सोना खरीदने से पहले जरुर पढ़ें ये खबर, नहीं मिल रहा है PURE गोल्ड!



नई दिल्ली। संसद की एक समिति के अनुसार देश में सोने की गुणवत्ता की जांच किए बिना ही अब भी हॉलमार्किंग की मुहर लगा दी जाती है और उपभोक्ता ऐसे ही गहने खरीदने को मजबूर होते हैं। खाद्य, उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण से संबंधित स्थाई संसदीय समिति ने बहुमूल्य पीली धातु की हॉलमार्किंग की स्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए हॉलमार्किंग केन्द्रों के कामकाज की एक स्वतंत्र बाहरी एजेंसी से मूल्यांकन कराने तथा उसके सुझावों के अनुसार उनकी कार्यशैली में बदलाव लाने की सिफारिश की है।
समिति ने इसी सप्ताह सदन में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हालमार्किंग की योजना अच्छी है और उपभोक्ता विभाग द्वारा इसके उचित क्रियान्वयन की आवश्यकता है। समिति ने हॉलमार्किंग में असंतोषजनक कामकाज पर चिन्ता व्यक्त करते हुये कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस योजना के शुरू होने के बाद भी सोने की खरीद करने वाले उपभोक्ताओं को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ है।

वरिष्ठ सांसद जे सी दिवाकर रेड्डी की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा है कि गत वर्ष राजस्थान के उदयपुर के अध्ययन दौरे के समय समिति ने पाया कि सोने पर हालमार्क की मुहर लगाने के पूर्व उसकी समुचित जांच नहीं की जाती है। भारतीय मानक ब्यूरो तथा उपभोक्ता विभाग को सोने पर हॉलमार्क की मुहर लगाने के पूर्व उसकी गुणवत्ता की जांच सुनिश्चित किये जाने की जरूरत है। इस योजना की समुचित निगरानी और केन्द्रों से नमूने लेकर नियमित जांच आवश्यक है।
समिति का विचार है कि उपभोक्ताओं को हॉलमार्क का लाभ सोना खरीदते समय ही नहीं, बल्कि बेचते समय भी मिलना चाहिये। ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान में सोना वापस बेचने वाले लोगों को कोई फायदा नहीं होता है क्योंकि उसे हॉलमार्क और गैर हालमार्क दोनों प्रकार के सोने का बराबर मूल्य मिलता है। समिति ने कहा है कि उपभोक्ता मामलों के विभाग हालमार्किंग योजना के कामकाज की समीक्षा करे तथा इसमें सुधार के लिये आवश्यक कदम उठाये। समिति के इस सवाल पर कि क्या सभी व्यापारी हॉलमार्किंग केन्द्रों पर पहुंच रहे हैं, उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव ने समिति को बताया कि वह हैदराबाद केन्द्र में गये थे और वह ठीक से काम कर रहा था। बाकी केन्द्रो की जानकारी उन्हें नहीं है । समिति का मानना है कि इस समय में देश में काम कर रहे 373 हॉलमार्किंग केन्द्र उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं को पूरा करने में अक्षम है। हालमार्किंग योजना के दो घटक हैं अवसंरचना निर्माण और क्षमता निर्माण। अवसंरचना निर्माण के तहत जहां स्वर्ण हॉलमार्किंग केन्द्र नहीं हैं वहां इस केन्द्र की स्थापना के लिये निजी उदमियों को एक बार 30 प्रतिशत तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को 50 प्रतिशत की वित्तीय सहायता दी जाती है। क्षमता निर्माण के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाते हैं।