अरज : ‘लॉयन एक्सप्रेस’ लगौलग आप नैं खबरां सूं जोड़्यां राख्यौ है। इण सागै ई अब साहित रा सुधी पाठकां वास्ते भी कीं करण री मन मांय आई है। ‘कथारंग’ नांव सूं हफ्ते में दोय अंक साहित रे नांव भी सरू करिया है। एक बार राजस्थानी अर फेर हिंदी। इण तरयां हफ्ते में दो बार साहित री भांत-भांत री विधावां में हुवण आळै रचाव ने पाठकां तांई पूंगावण रो काम तेवडिय़ो है। आप सूं अरज है क आप री मौलिक रचनावां म्हांनै मेल करो। रचनावां यूनिकोड फोंट में हुवै तो सांतरी बात। सागै आप रौ परिचै अर चितराम भी भेजण री अरज है। आप चाहो तो रचनावां री प्रस्तुति करता थकां बणायोड़ा वीडियो भी भेज सको। तो अब जेज कांय री? भेजो सा, राजस्थानी रचनावां…

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मधु आचार्य ‘आशावादी’,   मोबइल 9672869385

देश री आजादी रे वास्ते हुये स्वाधीनता आन्दोलन ने सबसूं पैला सामने लावण वाला पत्रकार। अबार तक 200 सूं ज्यादा नाटकों में अभिनय और निदेशण कर चुक्या हैं नाटक, कहाणी कविता अर जीवनानुभव पर आजतक लगभग 72 किताबां हिन्दी अर राजस्थानी में लिख चुक्या हैँ। साहित्य अकादमी नई दिल्ली रे सर्वोच्च राजस्थानी पुरस्कार संगीत नाट्य अकादमी रा निदेशन पुरस्कार, शम्भु शेखर सक्सैना साथे कई पुरस्कार सूं सम्मानित।

कहाणी  : साच री जोत

लिछमी अर उणरो भरतार किसन मकान री चिणाई रो काम करता। जियां-तिंया पेट पाळता। दोनूं कन्नै रैवण खातर अेक छोटो टूट्योड़ो घर हो। अेक छोरो अर अेक छोरी हा। जको मिळतो उणरै मांय ई राजी हा। भाग रै भरोसे जीवंता। रोज कमावता, रोज खांवता। छोरो बडो हो अर छोरी छोटी।
छोरी रो नावं प्रियंका हो। छोटी ई इण खातर उण सूं घणो लाड हो। लाडेसर हुवण रै कारण छोरी रो घणो ध्यान राखता। दोनूं जणा सरकारी स्कूल मांय पढ़ता, इण खातर लिछमी अर किसन नै घणो भार नीं पड़तो। सात साल री प्रियंका तीसरी क्लास मांय पढ़ती ही। पढ़ण मांय घणी हुसियार ही। इणी खातर घणो लाड हो।
उण दिन दिनूगै स्कूल टैम हुयग्यो पण प्रियंका नीं उठी। रोज तो उठ’र खुद स्कूल जावण खातर तैयार हुय जांवती। आज री बात लिछमी नै खटकी। उणनै अर किसन नै काम माथै जावणो हो इण खातर रोटी बणावण मायं लाग्योड़ी ही। खाणो बणवतै बणावतै ई लिछमी आवाज लगाई।
– प्रियंका। प्रियंका । उठ बेटा। स्कूल जावणो है।
उणरी आवाज पछै भी प्रियंका नीं उठी। तद लिछमी री चिंता बधगी। खुद उणरै कन्नै गई अर प्रेम सूं कैयो।
– उठ जा बेटा आज देरी कियां हुई।
आ कैंवतै कैंवतै लिछमी उणरै माथै पर हाथ लगायो। माथो तपतो हो।
– ओहो, इणनै तो बुखार लागै।
लिछमी कन्नै बैठगी। अर उणरै माथै पर हाथ फैरण लागगी। प्रियंका आंख्यां खोली।
– कांई हुयो बेटी।
– माथो दुखै।
– म्हनैं बुखार लागै, डॉक्टर नै दिखावणो पड़सी।
लिछमी किसन नै आवाज लगाई।
– सुणो हो नीं।
दूर सूं किसन री आवाज आई।
– कांई कैवो हो।

– अठीनै आवो तो सई। पछै बताऊं।

– अठीनै आवो तो सई। पछै बताऊं।

– अबार आऊं। थारै उंताळ रैवै हमेस।

– उंताळ री बात है।  किसन कन्नै आयो तो प्रियंका नै देख’र डरग्यो।

– कांई हुयग्यो इणरै।

– डील तपै। माथो दुखै। बुखार लागै।

– डॉक्टर नै दिखावणो पड़सी।

चालो अस्पताल लेय’र चालां। थोड़ी ताळ मांय ई दोनूं जणां उणनै लेय’र सरकारी अस्पताळ मांय पूगग्या। छोरै नै स्कूल भेज दियो हो। टाबरां रै डॉक्टर कन्नै लेय’र आया। डॉक्टर उणरी जांच करी अर खून री जांच कराय’र लावण रो कैयो। किसन खून री जांच सारू प्रियंका नै लेयग्यो। जांच री रिपोर्ट अेक घंटे मांय आवणी ही इण खातर दोनूं जणां अेक बैंच माथै प्रियंका नै लेय’र बैठग्या। अेक घंटे मांय खून री जांच रिपोर्ट आयगी ही। उणनै लेय’र किसन डॉक्टर कन्नै पूगग्यो। डॉक्टर रिपोर्ट देखी अर उणनै बतायो।

– छोरी नै निमोनियो हुयोड़ो है। अस्पताळ मांय भरती करणो पड़सी। तीन दिन लागसी। म्हैं परची बणाय’र दैवूं। थे इणनै वार्ड मांय भरती कराय दो। किसन छोरी नै वार्ड मांय भरती कराय दीयो। इलाज सरू हुयग्यो। सरकारी अस्पताळ ही इण खातर दवायां रा पईसा तो नीं लाग्या। लिछमी छोरी कन्नै बैठगी अर किसन वार्ड रै बारै बैठग्यो। दवायंा सूं प्रियंका नै नींद आयगी ही। लिछमी उठ’र किसन कन्नै गई।

– थै काम माथै जावो परा। काम खोटी ना करो, म्हैं प्रियंका कन्ने बैठी हूं।

– थूं अेकली रैय जासी नीं?

– तो कांई हुवै। अस्पताळ मांय घणाई लोग है।

– ठीक है। आधे दिन री मजूरी कर लूं। उण रै बाद अस्पताळ मांय थारै कन्नै आय जासूं।

– ना। सिंझ्या नै आया। म्हैं घरे छोरै कन्नै जासूं परी। थे अस्पताळ मांय रैय जाया।

– आ ठीक है। लिछमी अस्पताळ मांय रैयगी अर किसन काम माथै गयो परो। तीसरो दिन हो प्रियंका नै अस्पताळ मांय। दिनुगै बडा डॉक्टर आपरी पूरी टीम सागै वार्ड मांय भरती मरीजां नै चैक करण सारू आया। प्रियंका कन्नै पूग्या तो किसन अर लिछमी दोनूं खड़ा हा। बुखार चैक करण सारू माथै पर हाथ लगायो।

– अबै इणरै ठीक है, बुखार उतरग्यो।

– थांरी किरपा है डॉक्टर साब।

– सब भगवान री मरजी है।

– म्हारा भगवान तो थे ई हो। म्हारी इण लाडो नै बचाय ली। इणरी मां री जान इण छोरी मांय अटक्योड़ी है।

– आज छुट्टी देय दैसां।

– आ तो ठीक है। बडे डॉक्टर प्रियंका रै माथै पर हाथ फेर्यो। प्रियंका आंख्यां खोली।

– अबै किंया लागै बेटी।

– ठीक है।

– माथो तो नीं दूखै।

– ना। पण अेक बात बताओ।

– कांई।

– थै खड़ा कठै हो?

– मतलब?

– थे म्हनै नीं दीखो। कोई नीं दीसै। आंख्यं अगै अंधारो है।  लिछमी उणरै कन्नै आयगी।

– प्रियंका, म्हैं तो थन्नै दीसूं।

 – ना मां, थारी आवाज सुणीजै।  लिछमी पाछी डॉक्टर कांनी मुड़ी।

– ओ कांई हुयग्यो डॉक्टर साब। इणनै दीसै क्यूं नीं।

– थे चिंता ना करो। म्हैं अबार दैखूं।बडे डॉक्टर रै सागै आळा छोटा डॉक्टर भी चिंता मांय पड़ग्या। टॉर्च लेरय’र उण री आंख्यंा देखी। बडे डॉक्टर आपरै कन्नै खड़े अेक छोटे डॉक्टर नै कैयो।

– आंख्यां रै डॉक्टर नै बुलावो। उण डॉक्टर मोबाइल निकाळ्यो अर आख्यां  रै डॉक्टर नै फोन कर दीयो। सगळां रै चैरै माथै अचंभो हो। लिछमी अर किसन आकळ-बाकळ हा। प्रियंका रोवण लागगी। मां उण रै माथै पर हाथ फेरण लागगी।

– रो मत बेटा। डॉक्टर साब आंख्यां आळै डॉक्टर नै बुलायो है। ठावस राख। थोड़ी ताळ मांय ई आंख्यां रो डॉक्टर आयग्यो। उण नै डॉक्टर सगळी बात बताई। बो सागै टार्च दूजो की सामान लायो। उण सूं आंख्यां चैक करण लागग्यो। बाकी सगळा डॉक्टर कन्नै खड़ा रैया। थोड़ी ताळ जांच कर’र डॉक्टर इलाज री पर्चियां देखी। फैरूं टाबरां आळै बडे डॉक्टर कांनी मुडिय़ो। – इण री आख्यां री रोसनी गई परी।

– पण किंयां?

– कारण तो समझ नीं आयो। बीच मांय लिछमी बोली। बीच मांय लिछमी बोली।

– अस्पताळ आई तद तो इणनै सब निजर आंवतो हो।  टाबरां आळै डॉक्टर लिछमी नै कैयो।

– थे चुप रैवो। म्हैं इण सूं बात करूं।  आपां साइड रूम मांय चालां। आ केय’र आंख्यंा आळै डॉक्टर नै टाबरां आळो डॉक्टर साइड रूम मांय लेयग्यो।साइड रूप मांय डॉक्टर आपस मांय बातां करता रैया। थोड़ी ताळ बाद आंख्यां आळो डॉक्टर तो पाछो गयो परो पण टाबरां आळो डॉक्टर पाछो प्रियंका रै बेड कन्नै आयो। लिछमी अर किसन री बुरी हालत ही। उणां नै समझावणो सरू करियो डॉक्टर।

– बचपन सूं किणीं री आंख्यां मांय खराबी हुवै। थोड़ै बरसां बाद उणरी रोसनी धीमै-धीमै जावै परी। कैई बार दवायां सूं पाछी भी आय जावै। थे दवाई दो अर पन्दरै दिन बाद म्हनैं पाछो आय’र दिखाया। डॉक्टर दवा लिख दी। प्रियंका नै लेय’र  किसन अर लिछमी घरै आयग्या। पण मन मांय धीरज नीं हो। बेटी नै रोवंती देखता तो धीरज टूट जांवतो। डॉक्टर री बात माथै भरोसो कर दोनूं जणां प्रियंका नै ठावस दैंवता।  रात नै रोटी खांवती बगत लिछमी बात सरू करी।

– अेक बात बतावो।

– कांई?

– इयां कियां आंख्यां री रोसनी जाय सकै?

– अबै डॉक्टर कैवै है।

– म्हनैं आ बात नीं जची।

– आपां कांई कर सका हां?

– जै घणी जैज हुयगी तो बात हाथ मांय सूं निकळ जावैला। आपां नै पूरी ठा करणी चाइजै कै आंख्यां री रोसनी कियां गई।

– कुण हुसी आपां सागै?- आपरी लड़ाई खुद नै लड़णी पड़ै। छोरी रो धन है। उमर कियां निकळसी इण री।

– थूं बताय दै, आपां कांई करां?- म्हारै मन मांय अेक बात आई।

– बताव।

– डॉक्टर तो आपरै सागै रै डॉक्टर रो साथ देवैला।

– आ बात तो तय है।

– आपां गरीब हां, आपां री सुणणियो कोई दूजो नीं है।

– सई बात है।

– नेतावां तांई तो पूगणो घणो दोरो।

– पइसै आळा ई उणां तांई पूग सकै।

– अफसर तो राजा है, मिलै ई नीं।

– ठीक कैवै।

– इणा रै बाद भी म्हैं म्हारी प्रिंयका नै न्याव दिरावणो चावूं।

– पण रस्तो तो दीसै नीं।

– गरीब हां पण कमजोर नीं।

– गरीब रो सागो कोई नीं करै।

-करै, कैई हुवै जकां मांय राम बस्योड़ो है। उणां सूं मदद मिल सकै।

– च्यारूंमेर चोर बैठा है। चोर-चोर मासिया भाई। आपंा रै साथ नै कुण सुण सी। थूं घणी भोळी है लिछमी।

– इण जुग मांय भी है कैई, जका गरीब रै सागै रैवै। साच कैवण सूं नीं डरै।

– थूं  किण री बात करै है। बताव तो सई।

– म्हैं अखबार आळां री बात करूं। रोज अखबारं मांय गरीब सागै हुयोड़ी बात आवै। अर राज नै मदद करणी पड़ै।

– थूं जाणै है कांई अखबार आळां नै।

– म्हैं अेक पत्रकार नै जाणूं।

– किंया।

– बो आपांरी इण कच्ची बस्ती मांय आयो हो। आपां री अबखाई माथै उण अखबार मांय खबर लिखी। उण सूं ई पीवण रो पाणी आयो। नाळ्यां बणी। म्हनैं याद है। आपां उणनै बतावां।

– म्हनैं याद आयग्यो। उण दिन पैली बार थांरो फोटू छपियो।

– उण कन्नै चालां।

– पण बो मिलसी कियां।

– सिंझ्यां बाद अखबार रै दफ्तर मायं मिलै। बठै ई चालसां।

– नेक काम मांय देरी किण बात री। अबार ई चालां। अखबार आळां रो तो अबार दिन है। इणी बगत तो काम करै।

– प्रियंका नै सागै लेय’र चालां। अस्पताळ रा सगळा रुक्का सागै लेय लां। दोनूं जणा तय कर ली। लिछमी खाणो नीं खायो। कैयो, पाछी आय’र खावूंला। तीनूं जणां अखबार रै दफ्तर मांय पूगग्या। बो पत्रकार मिलग्यो। उणनै लिछमी सै बातां बताई।

– थारै सागै गलत हुई।

– आई म्हनैं लागै।

– डॉक्टर री गलती सूं आंख्यां री रोसनी गई है, म्हनैं तो आई लागै।

– म्हारी सुणणियो कोई नीं है। इणी खातर थांरै कन्नै आया हां। इण छोरी नै देखो जे आंख्यां री रोसन नीं आई तो जूण कियां निकाळैला।

