हस्तक्षेप

– हरीश बी.शर्मा
जाती जनवरी में हुई कांग्रेस विधायकों की बैठक में अनुपस्थित रहे विधायकों की वजह से एक तरफ जहां कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर रंधावा नाराज हैं और विधायकों को नोटिस दिए हैं तो दूसरी ओर इस मुद्दे को तिल का ताड़ बना देने के कारण कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा भी निशाने पर हैं। बताते हैं कि गोविंद डोटासरा ने अनुपस्थित विधायकों को संबंध में कहा कि ये लोग अपने आपको पार्टी से बड़ा समझते हैं। इसके बाद इन पर कार्यवाही शुरू हुई है।
दरअसल, मामला तो यह जयपुर संभाग का है, लेकिन योजना यह है कि इस बहाने समूचे प्रदेश को एक संदेश चला जाए कि अब कांग्रेस में संगठन की अवहेलना नहीं चलेगी। यही वजह है कि 28 जनवरी को जयपुर संभाग के नेताओं की कांग्रेस के हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत हुई बैठक में जब कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव, जलदाय मंत्री महेश जोशी, सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा समेत मंत्री मुरारीलाल मीणा अनुपस्थित रहे।
इस अनुपस्थिति पर कोई संतोषजनक जवाब मिलता, इससे पहले ही पीसीसी चीफ ने नया फीड बैक दे दिया, तो कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया। अब नोटिय के जवाब पर सारा दारोमदार टिका है। अभी कांग्रेस में पहला इस्तीफा प्रकरण भी शांत नहीं हुआ कि जयपुर संभाग के नेताओं को इस तरह नोटिस दिए जाने से कांग्रेस की अंतर्कलह तेज हो रही है। बैठक में नहीं आने की वजह चाहे कुछ भी हो, लेकिन फिलहाल सारे कोई न कोई ऐसा काम बता रहे हैं, जो न्यायसंगत लगे।
हालांकि, संगठन ने यह कार्रवाई इसलिए की है ताकि दूसरे संभागों में इस तरह की स्थिति पेश नहीं आए। खुले रूप से कांग्रेस में इन दिनों दो गुट दिख रहे हैं। पहले अधिकांश नेता और विधायक जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ खड़े नजर आते थे, लेकिन अब फिजा में कुछ बदलाव हुआ है। सचिन पायलट भी भीड़ खींचने लगे हैं। पिछले दिनों पांच जिलों की यात्रा के दौरान उन्होंने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को न सिर्फ आकर्षित किया बल्कि खुलकर बोले भी हैं।
ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि सुखजिंदरसिंह रंधावा जब सचिन पायलट या ऐसे ही नेताओं के साथ संभागीय बैठकों में रहेंगे तो क्या परिदृश्य रहेगा। क्या सचिन पायलट उस बैठक में रहेंगे। हालांकि, यह कार्रवाई इसी तरह के सवालों के जवाब के लिए है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि गोविंद डोटासरा ने जिस तरह से आग में घी डाला है, कुछ अलग ही स्थितियां बनेगी। यह कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदरसिंह रंधावा के लिए चुनौती भरा होगा, क्योंकि अभी तक तो जयपुर संभाग के नेताओं के भी नोटिस पर जवाब नहीं आए हैं। अगर वास्तव में गोविंद डोटासरा का फीडबैक सही हुआ कि ये नेता अपने आपको पार्टी से बड़ा समझते हैं तो यह भी अतिशयोक्ति नहीं है कि ऐसे नेता सिर्फ जयपुर संभाग में ही नहीं हैं। प्रदेश में हर जगह ऐसे नेता हैं, जो आंख दिखाना जानते हैं। खासतौर से तब जब प्रदेश कांग्रेस में दो धड़े साफ तौर पर पहचान में आने लगे हैं।

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