नहरों का पानी पेयजल के लिए खतरनाक!
बीकानेर। संभाग समेत पश्चिमी राजस्थान के आठ जिलों में नहर से प्रदूषित जल की आपूर्ति हो रही है। इससे क्षेत्र की जनता जल जनित बीमारियों से प्रभावित हो रही है। हर वर्ष अप्रेल से जून की अवधि में नदी-नालों में जल कम होने के कारण नहरों के पानी में प्रदूषण की सान्द्रता बढ़ जाती है। पीएचईडी की ओर से जिस तरह जल शोधन होता है वह जल की शुद्धता के लिए पर्याप्त नहीं है। हाल ही में राज्य सरकार को भेजी रिपोर्ट में अवगत करवाया गया है कि इंदिरा गांधी नहर से पश्चिमी राजस्थान के बड़े भू-भाग में सिंचाई और जनसंख्या को पेयजल आपूर्ति होती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि लुधियाना शहर का प्रदूषित व अपशिष्ट जल बुढ्ढा नाला और चिट्टी बैई से 260 -260 क्यूसेक पानी सतलुज नदी में मिलता है। यह पानी हरिके बैराज में इन्दिरा गांधी नहर, सरहिन्द फीडर एवं बीकानेर नहर में छोड़ा जा रहा है। अभी नहर बंदी के बाद बीकानेर पानी पहुंचने वाला है। इस पानी में सर्वाधिक अपशिष्ट होते हैं। जल शोधन संयंत्र बीछवाला एवं शोभासर में इतनी गंदगी और काई हो जाती है कि कई बार संयंत्र बंद करना पड़ता है।
भारी धातुओं की जांच की सुविधा नहीं
बीकानेर में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की प्रयोगशाला में भारी धातुएं पानी में मिली होने के जांच की सुविधा नहीं है। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल मसीतांवाली हैड से पानी के नमूने लेता है। जयपुर स्थित प्रयोगशाला में इसकी जांच करवाई जाती है। पानी पीने योग्य नहीं होने की स्थिति में सूचना दे दी जाती है। भारी धातुओं की पानी में सान्द्रता कम रहती है। इस कारण मानव स्वास्थ्य पर असर दिखाई नहीं देता। विभाग के स्तर पर बैक्टीरिया, पानी के पीने योग्य होने की गुणवत्ता की जांच की जाती है।
नहर में पानी की मात्रा कम होने से प्रभाव
नहर में पानी की मात्रा कम होने से भारी धातुओं और अन्य हानिकारक तत्वों की सान्द्रता बढ़ जाती है। यह पुरानी समस्या है। यह मु²ा राज्य सरकार के स्तर पर भी कई बार केन्द्र और पंजाब सरकार के समक्ष उठाया गया है। अभी भी जिला कलक्टर हनुमानगढ़ की इस आशय की रिपोर्ट को संभागीय आयुक्त के स्तर पर राज्य सरकार को दी गई रिपोर्ट में शामिल किया गया है।
नहर के पानी में भारी धातुएं
रिपोर्ट में बताया गया है कि नहर के प्रदूषित जल में भारी धातुएं जैसे कैडमियम, मर्करी, लैड, आयरन व कॉपर का अंश स्वीकार्य मात्रा से कई गुणा अधिक पाए गए हैं। पैथोजन्स (ई-कोलाई) के अंश तो स्वीकार्य सीमा से 10 हजार गुणा से भी अधिक है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की रिपोर्ट में भी राजस्थान में नहरों से आ रहे पानी को बिना ट्रीटमेंट के पीने योग्य नहीं पाया है। पंजाब पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को राजस्थान सरकार ने प्रदूषित पानी से होने वाले दुष्प्रभावों की विस्तृत रिपोर्ट के साथ प्रदूषित जल रोकने का आग्रह किया है। अभी तक इस मामले में पंजाब सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।