अब चेत भी जाइए, हो सकता है अगला डाका आप के खाते पर पड़े और वह भी बगैर OTP





लॉयन न्यूज, बीकानेर। (आशीष पुरोहित) अगर आपको लगता है की अपना ओटीपी और निजी जानकारी साझा नहीं करने सलाह के साथ आप सजग हैं तो आपको बता दें की पिछले कुछ मामलों की जांच के बाद पता चला है के इतना ही काफी नहीं है। अगर आप ने कहीं होटल में रूकते समय आधार कॉर्ड की फोटोकॉपी दी हो, कभी सिम लेते समय आधार कार्ड की कॉपी के साथ ही फिंगरप्रिंट से आधार वेलिडेट किया हो या ऐसी कोई भी सुविधा या किसी वेंडर या कियोस्क पर आधार कॉर्ड की जेरॉक्स या फिंगरप्रिंट से आधार वेलिडेट किया हो तो आपके साथ भी ऑनलाइन फ्रॉड हो सकता है।
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक आधार कार्ड के डेटा और बॉयोमैट्रिक्स के मशीनों के साथ छेड़छाड़ कर मासूमों को शिकार बना रहे हैं। ऐसा ही एक मामला हाल में सोशल मीडिया पर सुर्खियां बना जिसमें फेमस युट्यूबर पुष्पेन्द्र ने बताया की उनकी माताजी के खाते से बिना किसी ओटीपी के थोड़े-थोड़ कर कुल 96 हजार रूपये निकाल लिये गये हैं। जबकि खाते में किसी भी प्रकार की नेटबेंकिंग की सुविधा या डेबिट कार्ड इश्यू नहीं किया गया है।
इसी साल जनवरी में हरियाणा के गुरुग्राम में ऐसा ही एक मामला दर्ज हुआ था। एक व्यक्ति के फिंगरप्रिंट्स का इस्तेमाल करके उसके बैंक खाते से पैसे निकाल लिए गए। हालांकि जब उन्हें एक ट्रांजैक्शन का पता चला तो उन्होंने आधार के ऐप का इस्तेमाल करके बायोमैट्रिक को लॉक कर दिया ताकि और पैसा न निकाला जा सके।
फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग का एक मामला साल 2022 में हैदराबाद में भी सामने आया था। यहां एक साइबर क्राइम गिरोह ने आंध्र प्रदेश के रजिस्ट्रेशन और स्टैम्प्स डिपार्टमेंट की ऑफिशियल वेबसाइट से लोगों के डाक्यूमेंट्स निकाल लिए थे। उन्होंने कुल 149 लोगों को 14 लाख रुपए से ज्यादा का चूना लगाया। इस मामले में प्रशासन ने गिरोह को पकड़ा और 2500 क्लोन किए गए फिंगरप्रिंट्स जब्त किए थे.
क्या कहते हैं टैक एक्सपर्ट्स
इन मामलो में टैक एक्सपर्ट्स का कहना है कि आजकल बिना किसी ओटीपी या लिंक पर क्लिक किये पैसे निकालने के मामले में फिंगरप्रिंट क्लोन जैसी तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।
ठग किसी भी तरह से व्यक्ति की आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी हासिल करते हैं और बायोमैट्रिक मशीनों और । AePS (आधार इनेबल्ड पेमेंट सर्विस) के जरिये ऐसी ठगी को अंजाम दे रहे हैं।
क्या है AePS सर्विस
सर्विस दरअसल आधार से जुड़ी एक सुविधा है। ये सुविधा आपके बैंक खाते में आधार नम्बर अपडेट होने के साथ ही शुरू हो जाती है। इसे अलग से शुरू करवाने की कोई जरूरत नहीं होती। इस सुविधा का सबसे ज्यादा प्रयोग ग्रामीण इलाकों में हो रहा है।
कैसे लीक होती है जानकारी
हालांकि आधार कार्ड का डेटा लीक होने की खबरें बीते कुछ सालों में कई बार आईं हैं लेकिन यूआईडीएआई ने कहना है कि कभी किसी के आधार कार्ड का डेटा लीक नहीं हुआ है। लेकिन वर्तमान में आधार की वेबसाईट ही एक ऐसी अकेली जगह नहीं रह गई है जहां लोगों के आधार कार्ड का डेटा सेव है। लोगों के आधार नं. आसानी से फोटोकॉपी, सॉफ्टकॉपी में इन्टरनेट पर उपलब्ध है। गांवों और छोटे कस्बों में लोग धड़ल्ले से बायोमैट्रिक वेलिडेशन का प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे में ठगों द्वारा सिलिकॉन का इस्तेमाल करके भी AePS की मशीनों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि नेटबैकिंग और ओटीपी के जरिये भी धोखाधड़ी की कोशिशें की जाती रही हैं लेकिन इन पर बैंक का कंट्रोल रहता है। लेकिन अगर कोई आपका फिंगरप्रिंट ही क्लोन कर ले तो ये बैंकिंग सिस्टम के लिए भी चैलेंज हैं।
क्या हो सकता है बचाव?
आधार का डेटा सुरक्षित करने के लिए हम इसे आधार की एप या वेबसाईट पर जाकर लॉक कर सकते हैं। लॉक करने के बाद लीक होने के बावजूद भी डेटा का उपयोग पैसों के लेनदेन के लिए नहीं किया जा सकता है। और जरूरत के समय फिर से इसे अनलॉक किया जा सकता है। और इस पूरी प्रक्रिया के लिए आपको किसी कियोस्क या ईमित्र पर जाने की जरूरत भी नहीं हैं। आप इसे अपने फोन पर आधार की ऐप या आधार की ऑफिशियल वेबसाईट पर जाकर भी कर सकते हैं।