– म्हारी सुणणियो कोई नीं है। इणी खातर थांरै कन्नै आया हां। इण छोरी नै देखो जे आंख्यां री रोसन नीं आई तो जूण कियां निकाळैला। किसन अर लिछमी उण पत्रकार रा पग पकड़ लिया।

– ना, ना। इयां ना करो। साच नै उठावणो म्हारो काम है। म्हैं थांरै माथै कोई अहसान नीं करूं पूरी पड़ताळ करूंला अर खबर लगावूंला। इण प्रियंका नै न्याव दिरावणो म्हारो काम है। थां नै वादो करूं। म्हारै माथै भरोसो राख्या। कूड़ नै मिटावण रो काम ई अखबार करै। साच नै मनवावणो पड़ै, म्हैं मनवाऊंला।लिछमी अर किसन रै चैरै माथै चमक आयगी। प्रियंका खाली बात सुणती ही। उण भी पत्रकार नै हाथ जोड्य़ा। पत्रकार उणरै माथै पर हाथ राख्यो। पत्रकार प्रियंका री फोटू खैंची फैरूं मां-बाप सागै अेक फोटू ली। रुक्का री फोटू ली। अर भरोसो दरायो कै म्हैं इण बात नै अखबार मांय उठा सूं। लिछमी अर किसन आपरी बेटी नै लैय’र घरै आयग्या। दूजी कांनी पत्रकार उणी बगत सूं खबर री जांच पड़ताळ मांय लागग्यो। सब सूं पैला खुद आंख्या रै अेक बड़े डॉक्टर खन्नै गयो। उण्नै सारी बात बताई तद डॉक्टर बतायो।

– इण तरै सूं आंख्यां री रोसनी नीं जाय सकै।

– फेर कांई कारण हुयो हुवैला।

– म्हनै मरीज रा रुक्का दिखावो। पत्रकार आपरै मोबाइल मांय रुक्का रा खीच्योड़ा फोटू दिखाया। कैई ताळ डॉक्टर उणनै दैख्या। सब देख’र बोल्यो।

– इण छोरी री आंख्यां जलम सूं खराब नीं ही। .

– कियां हुई।

– निमोनिया रै इलाज री बगत दियोड़ी अेक गोळी सूं रोसनी गई है।

– इण रोसनी नै पाछो लायो जा सकै।

– हां। इलाज कराणो पड़ै। पइसा थोड़ा घणा लागै।

– म्हैं डॉक्टर साहब, इण गरीब नै न्याव दिरावणो चावूं।  डॉक्टर की नीं बोल्यो। बस चुप रैयो।

– थांरो कांई मानणो है।

– इण छोरी सागै गलत हुई। किणी भी तरै री खास दवाई दैवण सूं पैला मरीज री जांच करावणी चाइजै।

– थे पक्का हो नीं कै दवाई रो रिएक्सन है।

– अेकदम पक्को।

– म्हैं खबर मांय लिख सकूं हूं आ बात थारै नांव सूं।

– लिख सको।

– इण रो पाछो इलाज कठै हुवै।

– राजधानी मांय आंख्यां री बड़ी अस्पताळ है, उण मांय। डॉक्टर सूं बात कर’र पत्रकार पाछो दफ्तर आयग्यो। आपरै संपादक नै पूरी बात बताई। संपादक खबर सुण’र लिखण रो कैयो।

– आपां रो ओई काम है। गरब नै न्याव दिरावां। इण सूं ई लोगां मांय अखबार री साख बधै।

– म्हैं अेक्सपर्ट सूं राय कर ली। उणां रो वर्जन लेय लियो।

– इण तरै री गलती करणियै डॉक्टर नै सबक सिखावणो चाइजै।

– म्हैं खबर तैयार करूं। – करो। बैनर लगासां। प्रियंका री कहाणी पत्रकार पूरी खींच’र लिखी। कैई नूंवा पख खबर मांय सामी लायो। संपादक उणनै पेज तीन माथै बैनर लगायो। फोटुवां सूं पूरी खबर सजाई।खबर छपतां ई सहर मांय हाको माचग्यो। अस्पताळ मांय खलबळी हुयगी। हरअेक री जबान माथै प्रियंका रो नांव हो। कलेक्टर अस्पताळ आळां सूं पड़ूतर मांग्यो। डॉक्टरां री मीटिंग हुई अर अेक जांच कमेटी बणी। तीन दिन मांय कमेटी नै रिपोर्ट देवणी ही। लिछमी नै लाग्यो अजै तांई सांच जीवै। साच री हिमायत करणिया है। खबर रो असर उण टाबरां रै डॉक्टर माथै हुयो। अखबार चलावण आळा जका दूजै सहर मांय हा उणसूं परिचै निकाळ्यो। बात करी। पत्रकार सूं मिलण रो कैइज्यो। डॉक्टर साब पत्रकार सूं मिलण आयग्या। पैला परिचय दीयो, पत्रकार जाणग्यो। उण सवाल करियो।

– कियां आवणो हुयो।

– उण प्रियंका री खबर माथै बात करण सारू।

– खबर खोटी है कांई।

– म्हारी बात तो सुणो।

– खबर खरी है। इण खातर जांच कमेटी बणगी। अबै कांई कैवो।

– म्हैं थांरै अफसरां सूं बात करी।

– हां, आयो हो उणां रो फोन।

– उणी बाबत मिलण नै आयो।

– बोलो।

– कियां मामलो बैठ सकै। खबर नीं छपै।   पत्रकार थोड़ी ताळ सोचण लागग्यो। फैरूं बोल्यो।

– बात री सैटिंग तो हुय सकै।  पत्रकार री बात सुण’र डॉक्टर राजी हुयो।

– हुकुम करो। कांई सेवा करूं।

– सेवा करण री बात पक्की है नीं?

– एकदम पक्की। थै बताओ तो सई।

– एकदम पक्की। थै बताओ तो सई।

 – बात सूं पलट्या नां।

– पक्की बात है,नीं पलटू।

– म्हैं कैवूं जिकी सेवा करसो नीं?

– हां।

– फैरूं म्हैं खबर नीं लगाऊंला। नीं तो रोज प्रियंका अखबार मांय निजर आवैला। थांनै दिनुगै उठतै ई म्हारो अखबार दिखैला।

– म्हैं जाणूं, घणी बदनामी हुयसी अर सेवा नीं करी तो और हुसी। इण खातर कैवूं थांरी हरअेक बात मान सूं। थै बतावो।   थोड़ी ताळ चुप रैय पत्रकार बोलणो सरू करियो।

– प्रियंका रा मा बाप गरीब है। उणरो इलाज नीं कराय सकै। म्हैं ठा कर ली। उणरी आंख्यां रो इलाज राजधानी री आई हॉस्पिटल मांय हुय सकै। म्हैं चावूं थे उण रो इलाज करावो। प्रियंका री आंख्यां री रोसनी आवै, आई म्हारी सेवा है। उण डॉक्टर कन्नै दूजो उपाय नीं रैयो। हां भरी। प्रियंका अर उणरै मां-बाप सागै अेक डॉक्टर भेज्यो। इलाज करायो। सात दिनां मांय आंख्यां री रोसनी आयगी। पांच लाख सूं बैसी रुपिया लाग्या, बै डॉक्टर लगाया। पत्रकार उण दिन रै बाद बात भूलग्यो। अेक दिन ऑफिस मांय बैठो हो तद लिछमी, किसन अर प्रियंका आया। तीनूं जणां आय’र उण पत्रकार रा पग पकड़ लिया। तीनां री आंख्यां मांय सूं आंसू टप-टप पड़ता हा। पत्रकार गळगळो हुयग्यो। कीं नीं बोल्यो। पण तीनूं रै आसुंवां मांय साच री जोत साफ दीखती ही।

