लॉयन न्यूज,बीकानेर।
भरतपुर के राजा मानसिंह हत्याकांड में अदालत ने 18 में से 11 आरोपियों पर दोष सिद्ध पाया है। तीन आरोपियों को बरी कर दिया है। अन्य 3 आरोपियों की पूर्व में मौत हो चुकी है, वही एक आरोपी को अदालत पूर्व में बरी कर चुकी है।
जिन 11 आरोपियों पर दोष सिद्ध हुआ है उनमें डीएसपी कान सिंह भाटी भी शामिल हैं। इन 11 दोषियों को सजा अदालत बुधवार को सुनाएगी। गौरतलब है कि करीब 35 वर्ष पूर्व भरतपुर के डीग में राजा मानसिंह सहित तीन लोगों की पुलिस द्वारा गोली मारकर हत्या करने का आरोप था। इस मामले में राजा मानसिंह के दामाद ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। यह मामला जांच के लिए सीबीआई पर गया। बाद में इसकी सुनवाई 1990 में मथुरा स्थानांतरित की गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर पर पुलिस की जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था रही। आम व्यक्ति का प्रवेश कोर्ट परिसर में रोक दिया गया था।
ये है मामला
एनकाउंटर से एक दिन पूर्व राजा मान सिंह पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के हेलीकॉप्टर तथा मंच को अपने जोगा गाड़ी से तोडऩे का आरोप लगा था। इसके लिए राजा मानसिंह के खिलाफ दो अलग-अलग मुक़दमे भी कायम हुए थे। घटना के वक्त राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और शिव चरण माथुर मुख्यमंत्री थे। इस मामले में डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 17 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र सीबीआई ने दाखिल किया था।
सीबीआई ने की मामले की जांच
इस हत्याकांड की प्रारंभिक विवेचना राजस्थान पुलिस ने की और उसके बाद इस केस की विवेचना सीबीआई को ट्रांसफर हुई। मार्च 1985 में सीबीआई ने जांच शुरू की और विवेचना के बाद 18 लोगों के खिलाफ इस केस में आरोप पत्र प्रेषित किया। जिनमें से एक अभियुक्त महेंद्र सिंह जो सीओ कान सिंह भाटी का ड्राइवर था उसको डिस्चार्ज कर दिया गया और 17 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। सुनवाई के दौरान 3 अभियुक्तों की मृत्यु हो चुकी है।

उस राजा की हत्या की कहानी, जिसने शाही जीप से टक्कर मार मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर तोड़ा डाला था राजस्थान के जनपद भरतपुर के डीग में हुए बहुचर्चित राजा मान सिंह हत्याकांड पर फैसले की घड़ी नजदीक आ गई है। 21 फरवरी 1985 को हुए पुलिस मुठभेड़ में राजा मान सिंह समेत दो अन्य लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इनमें तीन की मौत हो चुकी है। एक बरी हो गया। 14 अभियुक्त ट्रायल पर हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मुकदमे की सुनवाई मथुरा जिला जज की अदालत में की जा रही है। इस मुकदमे पर मंगलवार को फैसला आ सकता है।
बताया जाता है कि इस घटनाक्रम की शुरुआत 20 फरवरी 1985 से शुरू हुई थी। जब राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की चुनावी सभा की 20 फरवरी तय की गई। इस सभा से पूर्व कांग्रेसियों ने राजा मानसिंह के रियासत के झंडे उखाड़ दिए थे। अपने झंडे उखाडऩे से राजा मान सिंह अपनी जोंगा जीप से सीधे मुख्यमंत्री के सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए वहां पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से उतरे थे। उन्होंने हेलीकॉप्टर को जीप की टक्कर से क्षतिग्रस्त कर दिया। हालांकि उस समय तक मुख्यमंत्री वहां से जा चुके थे। इसके बाद राजा मान सिंह ने मुख्यमंत्री के सभा स्थल पहुंचने से पहले ही जोगा की टक्कर से चुनावी मंच को ध्वस्त कर दिया था।
तत्कालीन मुख्यमंत्री ने टूटे मंच से ही चुनावी सभा को संबोधित किया और इस घटनाक्रम के लिए पुलिस अधिकारियों की जमकर खिंचाई की थी। इसके बाद पुलिस ने राजा मान सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। आरोप है कि अगले दिन 21 फरवरी को जैसे ही राजा मान सिंह लाल कुंडा चुनाव कार्यालय से डीग थाने के सामने से गुजरे सीओ कान सिंह भाटी के चालक महेंद्र द्वारा पुलिस वाहन को जोगा जीप के सामने खड़ा कर दिया गया। इसके बाद लोगों को सिर्फ फायरिंग सुनाई दी। जोगा जीप में राजा मान सिंह, सुम्मेर सिंह और हरी सिंह के शव मिले थे। इस वारदात के बाद डीग थाना के एसएचओ वीरेंद्र सिंह ने राजा मान सिंह के दामाद विजय सिंह सिरोही के खिलाफ 21 फरवरी को ही धारा 307 की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
वादी पक्ष के अधिवक्ता नारायन सिंह विप्लवी ने बताया कि हत्याकांड के दिन ही राजा मान सिंह के दामाद और उनके साथी बाबूलाल को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसी रात उनकी जमानत भी हो गई और 22 फरवरी को राजा मान सिंह का दाह संस्कार महल के अंदर ही किया गया। 23 फरवरी को विजय सिंह सिरोही ने डीग थाने में सीओ कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ राजा मान सिंह समेत दो अन्य की हत्या का मामला दर्ज कराया था। यह मामला जयपुर की सीबीआई की विशेष अदालत में भी चला। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मुकदमा वर्ष 1990 में मथुरा न्यायालय स्थानांतरित हो गया।
तीन अभियुक्तों की हो चुकी है मौत, एक बरी
राजा मान सिंह हत्याकांड में सीबीआई द्वारा कुल 18 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दी है। इनमें से तीन अभियुक्त एएसआई नेकीराम, कांस्टेबल कुलदीप और सीताराम की मौत हो चुकी है, जबकि कान सिंह भाटी के चालक महेंद्र सिंह को जिला जज की अदालत ने बरी कर दिया है। अब जो अभियुक्त रह गए हैं उनमें सीओ कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेन्द्र सिंह, कांस्टेबल सुखराम, कांस्टेबल आरएसी जीवन राम, भावर सिंह, हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदम राम, जग मोहन, एएसआई डीग पुलिस रवि शेखर, जीडी लेखक हरि किशन, जांचकर्ता कान सिंह सिरवी, गोविंद सिंह सहायक जांचकर्ता शामिल हैं। अधिकतर अभियुक्तों की उम्र लगभग 80 के पार पहुंच गई है । सभी अभियुक्त सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं।