जयपुर। राजस्थान में स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रमों से पंडित नेहरू का नाम हटाए जाने को लेकर सियासी बयानबाज़ियों आ सिलसिला शुरू हो गया है।  इस सम्बन्ध में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार को कटघरे में लेते हुए निशाना साधा है। गहलोत ने राज्य में स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम से पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम हटाए जाने की निन्दा की है। उन्होंने कहा है कि स्कूली पाठ्य पुस्तकों से इतिहास पुरूष राष्ट्र निर्माताओं का नाम हटाने वाली सरकारें खुद हट जाती हैं, लेकिन इतिहास का सच नहीं मिटता। एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर गहलोत ने कहा है कि आधुनिक भारत के निर्माता, असहयोग आन्दोलन से भारत छोड़ो आन्दोलन तक जेल जाने वाले दस साल से भी ज़्यादा तक अंग्रेजी हुकूमत की कैद काटने वाले पं. नेहरू का नाम स्कूली पाठ्य पुस्तकों से हटा देने का राजस्थान सरकार का कृत्य शर्मनाक है।

उन्होंने कहा कि संघर्ष के गौरवपूर्ण इतिहास में जो आरएसएस अपनी जगह नहीं बना सका, उसकी सरकार नेहरू को पाठ्यक्रम से निकाल कर जो पाप कर रही है, उन्हें सबक जनता सिखायेगी। इतिहास आइना होता है और आइने में जिसे अपना चेहरा नहीं दिखता या बदनुमा लगता है, वही इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का खिलवाड करते हैं। गहलोत ने कहा कि राजस्थान बोर्ड की आठवीं कक्षा की किताब में नेहरू का नाम तो हटाया ही गया है, गांधी की हत्या वाले हिस्से और हत्यारे नाथूराम गोडसे का नाम भी हटा दिया गया।

मोदी भी गांधी का कर रहे जप

गहलोत ने कहा है कि महात्मा गांधी आज भी जनमानस में व्याप्त हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक गांधी के नाम का जप कर रहे हैं। गोडसे की विचारधारा से प्रेरित यह कारनामा भी नेहरू के महान योगदान को नहीं मिटा सकेगा। देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में या भारत की संस्कृति में मान्य रही पंचायत प्रणाली को पंचायतीराज के रूप में आधुनिक संविधान की व्यवस्था में स्थापित करने वाले और नागौर, राजस्थान से ही उसका उद्घाटन करने वाले के रूप में भी नेहरू का नाम हटा दिया गया, जो राजस्थान सरकार की संकीर्ण सोच को उजागर करता है। ऐसी साजिश को जनता के बीच बेनकाब करने का अभियान चलाया जाना चाहिए।