 

किरण राजपुरोहित ‘नितिला’

प्रस्तुति।

राजस्थानी में कई रचनावां लिखी है स्थानिय पत्र-पत्रिकावां में नित प्रकाशित हुवै राजस्थानी साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर से ‘ज्यूं सैंणी तितली’  किताब पर सांवर दईया पैली पोथी पुरस्कार । वीर दुर्गादास राठौड़ सम्मान कमला देवी सबलावत पुरस्कार डेह नागौर।

कहाणी :  बरंगो तावड़ो

वा उकतायगी ही। बगर कारण भीड़ में यूं अेकली उभी। अेकलै उभो रैवण रो कोई खास कारण होया करै। उण कारण सूं भाव-भंगिमा देखण आळै नै अपरोकी नीं लागै। पण उणरो उभणो कीं अपरोको लाग सकै क्यूं कै अैड़ो भाव उण रै उणियारै आ ही नीं रैयो है। वा तो फगत अठीनै-बठीनै बेकाम ,बगर कारण उण दुकानां रा उणियारा माथै आपरी उडती निजरां रा एंकर न्हाखै अर खांचै। हाथ आवै बोरियत रो अेक बोदो टुकड़ो।
हरेक दुकान रै बारलै छेड़ै टंगी चीजां नै यूं तो केई बर अर आज केई एंगल सूं दसियों बार जोय नै बोर होयगी ही। ओ सोधणो बगर काम ही हौ। क्यूं कै कोई कारण नीं हौ अठै उभो रैवण रो अर जोरांमरजी उभनै खुदनै कोई काम मांय लगावणो जरुरी हो जिणसूं दूजांनै लागै ‘क कोई जरुरी काम सूं अठै मझ बाजार मांय उभी है। बगर कारण यूं अठै यूं कोई उभया करै है कांई ??? इयां भली लुगाई रो उभणो कैड़ो लागै ?? केई विचार इण बाबत आवै अर जावै । वा उणा विचार नै पकड़नी नीं चावै। सोचण नै कीं भी सोचयो जाय सकै। चोखो अर भूंडो। सोच नै छुटी छोड दी बगर डोर री पतंग दांई….
….पण दुकांना नैं अजै ई लगोलग देखती जावै। सोचो कीं पण देखै वो ईज निजारो, वो ईज सामान,वै ईज चीजां, वै ईज उणियारा, वो ईज दुकांना रो खाको जको इत्ती बार देखयो जा चुकयौ ‘क उण माथै निजरां ई घसीजनैं जूनी होयगी। …..अर निजारो जूनै -पुराणै फ्रेम दांई मगसो अर साव मंदो। सगळै दुकानदारां रा अेक सा उणियारा। ठांण सूं लैंणसर बंध्या जिनावर लागै अर कदी जीवन रै संचा सूं काढयोड़ा अेक सरीखा रमेकड़ा।
यूं तौ वै ठाला उभा ग्राहकां नै अडीकता रैवे पण थळी आया ग्राहक नै देखतां ई यूं अभिनय करण लागै जांणै‘क पैलड़ौ ग्राहक आयौ जको पातरणो कराय गयौ है उण चीजां नै सांवटै है। दुकान में खूब बिक्री होवै ओ भरम पैदा करै। आयोड़ो ग्राहक उणनैं ठालो दुकानदार नीं समझलै इण कारण घणकरा औ नाटक करणौ पड़ै। अेकर नवै ग्राहक नै देखतां ई उछाह टपकै पण चीज नै नीं खरीदण रो उणरो लुक देखनै अेकदम मायूस होता जावै। अक्खड सो सामान पाछौ फिरोलण लागै। मन मांय उण खातर हजार कुनमुनाहट उमटै जकी नीं चावतां थकां ग्राहक नै जावण रौ इसारौ कर ही दै। ग्राहक जका भगवान है इण टैम ओ सोचै ‘क ‘दुकान आळै में चीज बेचणै रा गट्स कोनी‘ । इण कारण दूजी चीज री मांग करै ही कोनी अर बारै नीसरतो निजर आवै। दुकान आळौ जावता ग्राहक रै मौ‘रां पर तीखी निजर रा बाण छोडै पण उणसूं होवै कांई ???
ओ बाजार कांई पूरी दुनिया रो बाजार ही ग्राहकां नै अडीकै, लालच देवै पण मार्केट रो ग्राफ तो हेठै आयां ही जावै, ढबै ही कोनी। जरुरतंा घणी है पण ग्राहक जांणै बजारां सूं रूस गियौ होवै। बजारां में, मॉल में भीड़ पड़ै पण फेर भी मुनाफो कोनी। हर धंधो घाटै मांय ईज जावै। घर अर बाजार कांई ठा किण खंभै पर टिकया उभा है? च्यारुंमेर मंदी री हाय-हाय मची है। पण लोगां कनै अणुतौ पईसो वापरियो है। सिटी मांय तो दुकाना रै इंटीरिअर सारु करोड़ों रुपिया घालै पण ग्राहक उणसूं मोहित नीं होवै। आदमी पइसो खरच करणी चावै, बढ़िया सूं बढ़िया चीज खरीदणी चावै पण बाजार सूं का तौ निरास बावड़ै अर का जको ठगीज नै आवै। उणनै अब भरोसो है ‘क जकी दुकान जितरी चोखी है वो उत्तो ई प्रेम सूं उणरी जेब खाली कर न्हाखैला। मीठी छुरी दांई। चीज भलांई फुटरी होवै पण ठगीजण रो खटको जावै ई नीं अर बाजार सूं भरोसो उठतो जावै। ग्राहक कांई ठा किसो अलौकिक तत्व बाजार मांय सोधै है ठा नीं। पण बाजार बगर कियां सरै ? घरै तो कोई सी चीज नीं निपजै। कोई दूजी दुकान जोवै, पछै तीजी …हर बार दुकान सोधतौ,ठगीजतो जावै। बाजार, ग्राहक रो भरोसो खोस लियो पण अब बाजार ई खाली अर ग्राहक ही खाली।
कीं तीसेक साल पैला नैनकी दुकान पर उभा खरीददार ‘मिनख‘ नाम सूं अपणायस आळो दरजो पातो पण अब सुंदरता अर भरोसाहीण चासणी जैड़ी एयर इंडिया मुस्कान ‘ग्राहक‘ नै झांसो देवण री खेचल मांय ईज कूटनीति चालां चालता रैवे, मीटिंगा करै, नित नवां जाळ री रचना करै। जाळ में बाजार खुद भी तो फसै ही है…… आखी दुनिया री चिंता दुकानदार रै उणियारै चिप जावै। तेज बाजतै डीजे सूं वो खुद सूं बारै आवै। समष्टि सूं व्यष्टि पर आवतौ माल पर बैठी रंजी नैं कपड़ै सूं झाड़ण लागै।
….बोरियत री अेक लहर पाछी आई अर उणनै उठा सूं व्हीर कर दी। ‘अर्बुदा‘ सूं चालनै पार्किंग रै नाकै पर बणयै माता जी रै मिंदर नैं हाथ जोड़ती धकै सांचरी। कोटी, उनी टोपी, हैंडीक्राफट, फैंसी री दुकान रै कनै सूं झील आळै रस्तै चाली। जीमणै कांनी मो‘टी भींत रै स्यारै लैंण सर गंदगी अटयोड़ी ही जिण लारै ‘स्वच्छ भारत अभियान ‘ फगत आधौ दिख रैयो हौ बाकी सगळा स्लोगन लांबी अकूरड़ी लारै छिप गिया हा। जीमणै कनली हर दुकान आळौ आपरी दुकान सूं सामान लेवण रो इसरार करतौ ‘कांई लेणौ है सा !!‘ रो जाळ बगावतो। जेबां मांय हाथ घालनै आपरी दुकान रै थळी उभा उठा सूं निकलतै हर अेक टूरिस्ट रै कांनां तांई औ स्लोगन पूगायां बगर नीं रैवे। हर दुकान सूं अै स्वर लहरियां आती रैयी अर वा चालती रैयी । इत्ता बरसां सूं उणनै आदत है इण बाजार री अर दुकान आळां री इण टेव- टेर री भी। वा सुणयो अणसुणयो करती धकै बधती गई। पण इण दुकाना री मांयली रचना याद हूगी है, रटीजगी है। आं दुकान मांयली चीजां रौ क्रम उणरै रटियोड़ो है। बगर देखयां बता सकै ‘क कठीनै नैल पॉलिस पड़ी है अर कठीनै सफेद चूड़ो। कठै हैट पड़ी है अर कठै मोजा। कठै रामका री बंदूक पड़ी है अर कठै रमेकड़ा री कार। कठै कसीदा आळी फराक टंगी है अर कठै सलवार कुरतो।
