सीकर.।   विमंदित बच्चों से भगवान के साथ सरकार भी रूठ गई है। क्योंकि सरकार खुद नहीं चाहती कि विमंदित बच्चे पढ़-लिखकर सामान्य बच्चों की तरह गुजर बसर कर सकें। तर्क यह है कि सरकार के ज्यादातर जिलों में मानसिक विमंदित बच्चों के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर नहीं है।इस कारण बच्चों को शिक्षा के साथ रोजगार नहीं मिल रहा है। प्रदेश में तीन वर्ष से विशेष शिक्षकों की भर्ती नहीं होने के कारण शिक्षा का सपना भी टूट रहा है। जयपुर के जामडोली में हुई घटना के बाद भी सरकार विमंदितों को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है। विमंदितों की शिक्षा को लेकर पत्रिका की खास रिपोर्ट।

1. एमआर होम

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से प्रदेश के सभी जिलों में मानसिक विमंदित गृहों का संचालन किया जा रहा है। यहां रहने वाले विमंदित बच्चों के आवास के अलावा शिक्षा की जिम्मेदारी भी सरकार की है। लेकिन ज्यादातर एमआर होम में विशेष शिक्षक विद्यार्थियों के अनुपात में है। इसके पीछे वजह है कि सरकार महज 8200 रुपए मानदेय देती है। इस कारण भी विशेष शिक्षक यहा काम करने से कतराते है।

2. ट्रेनिंग सेंटर

विमंदितों को रोजगार से जोडऩे के लिए वोकेशन ट्रेनिंग सेंटर शुरू होने थे। इसमें विमंदित बच्चों को मोमबत्ती, गुलदस्ता, अगरबत्ती, बनाना सिखाया जाता है। एक्सपर्ट का मानना है कि इसके जरिए विमंदित बच्चों को पढ़ाई के साथ रोजगार भी मिलना था। न्यायालय के निर्दश के बाद भी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग इसकी पालना नहीं कर पा रहा है।

3. विशेष स्कूल

प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान की ओर से सभी ब्लॉक में संदर्भ केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। इसमें दिक्कत यह है कि हर दिन शिक्षक अलग-अलग स्कूलों में जाते है। इस कारण विशेष योग्यजनों की हर दिन पढ़ाई नहीं हो पाती। इसी तरह सामाजिक संगठनों की ओर से संचालित विशेष स्कूलों में भी हालत ज्यादा ठीक नहीं है। हालांकि सर्व शिक्षा अभियान की ओर से बच्चों को कुछ लैपटॉप देने की योजना से बच्चों को फायदा मिला है।

4. अस्थाई राहत

विमंदितों को अस्थाई राहत देने के लिए भी सरकार के पास कोई योजना नहीं है। सरकार ने संविदा पर विशेष शिक्षकों की भर्ती नहीं करने के आदेश दिए है। इसी तरह वोकेशनल टे्रनर के अस्थाई इंतजाम भी भगवान भरोसे है।विशेष योग्यजनों की शिक्षा को लेकर सरकार पूरी तरह गंभीर है। यदि कही कोई है तो उसे दुरुस्त कराया जाएगा