आईपीएल में राजस्थानी-कमेंट्री से जागेगा भाषा के प्रति आकर्षण


हस्तक्षेप
– हरीश बी. शर्मा
भले ही राजस्थान-दिवस एक बार फिर निकल गया और राजस्थानी भाषा को प्रदेश की दूसरी राजभाषा बनाने का काम अटका ही रहा, लेकिन राजस्थानी भाषा के हित-चिंतकों के लिए एक खुश-खबरी है कि इस बार आईपीएल मैचों में राजस्थानी कमेंट्री भी होगी। दरअसल, यही एक रास्ता है, जिससे राजस्थानी भाषा के आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाया जा सकता है। दो दिन पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी राजस्थान दिवस की शुभकामनाएं भले ही हिंदी में दी हो, लेकिन अंत में उन्होंने राजस्थानी का एक दोहा कोट किया। हालांकि, दोहा पढऩे में उन्हें कुछ परेशानी हुई, लेकिन दोहा पूरा करने के बाद उनके चेहरे पर एक खास तरह का उत्साह नजर आया, जिससे यह जाहिर होता है कि वे ऐसा करते हुए खुश थे।
बीकानेर के संभागीय आयुक्त रहे नीरज के. पवन, जो इन दिनों राजस्थान के खेल आयुक्त हैं, की मानें तो आईपीएल के मैचों में राजस्थानी कमेंट्री के लिए सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है। निश्चित रूप से राजस्थानी में कमेंट्री होने पर भाषा के प्रति आकर्षण जागेगा।
बीकानेर में संभागीय आयुक्त रहते हुए नीरज के. पवन ने अनेक ऐसे काम किये हैं, जिससे उन पर भरोसा जमा है। उनके काम करने की इच्छाशक्ति देखकर एक बार तो लोगों को यह भी लगने लगा था कि कहीं ये ब्यूरोक्रेसी छोड़कर पॉलीटिक्स करने का मन तो नहीं बना रहे हैं। हालांकि, बीकानेर को वे अपनी योजना के अनुरूप विकसित नहीं कर पाए और इस बीच उनका तबादला हो गया। पिछले दिनों वे बीकानेर आए थे तो उन्होंने वापस बेपटरी हुए शहर को देखा भी होगा, लेकिन कहते हैं कि नवाचार करने वालों को जहां भेजेंगे, वे कुछ रचनात्मक करेंगे ही।
आईपीएल में राजस्थानी में कमेंट्री होने के पीछे बड़ा तर्क यह था कि जब भोजपुरी और हरियाणवी में कमेंट्री हो सकती है तो राजस्थानी में क्यों नहीं और इसी आधार पर इसे शामिल करवाया गया है, लेकिन इसके साथ ही अब सबसे बड़ी समस्या यह आएगी कि राजस्थानी में अच्छी कमेंटेटर मिले, जो भाषा को हास्यास्पद नहीं बनाए। हालांकि टेली-कम्यूनिकेशन कंपनियों ने इस दिशा में पहल की है, लेकिन मोबाइल पर सुनी जाने वाली राजस्थानी बड़ी हास्यास्पद साबित हो रही है। राजस्थानी के साथ यह बड़ा रिस्क है कि जो इस भाषा में पले-बढ़े नहीं हैं, वे जब बोलते हैं तो खुद ही हंस पड़ते हैं जबकि इस भाषा में शिक्षित-दीक्षित लोग जब बोलते हैं तो सुनने से ही पता चलता है कि यह भाषा कितनी समृद्ध और गरिमापूर्ण है।
क्रिकेट की कमेंटरी में तकनीकी शब्दावली होगी। बैट को बल्ला, बॉल को दड़ी और विकेट को गिल्ली कहना तो फिर भी आसान होगा, लेकिन जो तकनीकी शब्दावली होगी, उसे भले ही जस का तस अंग्रेजी में बरता जाए, लेकिन इतने भरोसे के साथ बात कहनी होगी कि लगे कि बात राजस्थानी में हो रही है।
इस बात से गुरेज भी नहीं होना चाहिए कि राजस्थानी में दूसरी भाषा के शब्द नहीं आए। सामंती परिवेश में आज भी बोलचाल में राजस्थानी और अंग्रेजी का मिलाजुला असर देखने को मिलता है, लेकिन उनकी टोन राजस्थानी होती है। दरअसल, कमेंटेटर को लहजे पर काम करना होगा ताकि राजस्थानी बोलते हुए वे राजस्थानी का अहसास कराए।
राजस्थानी भाषा के हित-चिंतकों को अब राजस्थानी को साहित्य की भाषा बनाने की जिद की बजाय आम जन की भाषा बनाने का काम करना होगा, इसके लिए आईपीएल में कमेंटरी माईल-स्टोन है। गूगल ने भी राजस्थानी के की-बोर्ड को प्रमोट करना शुरू कर दिया है। कुछ ऐसे ही और क्षेत्र तलाशने होंगे,जहां राजस्थानी को व्यवहार में शामिल करवाया जाए।
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