….. ढाळ चढनै उपर झील कांनी जातो रस्तो ढाळ उतरनै खाडै मांय पड़तो अदृश्य होय जावै। पण वो रस्तो खाडा मांय नीं पड़़ै। वा सैंपड़तै उण पर चालती झील सूं जस्ट पैला आळै बाजार पूगी। उभगी अेक जागा देखनै। उभणौ ही हो। दूजो काम है ही तो कोनी । चीजां नै देखनै उणसूं जोरांमरजी बतळ करता बोर होवण रै इतर ओर कांई काम कोनी।
..औ अेक आम बाजार जैड़ौ सीन भी है। कपड़ा री, जूतां री , रमेकड़ां री , खाणा-पीणा री, रेस्टोरेंट , मैगी-आमलेट रा ठेला, पर्स-बैग री दुकानां हर जगयां लाधै पण औ हिल स्टेसन राजस्थान रो माउंट आबू है तो बाजार मांय कीं ओर दुकानां जुड़ जावै। क्रोषिया री फरांकां री , बंदूक-गन री , टैटू री, केई लारियां चूंड़ी-कचकोळी री, सस्ता-महंगा रमेकड़ा, बोर-अनार दाणा, मेंहदी रा छापा ,बंधेज रै दुपट्टा-साड़ियां री, जूती-मोजरी री, चाय री थड़ी, पाईनएपल-आंबा री फांक री , बोर-कैरुंदा री छाबां, लस्सी-जलजीरा री मटकियां, रबड़ी री गुल्फी, चावल दाणा पर नाम लिखण आळौ, चाबी छल्ला अर नेम प्लेट बणावण आळा री आद -आद। मैकडोलन सूं लेय‘ र पीजा हट री सीरिज अठै लाध जावै। खाली पड़यो सीसीडी भी है बॉलीवुड थीम बेस्ड रेस्टोंट भी। ‘ओढणा‘ रो बडो शो रूम है तौ उंधा पींपा पर झांबू,रानी मेवा अर रायणा री छाब लियां बैठी गमेतणयां भी। ‘अर्बुदा भोजनालय‘ है तौ कुईयाराम रो चना जोर गरम री गळा मांय घालयो रास सूं बंधो ओडो भी है। इंग्लैंड रिटर्न निशांत अर प्रेमिका लवमैरिज रो ‘ कैफे शिकीबो इंग्लिश‘ कॉफी हाउस भी है तो हैवमोर रो खाली पड़यो नाना भांत री आइसक्रीम री चमचमाट करती दुकान भी। शिकीबो में कॉफी रै सागै उठा सूं किताबां लेय पढ़णै अर घंटों गप-चर्चा आळौ इंग्लिश टें्रड भी है अर उणरी पत्नि री सलवार सूट-कुरता री डिस्प्ले दुकान भी है। पंजाबी ढाबा है तो छुकनी री अमरीकन मकिया उबाळती हांडी भी, मारवाड़ी भोजनालय रो हद चमकीलो बोर्ड है तो कुर्सी -टेबल ढाळयां ‘कस्तूरा हेयर सलून‘ रो पैन सूं लिखनै लटकायो ठप्पो भी पूरी जीजीविसा सूं उभौ है। मनीस भाई अर अनवर चाचा री किराये पर बाईक-स्कूटर देवण आळी ‘बास बाइक्स‘ भी है अर टाबरां री रमेकड़ा आळी कारां किराये देवण री दुकान भी। पचास लाख री गाडी जिण फर्राट सूं नीसरै उठै ई फैंसी देवासण री हाथलारी भी……
हाथलारी नैना-मोटा री दोय सीट आळी लारी होवै अर धक्कौ देय‘र चलावीजै। घणकरा नैना टाबर उणमें बैठनै राजी होवै। टाबर नै हाथलारी में बैठायनैं टाबर री मां जद मोबाइल सूं फोटो-वीडिया बणाती सागै चालती रीझती जावै, बलिहारी जावै तद फैंसी आपरै टाबरां नै रोटी री तिरसणा में चिन्ताबासी लारी नै धकेलती जावै। फैंसी सोचौ‘क हाथलारी में टाबर नीं उणरी रोटी बैठी है। पैला लारी आळी मजदूरी पर उणरो धणी आया करतो पण आजकालै वा ईज आया करै। धणी ओबाराम नै गा्रहक आपरा टाबर देता दोरा होवै । साढी छ फुट रा आदमी रै हाथां में लारी उंट रै मूंडा मांय जीरो लागै। अर डील-डौळ सूं वो लुटेरो । टाबर चिमक जाय अर लुगायां घोरका करती जोवै। अर उणनै खुदरा टाबर ई सांभणा को आवै नीं तो दूजांरा टाबरां नै कांई केवटै?
वो तो सदा टोरडा-घेटा चारया है। समै री मार रै कारण अठै आय पड़या नींतर आपरी ढाणियां मांय राजी-बाजी हा। घेटा रां बाल-बेचता, उधड़ी खेती करता। परसेवा री मीठी कमाई आदर्स कोपरेटिव बैंक मांय जमा करायनै चौन सूं सूत्या रैया। जाणयो‘क पैसा भेळा होवतां ही ढाणी मांय दस छींणा रो पक्को कमरो चिणवाय लेयसी। पण अेक दिन बरबाद होयनै ताळै लागोड़ै ऑफिस सांमै दूजां दाई खून रा आंसू बैवाय रैया हा। ऑफिस पर भाटा ई फेंकया …… पण कांई होवणो हौ? उण जैड़ा हजारुं बरबाद होया। उणरी अेकला री कुण सुणतो ? केई दिन आपरी बरबादी नै रोया-धोया अर रोटी रै फेर में पड़या अठै आय पूगा। वौ टोरडा-घेटा नै सांभतो अब मिनखां नै कियां सांभै? टोरडा अेक टिचकारी सूं समझै। अेक बुचकार रो दोगुणा असर होवै। घेटा सैकड़ूं अेकै सागै रैवे पर आपरी सींम नीं डाकै। अठै वौ मानखै बिचाळै डरपै। कांकड़ मंाय ऐवड़ सागै केई मील नाप आवतौ पण माउंट आबू रै मेन बाजार मांय उभता उणरौ काळजौ धूजै। ऐवड़ री सौ जोड़ी आंखा नै सावंट लेवतो पण अठै पचास जोड़ी आंख्या उणनै डाम चेपती लागै। मरतौ-पड़तौ सिंझया झुग्गी आयनै कीं बिसांयत लेवतो पण जक नीं पड़ती। कमाई साव ओछी होती। छेवट वा ईज काम पर आणो चालू करयो अर वौ झूंपड़ी मंाय दोरा-सोरा दिन भर टाबर सांभै। रोटी-बाटी सारु आटो होवै तौ रोटी बणायनै बाजार आवै नींतर पाणी पीयनै नीसर जावै। टाबरां नै रात री ठाडी बाटी पर मीठो या लूण चोपड़नै वैळावती जीमाय देवै। सिंझया रा अदोळी भरयो तेल अर पाव-अधेर आटो लेजावै अर पोय खावै। वा झुग्गी नैड़ै पूगै जणै टाबर समेत वो ई बेकली सूं अडीकै ज्यांणै दुनिया मांय अेकलौ है अर उणनै देखण सूं दुनिया मांय पाछो भरोसो वापरै।
….. बाजार री अै कहाणियां अर वै निजारा केई बार देख लिया है। आज अणुती बोर होवै। उणरा साबजी एसडीएम साब है जिणारो आबू मांय अक्सर ई दौरो होवै। अर वा सागै आय जावै। सुणती आई है‘क बोत चोखी जगै है आबू। अठै आयां मिनख नै सांयती मिळै। उणनै अठै आतां नै केई बरस होया। सांयती किसै खूंणै में मिळै? आज तांई सोधै है। ठेठ सूं ई साब जी पोस्टिंग आबू रै नैड़ी-तैड़ी रैयी । कोई न कोई कारण सूं उणा रो आणो होवै अर वा ही हर बार अेक नवी भांत सूं बोर होवण खातर सागै चली आवै। सांयती नीं सोधै अब। फगत घर री बोरियत सूं आखती होयनै अठै री बोरियत मांय आय पड़ै। बोरियत री टेव पड़गी है। नसो सो। इण बगर रैईजै ई नीं अर रैवणी चावै भी नीं। इण बिन ठौड़ नीं …इण बिन और नीं!!! बोरियत उणरी जिनगानी रो खास हिस्सो है।
