डेढ़ वर्षीय पुत्र ने दी पिता शहीद रमेश को मुखाग्नि, नम हुई हजारों आंखें





नीमराणा. बहरोड़. अलवर। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकी हमले में नियंत्रण रेखा पर शहीद हुए मुण्डावर तहसील के कालूका गांव के निवासी जवान रमेश चन्द यादव का रविवार को उनके पैतृत गांव में राजकीय व सैनिक सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। इससे पूर्व पुलिस व सैनिक के सशस्त्र जवानों ने शहीद रमेश को गार्ड ऑफ ओनर दिया। शहीद के शव को उनके डेढ़ वर्षीय पुत्र जतिन ने मुखाग्नि दी तो वहां उपस्थित लोगों की आंखें भी नम हो गई और माहौल गमगीन हो गया। रविवार सुबह अलवर ईटाराणा से जब शहीद रमेश चंद यादव का शव उनके पैतृक गांव कालूका पहुंचा तो शहीद के अंतिम संस्कार में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। जब तक सूरज चांद रहेगा रमेश तेरा नाम रहेगा जैसे गगन भेदी नारों से गांव कालूका गूंज उठा। शहीद रमेश के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे हर किसी शख्स की आंखें नम थी। वहीं परिवार के सदस्यों का रो-रो कर बुरा हाल था। इस अवसर पर परिजनों, सैन्य, पुलिस, प्रशासनिक एवं अन्य लोगों ने पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद रमेश को श्रद्धांजलि दी।शहीद रमेशचन्द यादव का शव हेलीकॉप्टर से शनिवार शाम को दिल्ली से अलवर लाया गया। ईटाराणा छावनी में सेना के जवानों ने शहीद को सलामी देकर श्रद्धांजलि दी और पुष्पचक्र अर्पित किया गया।
जिले के मुण्डावर क्षेत्र के कालूका गांव का बेटा रमेशचंद यादव देश की रक्षा करते हुए जम्मू-कश्मीर में शहीद हो गया। सेना की 21-कुमाऊं रेजीमेंट के जवान रमेश का शव शनिवार को उनके पैतृक गांव पहुंचेगा। बहरोड़ क्षेत्र के जिला सैनिक अधिकारी आरपी यादव ने बताया कि कालूका गांव निवासी रमेशचंद यादव जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा पर तैनात था।

शुक्रवार को केरन सेक्टर के गुजरहेडा इलाके में घात लगाकर बैठे आतंककारियों ने गश्त के दौरान उन पर गोलिया बरसाईं। गोलियां रमेश के दोनों पैरों में लगी। रमेश ने भी जवाबी फायरिंंग की। गम्भीर घायल होने पर उन्हें तत्काल हेलिकॉप्टर से सेना के 92-बेस कैम्प लाया गया। यहां चिकित्सकों ने जांच के बाद रमेश को मृत घोषित कर दिया।
20 दिन पहले ही लौटे थे
कालूका गांव निवासी पंचायत समिति सदस्य महेश कुमार ने बताया कि रमेश हाल ही तीन महीने की छुट्टी पर गांव आए थे। करीब 20 दिन पहले छुट्टी खत्म होने पर वे ड्यूटी पर लौट गए थे। गांव के सामान्य कृषक परिवार के बेटे रमेश की तीन-चार साल पहले ही शादी हुई थी। दो भाई और बुजुर्ग पिता खेती-बाड़ी करते हैं। रमेश तीन भाइयों में मझले थे।