्ली। अब अगर आपको एलपीजी गैस सब्सिडी चाहिए, तो हर साल आपको डीलर के पास इनकम टैक्स (आईटी) रिटर्न की कॉपी जमा करानी होगी। पेट्रोलियम मिनिस्ट्री ने इस बारे में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को प्रस्ताव भेजा है। इसे लागू करने के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 138 में संशोधन किया जा सकता है।

आखिर क्यों बदलेगा…
– मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने एलपीजी पर सब्सिडी छोड़ने के लिए ‘गिवइटअप’ स्कीम लॉन्च की थी। – सरकार को इस पहल का उम्‍मीद के मुताबिक रिस्पॉन्स नहीं मिल सका। इसे देखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) ने कहा है कि पेट्रोलियम मंत्रालय के पास भी इनकम टैक्स चुकाने वालों की लिस्ट भेजी जाए। इससे मंत्रालय उन लोगों के नाम छांट सकेगा, जिनकी इनकम 10 लाख रुपए सालाना से ज्यादा है।

– पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने 10 लाख से अधिक इनकम ग्रुप के टैक्‍सपेयर्स को गैस सब्सिडी नहीं देने का एलान किया था। इस स्‍कीम को जनवरी 2016 से ‘सेल्‍फ डिक्लेरेशन बेसिस’ पर लागू करना था। मार्च 2015 से अब तक करीब 70 लाख लोगों ने एलपीजी गैस सब्सिडी छोड़ी है।

सब्सिडी पॉलिसी बदलने से क्‍या होगा?

– मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक सब्‍सक्राइबर्स को अपने इनकम का ब्‍योरा ऑयल मार्केटिंग कंपनी को देना होता था। इससे ज्‍यादातर सब्‍सक्राइबर्स ऑयल कंपनियों को सही जानकारी नहीं देते हैं। जिस परिवार की सालाना इनकम 10 लाख रुपए से अधिक थी, वे भी गैस सब्सिडी ले रहे हैं।

– नए नियम से ऑयल मार्केटिंग कंपनियां सब्‍सक्राइर्ब्‍स का ब्‍योरा डायरेक्‍ट सीबीडीटी से लेंगी। इससे कंपनी को आसानी से पता होगा कौन-सा सब्‍सक्राइबर्स किस इनकम ग्रुप का है और किसको सब्सिडी दिया जाए या नहीं दिया जाए, यह ऑयल कंपनी आसानी से फैसला कर सकेगी।