अेकली घरै करै तो कांई करै ? किणनै रुखाळै अर किणरो काम करै ? साब जी रै तो प्रशासन आळा हजारुं काम । सांस लेवण नै फुरसत नीं । तनाव अर काम बस अै दो सबद ईज उणारी जबान पर रैवे। ओर कोई बात नीं। बोर होयगी है सुण सुणनै। दूजो कीं बोलै भी कांई ? घर में है कीं जिण पर बात करी जा सकै ? सूना भूतखाना सूं कांई बात पैदा होवै ? उणरी खुद री दिनचरया महाबोरिंग है। घरै नौकर चाकर है। उण सारु करणनै कोई काम नीं। कारीगरी रो कोई भी हुनर नीं। कोई दोस्त-साथण नीं अर कोई आण नीं कोई जाण नीं। फगत सांसा री पुतळी है। कांई करै?? समै नै कियां बितावै। उणरी जिंदगी में घणै सुख अर घणै दुख रै अलावा कीं कोनी। घणै सुख सूं वा धापनै काठी बोर होयगी है। दुख उणरो सास्वत है । उण पर सोचै ई कोनी। अेक कांनी साबजी महा बिजी अर बीजै कांनी वा महाफालतू। मॉल-दुकानां मांय कित्ती शॉपिंग करै ? काठी धापगी है। अर करै भी किण खातर? अैड़ो कुण है जिण खातर हेत सूं कीं खरीदै अर वौ लेयनै राजी होवै!! इण कारण शॅपिंग सूं औकगी है। उठा री चकाचौंध आळी दुनिया भांय-भांय करै। जीव रो खालीपन उठै जायनैं खदबद सीजण लागै जद गदबदिया जैड़ा फुटरा टाबर उणारी मांवा री गोदया मांय दिखै तद उणरी नसां खिंच जावै अर वा अणजाणी रीस मांय बळन लागै। अैड़ी रचनावां देखनै उणरो मगज चळपळाटी मचावै। कीं न कीं करण नै बेताब होवण लागै। इण कारण इणसूं परे रैवे।
खुदनै वा दुनिया पर अेक तरै रो भार मानै। जिणनै भगवान पईसो तो घणोई दियो पण सुख नीं…..औलाद रो सुख तकात नीं जको हर जिनावर अर जिनावर जैड़ा मिनखां नै सोरैसास मिल जावै । पण उण सारु तो अलभ्य चीज। इणी कारण हर बार साबजी सागै ई टूर पर चली आवै। अठै आयां सूं तकदीरां नीं बदळै….. अर ना ही मन बदळै!! फगत आण-जाण री खेचल सूं कीं टैम पास हो जावै। पर अठै आयनै ही कीं काम कोनी। निकामा हर जगयां निकामा ईज रैवे। अर अब तौ काम री टेव रैयी ही कोनी। कोई समै सासू कनै रैवती जद कीं बोछेड़ो करणो पड़तो पण वो ई मन मारनै करती। जोरांमरजी ही निभायो उणासूं। सासरै सूं धापनै साबजी री पोस्टिंग आळी जगै आयनै सांस ली । घराळा कीं नीं कैयो। इणी आस में ‘क स्यात् औलाद रो कीं सुख पल्लै लाग जावै। पण हुयो ओ ‘क रातदिन सागै रैवण सूं उदासीनता वापरगी। पण पल्लै कीं नी लागो। वा खाली ईज रैयी अर जिंदगी ई खाली । भांय-भायं करतो घर बगर राग रो साज बणनै रैय गियो। साब जी री जिंदगी सरकारी नौकरी रै काम रै कारण कट जावै नींतर तौ घरै अैड़ो कीं कोनी जिणनैं घर कैयो जाय। महंगी चीजां रो जमावड़ौ है फगत। पण वा कांई करै ?? कठै जी विलमावै….
….. अबै ई साब जी राजभवन मांय ऑफिस रै काम सूं गया है। होटल में अेकली कांई करती। उणां रै दोय घंटा रो काम है । सदा दांई वा होटल री बजाय अठै आयगी। इण भीड़ै मांय कीं तो बतळ होयसी भलांई बोरियत भरी ही होवो। मांयलै हाहाकार नै बारलै हाका-हो मांय घोळण री अेकर ओर कोसिस करसी …..
‘‘ ..आंटी चरखी, गुडिया रा बाल लेवो ?? आवाज री सफाई रै मांय पजयौ संकोच ध्यान खांचयो।
इण छोरै नै पैली वगत देखियो है। नवो है कांई? हिल स्टेसण रो चतुर खिलाड़ी तो नीं लागै। नयो हो स्यात इण फील्ड मांय इण कारण मोळो सो इसरार भी हो । सवाल रै लारै आंखा अरज सूं भरी ही। खयालां सूं बारै आयनै उण पर निजर जमाई। बारा-तेरह साल रो छोरो। कुचो होयोड़ा कपड़ा पण साफ-सुथरा। बाल बिखरयोड़ा पण दिनूंगै संवारया हा ऐड़ो लागो। गेहूंओ रंग। स्वर मांय अरज ही पर दयनीयता कोनी। जी सोरो होयो। हिलस्टेसनां माथै दयनीय मंगता टाबरां री जमात सूं वा यूं ही चिंतित रैवे। उणनै इण बात सूं सखत अफसोस है ‘क ओर तो सो कीं सावळ पण हिल स्टेसण आळा गरीब छोरां मांय मंगतपणौ अर लपकागिरी वापर जावै। निसरमा अर ठग बणता जावै। पूरी पीढ़ी अर पछै पूरी नसल री चिंता होवै।
पण इण री सरलता दाय आई।
हाथां मांय दस -बारह गुडिया रा बाल री थेलियां अर कीं रंग -बिरंगी चरखियां अर दूजा रमेकड़ा। सगळी टाबरां आळी चीजां!! …..दरद री रीळ सी चाली काळजा में । दुनिया री हर चीज उण कनैं है पण दुनिया री हर बात उण चीज री याद दिरावण री होड मांय लागी रैवे जकी उण कनैं……..नीं है। दुखियै नैं ओर दुखी करणौ। किताब मांय देखया पोस्टर बेबी जैड़ा फुटरा रुं रै फुंबा जैड़ा टाबरिया खयाल में निजर आया अर वा फेरुं गैरी उसांस न्हाखी। खुद रै सागै ई उण छोरा पर भी तरस आयो। उणरै ई कोई चीज री कमी है !! गोळ रोटी री !! निजरां उठा सूं अळघी नीं होई। उणनै जोवणो भलो लागै है। उण दोनां नै केई न केई चीज री अणुती दरकार है। जरुरतां नैरी है पण वै अटल है। इण बगर गुजारो नीं। पण छोरो समझणौ लागै है। मांगनै नीं खावै बल्कै कमायनै खावै। इण सूं कांई कमाई होवती होवैला? घर कियां चालै? टाबर री स्कूल री उमर है अर अठै मेहनत करै! कांई होयो अैड़ौ?? धिक है मां-बापां नै!
‘‘थारौ बाप कमावै कोनी कांई रे ? दारुड़ियो है कांई??‘‘
नीं चावतां थकां ई पैली बात पर ही तीर चढ गियो। क्यूं ???? नीं समझ सकी। इतरी जे‘ज चुप रैवण रो प्रभाव तो कोनी!
‘‘ आंटी ….चरखी लेलौ….दिन ढळण आळौ है।‘‘ उणरी बात पर कीं कैयो कोनी। विलखौ सो आपरी गांगरत गातौ रैयो।
अैड़ां लोगां री गत वा घणीई जांणै। आं टाबरां रा दारुड़िया बाप हर हालत में पीवै । लुगाई -टाबर भलांई भूखां मरौ पण रोज रात पीयां बगर नीं रैवे। स्कूल जैड़ी चीज रो तो दारुड़ियां नैं सोच होवै ही कोनी। टाबर भलांई रुळौ पण दारु पैला चाहिजै।
‘‘बता तो? थारी तौ स्कूल जावण री उमर है। कमाई तो थारै बाप नै करणी चायजै नीं। थनैं मजदूरी सारु मेलियो अर खुद दारु पीयनै घरै पड़यो होयसी…..कांई… ??? उणनैं कुरेदण री कुबद होयी।
अजेस ही कीं नीं बोलयो। टगमग जोवै फगत अर कदी अठी-उठी जोवता कीं सोधै।…स्यात इण बकवास बतळ सूं बत्ता ग्राहक प्यारा है जका रोटी देवाळ है। दूजो दिख जावै तो ठीक रैवे। नीं दिखै जित्तै इणसूं ईज आस है…………………
‘‘बता तौ सही ….चुप क्यूं है ?? भूख लागी है ?? जीमसी ???
बात में उणरी दरई रुचि नीं जाणनै छेवट उणरै खास मतलब री बात ईज बूझी।
‘‘चरखी लेलो ….रामका लेलो ….कीं तौ लेय लो । पछै जीम ले सूं ….अर …म्हारो….बापू ….तो…‘‘ कैतो अटक गियो।
‘‘कांई …बापू?……. कीं मत कैय धकै ….. .थारौ मूंडो बाप री करणी बोलै है??
तरस खावतां थकां ही बात खतम करणी चाही अर पर्स में चर्रर्ररर करतै मोबाइल नै संभालण लागी।
