परिषद प्रशासन जहां इन कार्यों को रोकने के पीछे प्राथमिकता को आधार बता रहा है। वहीं स्थानीय पार्षद इसे राजनीतिक द्वेषता का कारण बता रहे हैं। कारण भले ही कुछ भी हो, काम नहीं होने से आमजन परेशान है।नगर परिषद क्षेत्र में ये हालात छह माह से दो साल तक कार्यादेश जारी नहीं करने की बात सामने आई है। राजस्थान पत्रिका के हाथ एेसे कार्यों की सूची लगी है, जिनके टैंडर करीब छह माह और कइयों के तो तीन साल पहले हो चुके हैं। लेकिन परिषद के सर्वोच्च नेतृत्व ने इन कार्यों को रुकवा दिया। इसके पीछे कारण भले कुछ भी रहे हो, लेकिन भुगत तो जनता ही रही है। कई कार्य आमजन के सड़कों और नाली निर्माण के हैं। यह आधारभूत कार्य कई सालों से अटके पड़े हैं। वहीं दूसरी ओर एेसे कार्य भी हैं जो आवश्यक बता कर बिना टेंडर ही शुरू कर दिए गए हैं।

... और यहां विरोध के बावजूद कार्य 

एक ओर तो टैंडर वाले कार्य रोके गए हैं, वहीं दूसरी ओर मस्तान बाबा क्षेत्र में डिवाइडर निर्माण जैसे कार्य जो कि लोगों के विरोध के बावजूद करवाए जा रहे हैं। कार्य पहले शुरू कर दिया गया और बाद में इसके टैंडर प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

कार्यादेश जारी, कार्य अटके

बजरंग नगर में एक लाख से अधिक लागत का सीमेंट सड़क सुधार कार्य। साढ़े तीन साल पहले कार्यादेश जारी हुआ, कार्य पूरा नहीं हुआ।  वार्ड 33 उद्यान विकास कार्य  एक लाख 89 हजार में होना था। अगस्त 2015 में कार्यादेश हुआ, लेकिन कार्य पूरा नहीं हुआ।

 इसी वार्ड में एक बार फिर उद्यान विकास कार्य का कार्यादेश अक्टूबर 2015 में हुआ। इस प्रकार लागत 2 लाख 76 हजार रखी गई।

इनके टैंडर के कार्य ही रोक दिए

वार्ड संख्या 33 में 15 लाख की लागत से सड़क निर्माण होना था। टैंडर हो गए, कार्यादेश जारी नहीं हुआ।  नाली निर्माण के लिए दो अलग-अलग स्थान पर 15 लाख से अधिक के टैंडर किए गए। कार्यादेश का अब भी इंतजार। बांगड़ अस्पताल में मोर्चरी व आईसीयू सेंटर तक सड़क निर्माण कार्य के कार्यादेश का इंतजार है।  टैंडर जारी करने के बाद कार्यादेश जारी नहीं करने की बात तो राजनीति से प्रेरित लगती है। आमजन के काम अटकते हैं तो वे हम से जवाब मांगते हैं। ऐसे में परेशानी होती है। परिषद प्रबंधन को चाहिए कि बिना पक्षपात निष्पक्ष रूप से विकास कार्य करवाए।