हस्तक्षेप/– हरीश बी. शर्मा
पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद पााकिस्तान पर हुई कार्रवाई से एकबारगी भले ही देश में माहौल बन रहा हो, लेकिन आतंकवादियों ने जो किया है, वह लंबे समय से उनके द्वारा की जा रही रैकी का परिणाम था और वहां तैनात सुरक्षा एजेंसियों को इस मूवमेंट की भनक नहीं लगना सबसे बड़ा सवाल है। अगर देश की सरकार कुछ करना चाहती है तो सबसे पहले सुरक्षा एजेंसियों की जवाबदेही सुनिश्चित करे।
जहां हमला हुआ, वह स्थान जंगल में है और वहां सुरक्षाबल तैनात नहीं हैं और इस वजह से वहां हमला किया जा सकता है, यह जितना आतंकवादियों को पता था, उससे कहीं ज्यादा वहां की सुरक्षा एजेंसियों को पता होना चाहिए था, फिर इतनी बड़ी चूक कैसे रह गई। अगर वहां तैनाती संभव नहीं थी तो पर्यटकों को जाने से रोका जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और आतंकवादियो के निशाने पर बेगुनाह पर्यटक आ गए।

पर्यटकों को मारने से पहले क्या पूछा गया होगा, क्या हुआ होगा। यह सिवाय वहां के चश्मदीदों के अलावा किसी को पता नहीं है। देश के मीडिया के माध्यम से सामने आई हैड-लाइंस के बाद सोशल मीडिया ने जिस तरह से इस पूरे घटनाक्रम को अरथाना शुरू किया है, न सिर्फ चिंतनीय है बल्कि चेतावनी भी है।
जो लोग इस घटना के संबंध में कुछ भी नहीं जानते वे भी ऐसे बातें कर रहे हैं, जैसे वे सुरक्षा विशेषज्ञ हों। धर्म का पूछा यह अखबार वाले बता रहे हैं और सोशल मीडिया पर ऐसे लोग भी सक्रिय हैं, जो ऐसे-ऐसे तथ्य ला रहे हैं, जो पहले आई खबरों का खंडन करे। होना चाहिए। देश के हर नागरिक को सत्य जानने का हक है, लेकिन यह काम नागरिकों का नहीं है। सरकार का है। सरकार की जवाबदेही से जुड़ा यह सवाल है, जिसके लिए इंतजार करना चाहिए।

हो सकता है कि पाकिस्तान के साथ सिंधुजल समझौता रोकने ये वहां पानी की किल्लत हो जाए। पाकिस्तान से भारतीय उच्चायोग सेे कर्मचारी-अधिकारियों को बुलाने से कूटनीतिक संदेश जाएगा। भारत आए पाकिस्तानियों को वापस भेजने का फैसला भी पाकिस्तान को अपमानित करने वाला है। अटारी का चैक पोस्ट बंद होने से व्यापार पर असर पड़ेगा।

लेकिन यह सब देश के नागरिकों का गुस्सा कम करने के लिए एक रास्ता भर है। सवाल फिर से वही है कि पहलगाम की स्थितियों से सुपरिचित सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रहीं थी जबकि उन्हें पता था कि आतंकवादी इस फिराक में हैं कि कब उन्हें मौका मिले और अपने काम को अंजाम दे। आतंकवादियों ने अपने काम को अंजाम दे भी दिया और सुरक्षाबलों के पहुंचने से पहले भाग भी छूटे तो क्या इसे सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक नहीं माना जाना चाहिए और इस रूप में भी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
सरकार को सख्त होना पड़ेगा। पाकिस्तान पर रोक-टोक लगाने के कूटनीतिक कारण हो सकते हैं, लेकिन देश की सरकार को चाहिए कि इस मामले में जो सबसे पहले दोषी हैं, उनसे भी जवाब-तलब करे। कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद वहां लौट रहे सुकून और खुशहाली को यह आतंकी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए आतंक को खत्म करना होगा।

‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।