‘‘ बापू खिलाड़ी हो….ऐक्सीडेंट में पग कट गियो ….घरै है ….‘‘
सन्न सी सीटी बाजी मगज में।
पर्स में उछळती निजर पाछी उठै आय जमीं। हाथ पर्स में रैयो अर मन सरम सूं भर गियो। उणनै अफसोस होयो। खुदरी बोरियत नै सूळ करनै उणरै हिवड़ै खुबोय न्हाखी ही। उफ!!
दूजै पल काचै मन री खिंवता पर अचरज उमड़ियौ। केई ग्राहक उणरी गरीबी पर दीया जतावै । उणनैं इणसूं मतलब कोनी। लूका भावां सूं रोटी नीं बणै। उणनैं फगत चरखी लेवण आळा ग्राहक चाहिजै, रोटी चाहिजै आज री। फगत गोळ रोटी ।अठीनै-उठीनै देखतो अळगळाई करतौ बिकरी सारु टाबर आळा माईत सोधण लागौ जका अै चीजां लेय सकै। आपरै बाप रै दुख री होणी नै तो मान ली है। स्वीकार है। अब कोई मतलब कोनी चिंता अर सोच सूं। होयी जकी भुगतै है । अब बस गुजर बसर रो सवाल है।
केई वार अैड़ा सवाल बूझण आळा ग्राहकां सूं फेटो पड़ै। कद तांई दुखी सूरत बणावै अर दया सारु पल्लो मांडै? अै आंटी तो कीं नीं लेवै!दूजा ग्राहक मिळै तौ कीं पल्लै पड़ै। इयां कोरी बातां सूं कांई होवै। रोटी इयां हाथ नीं आवै।
…. छोरो अेक ईज लैण मंे सारो लेखो उणनैं झिलाय दियो अर पडूत्तरहीण कर दीयो । किण मूंडा सूं मां अर भाई-बहन रो बूझै। है जका घरै होवैला अर इणरी कमाई री बाट जोवता होवैला। अब तौ सौ बात री अेक बात रोटी है बाकी सगळी बात थूक उछाळ।
‘‘थूं अठै ई उभौ रैइजै। म्है आउं पाछी…..ढबजै। हौ कै ? आउं बस पांच मिनट में‘
कनै आळी दुकान पर जायनै कीं कैयो अर पाछी आयी।
‘‘ थूं यूं कर …..थारी ग्राहकी कर ….निजरां सांमी ईज रैयजै …म्है इसारो करुं जद बावड़जै। ‘‘
अणसमझ सो, अभरोसो करतो बात सुणया बगर दूजै कांनी लपकियो। साव ई खोटी करयो। लियो कीं कोनी फगत बातां रा फदका करिया। उंह !! अैड़ा ग्राहकां सूं भगवान बचावै।
सांझ सांमी दिन भागतो जावै हौ। वौ टूरिस्ट री भीड़ कांनी भाजयो।
उण ठौड़ उभी जोवती रैयी । अब उणरौ सगळो बाजार बस अेक वो छोरा हौ जिण पर निजरां रा अंकोड़िया अटकाय दिया।….. कठेई अेकला उभा टूरिस्ट या अेक टाबर आळै जोड़ै नै आपरो सामान दिखावतो अर अरज करतौ। दो-तीन बार सूं बत्तौ कोईनै नीं कैवतो। आ बात नोट करी। अर जकौ अेकर में थोड़ी ई गिनार नीं करै तौ मन मसोस नै दूजै कांनी चाल पड़ै। …..अेक जणो लारै सूं हेला पाड़नै गुडिया रा बाल रा चार पैकेट लिया। उणरो जीव सोरो होयो। कठैई हाथां सूं रमेकड़ा नीं लेवण रो ना रो इसारो आवतो अर कठेई माथौ धुणनैं अर कठेई पुकार पर ध्यान दीया बिनां। पण दो-तीन गा्रहकां पछै कोई न कोई टाबरां आळा माईत कीं न की लेय ही लेता। देखती दांण उणमें सोराई वापरती।
मैडम! पार्सल
पार्सल लेयनै उण नै हेलो करणी चायौ पण वो व्यापार में बिजी हो। कीं ताळ पछै थाकनै अठीनैं जोयो तो वा झट झालो दीयो।
उछळतौ कनै आयो जद कीं खुस हो। स्यात रोज सूं आज कीं चोखी कमाई होवैली। उणरै उणियारा निजर गढ़ावतां वो पार्सल उण आगी करयो।
‘‘ लै ओ खाणो है। थै सगळा घर रा औ जीम लीजौ।‘‘ उणनै हाथ में थमावतां कैयो।
अनायास ही झेलीज गियो। अेक ठहरी निजर पार्सल पर न्हाखी । स्यात घरै बैठा मां-बापू भाई -बहनां नैं याद करयो होवैला। या स्यात दिनूंगै सूं अब तांई कांई खायो …..या पछै बापू री हालत नै…..मां नै रोटी सारु खटकरम करतां नै…..नैनी बहन नै जकी बारणा पर उभी बचयोड़ी फरियां अर गुडिया बाळां नै अडीकै….. या ओर कीं दूजो??
मोबाइल बाजयो। काढनै जोयो ….साबजी रो कॉल आवै हो। वा मुड़गी जावण सारु।
‘ आं…………टी !!…..
पुकार सूं मुड़नो पड़यो। ‘आं‘ इत्तो लांबो करनै कैयो ‘क ‘मां‘ सुणीज गियो। मुड़या पछै ‘..टी‘ रो भचीड़ लागो।
‘‘……चरखी रमेकड़ा कीं तो ले लौ….गुडिया रा बाल…..आपरै टाबरां खातर ……‘‘
अेकर फेरुं तीखी ल्हैर काळजो चीरती पार होई। हजारुं अणभव है अैड़े तीरां रा। घाव है काळजै मांय उंडा-उंडा। फेर भी जीवै है…..अस्सी घावां सूं बत्तो दरद हर घड़ी जीवै।
‘‘ …किण खातर लेउं??? ….गैलो है थूं!!! टाबरां नै अठै सागै थोड़ी लाई हूं…..वै तौ घरै पढ़ायां करै । यूं टाबरां नैं सागै लियां थोड़ी फिरीजै।….. ओ खाणौ थै सगळा भाई बहन जीम लीजौ । ठीक है?‘‘ कैवतां मुड़गी। खुली आंखा आपरै कैया इण सबदां रै सुख नै देखण लागी। मन री हजार किरचां सांवटी।
‘ टाबरां नैं अठै सागै थोड़ी लाई हूं। वै तौ घरै पढ़ायां करै ‘ खुद रै मूंडै कैयोड़ी बात उणनैं मां बणाय दी!! ठंडी चंदण सोरम सूं मन रो सूखौ आळो पांगरयो। उणमें मगन सुधबुध गमावती चालती रैयी।
‘‘ आं……………टी ‘‘
आखर रो धोखो पाछो लारै आयगो। सपना सूं जगाय दी। हे! राम । अब कांई चाहिजै? छोरा रो लालच बध गियौ दिखै। भोजन सूं बत्तो कांई देउं उणनै।
‘‘आंटी कीं तौ खरीद लौ….गुडिया रा बाल ….‘‘ पार्सल अेक हाथ सूं अर दूजै सूं सामान सांभतो बोलियो।
‘‘…सुणयो कोनी तू?? ………मनै रमेकड़ा नीं चाहिजै। चकरी भी नीं अर …दूजा कीं नीं चाहिजै। ….‘‘ आखती होयनै कैवणो पड़यो। उणरा टाबर होवता तौ वा इण सूं खूब सारा रमेकड़ा लेती।
दुमणो सो वो अेकर पार्सल नै देखियो अर अेकर उणनै। अठीनैं-बठीनैं देखतौ कीं अणबूझ रैयो।
ओ लारो छोडै तो वा जावै।अेक घड़ी …दो घड़ी नीसरी …..
दूजै छिण फलांगतौ सो दिखयो। दसेक मीटर सड़क रै उण छेड़ै नीमड़ै रै कनै पूगो। उठै दुबळी सी भिखारण बैठी ही। तीन नैना टाबर उणरै औळै -दोळै रमता हा। फाटयोड़ा गाभा …अर मैल सूं भरया। पार्सल हेठै रखनै तीन फर्रियां,दो रमेकड़ा अर दोय गुड़िया रा बाल पकड़ाया उणांनै। वै टाबर समझ नीं सकया ‘क जिण रमेकड़ां नै फगत देखनै राजी होवै, गुडिया बाल नै देखनै सोचौ ‘क आ कांई चीज होयसी ….वै चीजां आज बगर मांगया ही हाथ मांय आय ढबी। टाबरां री मां स्यात इण भांत मेहरबानी री री हेवा ही। लेयनै चट दैणी टाबरां नै खुवावण लागी। टाबर बल्ल्यिों उछळनै ताळी बजाई।
टाबरां रा भाव जोवणनैं उणनैं वेळा नीं ही। उंधै पगां बावड़ियो। भाजतो हांफीजतो आंखां मिचमिची करतौ बोल्यो…
‘‘…..ऐक्सीडेंट में …म्है अर बापू ईज बचया…..मां अर बहनां… कोई नीं बची …..खाई सूं बारै ई नीं काढिजयो

