ममता-सरकार चौतरफा घिरती जा रही, देश के बाद अब विदेशों में भी होगा विरोध-प्रदर्शन
हस्तक्षेप
हरीश बी. शर्मा
कोलकाता में डॉक्टर युवती के रेप और मर्डर मामले में सियासत गरमा गई है। देशभर में हुए प्रदर्शनों के बाद इस घटना के विरोध में विदेशों में भी प्रदर्शन होने के कार्यक्रम तय हो चुके हैं। 8 सितंबर को अमेरिका और ब्रिटेन में भी प्रदर्शन होना है। संभावना इस बात की है कि और भी कईं देशों में इस तरह के प्रदर्शन हों। इस तरह यह मसला अंतर्राष्ट्रीय चर्चा को बन गया है।
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को उनकी आशंकाओं के मुताबिक भाजपा और माकपा में पूरी तरह से घेर लिया है। ममता बनर्जी के ‘वाम और राम’ वाले बयान को याद करें तो यह साफ है कि उन्हें ऐसा आभास पहले ही हो गया था। तृण-मूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी इस मामले में पहले ही किनारे हो चुके हैं। ऐसे में टीएमसी अंदर और बाहर, दोनों स्तर पर विपत्तियों से घिरी हुई हैं।
तृण-मूल कांग्रेस के कार्यकर्ता इस बात को लेकर आशंकित हैं कि कहीं पश्चिमी बंगाल में राष्ट्रपति शासन नहीं लगा दिया जाए। पश्चिमी बंगाल के राज्यपाल सी.वी.आनंद की सक्रियता के चलते इस बात की प्रबल संभावना है। देश में आज कईं जगहों पर कोलकाता मामले को लेकर प्रदर्शन हुए। कोलकाता में भी रात को लाइटें बंद करके प्रदर्शन किया गया है, जिसमें मृतका के माता-पिता भी उतर गए हैं। इससे साफ जाहिर है कि प्रदेश की सरकार की ओर से अपराजिता कार्यक्रम को लेकर भी वहां के लोगों में कोई सहानुभूति नहीं है। इस बीच केंद्र सरकार ने अस्पतालों की स्थिति सुधारने के लिए कदम उठाने की घोषणा की है। इस संबंध में प्रस्ताव भी मांगे गए हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को इस मामले की जो सुनवाई होनी थी, वह टल चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत:संज्ञान लिया था, अब इस मामले की सुनवाई अगली तारीख को होगी।
यह साफ है कि इस तरह के मामले के बाद देश की बेटियां खौफजदा हैं। सिर्फ कोलकाता ही नहीं देश के कईं इलाकों से ऐसे मामले सामने आएं हैं, लेकिन कोलकाता का मसला इसलिए भी चर्चित हो गया कि इस मामले में पश्चिम बंगाल की सरकार खुद की कटघरे में आ गई। हालांकि, स्थिति की गंभीरता को समझते ही ममता बनर्जी खुद सड़क पर उतरी, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी और यह सवाल उठाया जाने लगा कि यह विरोध प्रदर्शन अपने ही खिलाफ है या अपना पक्ष रखने के लिए।
पश्चिमी बंगाल में यह मसला संवेदना का तो है ही लेकिन इसमें हो रही राजनीति से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। कांग्रेस तो हालांकि कुछ कर नहीं पा रही है, क्योंकि केंद्र में इंडिया गठबंधन का हिस्सा रही तृणमूल कांग्रेस की पश्चिमी बंगाल में सरकार है, इसलिए कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता अपनी हदों में रहते हुए ही बयान दे रहे हैं, लेकिन भाजपा और माकपा को खुलकर खेलने का मौका मिल गया है। सीपीएम के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने अपराजिता बिल को किराये की एजेंसी द्वारा तैयार करवाए जाने संबंधी विवादास्पद बयान दिया है, जिसके बाद मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य की टिप्पणी आई है।
इस पूरे मामले में आरोप-प्रत्यारोपों के दौर के बीच सीबीआई भी नित-नये तथ्य प्रस्तुत कर रही है, जिसमें विदेशी सिम से फोन करने की बात भी सामने आई है। हाई-प्रोफाइल बन चुके इस मामले में अब बहुत मुश्किल है कि राजनीतिक दखल को हटाया जाए। देखना यह होगा कि जिस तरह रोजाना नये-नये डवलपमेंट सामने आ रहे हैं, ममता बनर्जी खुद को कहां तक बचा पाती हैं।
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