पुष्करणा सावा अन्य समाजों के लिए भी मार्गदर्शक
सामुहिक विवाह जैसे आयोजन आर्थिक रूप से विकसित समाज के लिए एक जरूरी कदम है। सामूहिक विवाह के आयोजन समाज के लिए हितकारी और सामाजिक समरसता व एकता को भी बढ़ावा देने वाले हैं। बात बीकानेर की है तो जहां तक मानना है की सामुहिक विवाह जैसा कोई आयोजन सबसे पहले पुष्करणा ब्राह्मण समाज ने ही शुरू किया। ओलपिंक सावे के नाम से मशहूर ये आयोजन परपंराओं से तो जुड़ा ही है साथ ही मितव्ययता और सामाजिक समरसता बढ़ाने के तौर पर प्रगतिशिलता से भी जुड़ा हुआ है। एक दिन में एक परकोटे में इतने अधिक विवाहों के चलते इसे ओलपिंक सावा नाम दिया गया है।
पुष्करणा सावे के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए वर्तमान में न केवल हिन्दू बल्कि मुस्लिम समाज के भी कई समाजों ने सामुहिक विवाह जैसे आयोजनों को तरजीह दी है। वर्तमान में बीकानेर में माली समाज, मेघवाल समाज, नायक समाज के साथ साथ बीकानेर के ही नागौरी तेली समाज, लोहार समाज, रंगरेज़ समाज, भिश्ती समाज, हमाल समाज, छिंपा समाज, तिरेपन गौत्र तेली समाज, दमामी समाज, डीडु सिपाही समाज भी गत दो दशकों से सामुहिक विवाह के आयोजनों से अपने समाज को आर्थिक उन्नति और सामाजिक समरसता की ओर बढ़ा रहे हैं।
इस सावे के सबसे खास बात ये है कि ये पूरे बीकानेर के लिए एक पुष्करणा ब्राह्मण समाज के लिए तो ये खास है ही लेकिन पूरे बीकानेर के लिए भी ये एक त्यौहार की तरह होता है। सावे के दिनों में परकोटे की रंगत ही बदल जाती है। अनूठे रीति-रिवाजों के चलते दूर-दूर से लोग सावा देखने के लिए बीकानेर आते हैं। इस दौरान पूरा परकोटा रंगों और रोशनी से नहाया रहता है।
मै यही कहूंगा कि पुष्करणा सावे के साथ बीकानेर से एक सर्व धर्म सामूहिक विवाह समारोह सभी धर्मों की धार्मिक परम्परा से एक-एक जगह पर हो!