 

नगेन्द्र नारायण किराड़ू,   मोबाइल नम्बर 9460890205

राजस्थानी अर हिन्दी में कवितावां-कहाणियां लिखै साथै चोखा चित्रकार भी है। कई पत्र-पत्रिकावां में लेखनी प्रकाशित हूवै। अबार आपरे पिताजी स्व. भगवान दास किराड़ू रे साहित्य ने आम जन तक पहुचाणें रा लक्ष्य हाथां मे ले राख्यो है। रोजगार विभाग में काम करै है।

कविता  : खेजड़ली

खेजड़ी म्हनै
थांसूं घणी आस
तपती लुआं बाजै इत्ती
ओ खीरा फेंकतो तावड़ो
कुण मिटावै थारी प्यास
थारै ऊपर उगै है मेवो
सांगरी, खोखा हर कोई लेवो
तू ना हारी तू ना मिटी
ऊनाळो क्या सियाळो
थारो मिटा सकै ना मान
खेजड़ी तू म्हारो अभिमान

पंखी पंखेरू और मानखो
थूं ई दीनी छांव घणी
म्हां लोगां री खातर
थूं तो अपने आप बणी
खेजड़ी म्हनै
थांसूं आस घणी
तू अडिग है तू असल है
खाली बिरखा मिटावै
थारी प्यास
खड़ी रैवै अेकली
सगळी रितुआं नैं तूं समेटली
जातोड़ै बटाऊ री तू है खास
खेजड़ी म्हनै
थांसूं आस घणी।

कविता  :  चैन

हूं जीणो चाऊं
रेल गाड़ी दांई
आपरै गेलै चालणों
जठै ठैरणो है
उठै रुकणो
नीं ठोड़
उठै बुई जा
पण कांई करूं
केई कुबधी लोग
बिना मतलब ई
चैन खांच देवै
बेचैन कर देवै
म्हनै पथ सूं
भटकाणो चावै
रोकणो चावै
पण हूं नीं रूकूंला
नीं भटकूंला
क्यूंकै म्हारी गाड़ी
मांय ब्रेक नीं है