हस्तक्षेप

– हरीश बी. शर्मा
कांग्रेस में आमूल-चूल परिवर्तन की संभावना की एक किरण नजर आने ही लगी थी कि राहुल गांधी के बोस्टन के लिए उड़ान भरने की खबर आ गई। पहले से ही कांग्रेस के कार्यक्रमों के बड़े नेताओं की कमी अखर रही थी। राहुल गांधी के इन कार्यक्रमों में आने की संभावना के चलते आकर्षण का केंद्र भी राहुल गांधी बने हुए नजर आते थे, लेकिन शनिवार को होने वाले कांग्रेस की एक अहम बैठक में राहुल गांधी उपस्थित नहीं रहेंगे। इस दौरान वे नेशनल हैरल्ड मामले में ईडी की चार्जशीट के खिलाफ कार्यक्रम की रणनीति बनाई जाएगी।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे में लीडरशिप का वह जज्बा है ही नहीं जो देशभर के कांग्रेसजनों को उत्साह में भर सके। लिहाजा, यह तय है कि आने वाले दिनों में होने वाला यह प्रदर्शन जैसे-तैसे हो जाएगा। राहुल गांधी शनिवार को कांग्रेसजनों के बीच होते और वे कुछ ऐसा कह जाते, जिससे पदाधिकारियों को जोश बढ़ जाता तो देश में स्थितियां अलग होती।
इन दिनों कांग्रेस, खासतौर से गांधी परिवार जिस संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, उसके लिए राहुल गांधी की भूमिका और अधिक सक्रिय होनी चाहिए थी, लेकिन इसके उलट राहुल गांधी का बोस्टन जाना कई सवाल खड़ा करता है। ईडी की जो चार्जशीट सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम है, उसके आधार पर मामले को समझा जाए तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जमानत लेने के लिए खुद को उपस्थित होना पड़ेगा।

कांग्रेस की योजना थी कि इस संबंध में बड़ी रणनीति बनाए और देशभर में विद्रोह का माहौल खड़ा करे, इसके लिए शनिवार को बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में ईडी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की योजना को अमलीजामा पहनाया जाना है।

पिछले दिनों जिलाध्यक्षों के सम्मेलन के बाद से कांग्रेस में एक बार फिर से हलचल देखने को मिली। कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की सक्रियता के चलते छोटे-मोटे कार्यक्रम भी होने शुरू हुए। जिलों के पदाधिकारी इस बात से खुश भी नजर आए कि राहुल गांधी ने उनसे संवाद किया। यह भी बात सामने आई कि राहुल गांधी को टी-शर्ट छोड़ देनी चाहिए और अपने इर्दगिर्द ज्यादा लोगों को नहीं रखना चाहिए। संगठन की मजबूती के लिए नये लोगों को आगे लाने की बात भी हुई। अर्से बाद अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने वाले जिलाध्यक्षों को इस बात की ज्यादा खुशी थी कि राहुल गांधी में काफी बदलाव है।

ऐसे में राहुल गांधी के बोस्टन के लिए उड़ जाने की घटना से कांग्रेस के कार्यकर्ता हैरत में है। कहा जा रहा है कि इस तरह का कार्यक्रम बाद भी हो सकता था, लेकिन अभी कांग्रेस के राहुल गांधी की देश में जरूरत थी। ऐसे समय में नेता जब सामने आकर संघर्ष करने की बात करता है तो कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ता है, क्योंकि वास्तव में कांग्रेस के लिए यह समय विकट है और गांधी परिवार के लिए परिस्थितियां सामान्य नहीं है।
राजनीति की बात करें तो यह समय कांग्रेस के लिए अनुकूल है, जब कार्यकर्ताओं को लामबंद किया जा सकता है। देखना यह कि २५ तक देश में क्या तस्वीर बनती है।

 

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