मुरलीधर की सीवरेज चॉक, सड़ांध मार रहा गंदा पानी, कहीं नहीं सुनवाई
जिम्मेदार नहीं उठा रहे फोन, पार्षद ने कहा- सीवरेज का जिम्मा यूआईटी के पास
लॉयन न्यूज, बीकानेर। मुरलीधर व्यास कॉलोनी के सेक्टर नंबर-03 में पिछले कुछ दिनों से बार-बार चॉक हो रही सीवरेज समस्या ने वहां निवासियों का जीना हराम कर रखा है। घरों के आगे फैला सीवरेज का गंदा पानी इतनी सड़ांध मार रहा है कि घरों के गेट खोलना भी मुश्किल हो गया है। इस समस्या को लेकर लॉयन एक्सप्रेस के प्रतिनिधि ने स्थानीय पार्षद से लेकर महापौर प्रतिनिधि, महापौर पीए को कॉल किया। कई दफा फोन करने के बाद पार्षद ने फोन रिसीव किया, जिसमें पार्षद सुधा आचार्य ने कहा कि यह काम यूआईटी के जिम्मे है, जो उनकी सुनवाई नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि मैं एक बार इस समस्या का अस्थाई समाधान करवा देती हूं, लेकिन इस समस्या का स्थाई समाधान यूआईटी ही कर पाएगी। महापौर प्रतिनिधि विक्रम सिंह को भी कॉल लगाया गया, उन्होंने फोन पर बताया कि वे निगम की टीम को बोल रहे है, लेकिन दोपहर दो बजे तक कोई टीम नहीं पहुंची। उसके बाद से उनका भी कॉल रिसीव नहीं हो रहा। इस तरह महापौर के पीए को भी कॉल किया, उन्होंने एक बार कॉल पर समाधान का आश्वासन दिया, परंतु उसके बाद उन्होंने भी कॉल रिसीव नहीं किए। इस तरह निगम आयुक्त को कॉल किए, एक बार कॉल रिसीव हुआ, जिसमें उन्होंने मीटिंग में व्यस्त होने का बोला, उसके बाद उन्होंने भी कॉल रिसीव नहीं किए। जिला कलेक्टर भगवत प्रसाद को कॉल किया, उन्होंने कॉल तो नहीं उठाया, लेकिन उन्होंने यह मैसेज पहुंचा दिया कि वे अभी बीकानेर से बाहर है। अतिरिक्त जिला कलेक्ट के दफ्तर यहां कॉल किया गया, जिसमें पीए के आने के बाद कॉल करने का कहा। यूआईटी सचिव मुकेश बारहठ को कॉल किया, मैसेज भी छोड़ा, परंतु कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला। ये हाल है बीकानेर के प्रशासन का। ये सभी लोग शहर की साफ-सफाई से लेकर मूलभूत व्यवस्थाओं को लेकर जिम्मेदार है, लेकिन एक भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी तरीके से नहीं निभा रहा। जबकि सरकार आमजन की समस्या को लेकर कितनी गंभीर है। यहां तक कि जिला कलेक्टर अनेक बार मीटिंगों में इन अधिकारियों को कह चुके हैं कि बीकानेर की मूलभूत समस्याओं के समाधान में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी, फिर भी जिम्मेदारी आंखे मूंदे हुए बैठे है। यह मात्र केवल सीवरेज जाम की समस्या है, जबकि मुरलीधर व्यास कॉलोनी मूलभूत सुविधाओं को तरस रही है, यहां सड़कों पर गंदगी फैली रहती है, कभी-कबार सफाई कर्मी पहुंचता है, जो नालियों से गंदगी निकालकर वहीं पर छोड़ चला जाता है, जिसको उठाने के लिए निगम से गाड़ी तक नहीं आती। वहीं गंदगी फिर से नालियों में चली जाती है। यानि अव्यवस्था का भंडार है। रोड़ लाईटें नहीं है, सड़कें जगह-जगह टूटी-फूटी पड़ी है, हर रोज छोटे-मोटे हादसे होते रहते है। बड़े-बड़े नाले खुले पड़े है, जिन हर रोज पशु के गिरने की शिकायत रहती है। अगर ये समस्या बरकरार रहती है तो जनप्रतिनिधि कैसे वोट मांगने के लिए यहां आएंगे, जबकि चुनाव सिर पर है।