श्रीगंगानगर।  हाईकोर्ट में कब्जेधारकों के खिलाफ जनहित याचिका का आदेश पारित होने के बाद जिला कलक्टर की अगुवाई में प्रशासन ने शहर के तीन मुख्य मार्गों पर अतिक्रमण हटाने की मुहिम चलाई लेकिन पांच महीने बाद ही कब्जेधारकों ने वहां फिर से अतिक्रमण जमा लिए है।  भवन और दुकान मालिकों ने अपने फिर से चबूतरों को संवारने का दौर शुरू कर दिया है। तीनों मार्गों पर 674 भवनों के आगे कब्जे तोड़े और तुड़वाए गए थे। अब इनमें अधिकांश ने फिर से वहां सेप्टिक टैंक और चबूतरों का निर्माण शुरू कर दिया है।

हाईकोर्ट को भेजेंगे दुबारा कब्जे की सूची 

जिन लोगों ने कब्जे किए है, उनकी सूची बनाकर हाईकोर्ट में पेश की जाएगी। नगर पालिका एक्ट की धारा 245 में एफआईआर का भीप्रावधान है। इस संबंध में नगर परिषद प्रशासन से फीडबैक लेकर सूचीमांगेंगे। –पीसी किशन, जिला कलक्टर 

लक्कड़मंडी टी प्वाइंट से सुखाडि़या सर्किल तक इस मार्ग पर जिला प्रशासन ने शहर में हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण तोडऩे का श्री गणेश किया। इस नेशनल हाईवे की ऑन रिकॉर्ड चौड़ाई 100 फीट थी लेकिन हकीकत में यह 82 फीट चौड़ी रह गई। नगरपरिषद की टीम ने 245 भवनों के आगे अतिक्रमण चिह्नित किए। अतिक्रमण हटाने की अवधि पांच महीने बीती तो दुकानदारों और भवन मालिकों ने अपने हिसाब से फिर से पक्के निर्माण कर लिए है।

सुखाडि़या सर्किल रामलीला मैदान  से हरमिलापी कॉलोनी कॉर्नर तक इस रोड पर नगरपरिषद सभापति अजय चांडक का आवास है। इस रोड पर 209 मकानों के आगे चबूतरों को अतिक्रमण की परिधि में माना। यह मार्ग ऑन रिकॉर्ड 50 फीट चौड़ा है जबकि हकीकत में वहां 32 फीट चौड़ी सड़क रह गई है। जिला प्रशासन ने इन कब्जे को तोड़ा तो लोगों ने खुद ही कब्जे हटाने लगे थे लेकिन अब फिर से घरों के आगे चबूतरे और सेफ्टी टैंक बनने लगे है।

पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर आवास वाली इस रोड की भी सरकारी रिकॉर्ड में चौड़ाई 50 फीट है लेकिन वहां 30 फीट चौड़ी हकीकत में रह गई है। नगरपरिषद अमले ने 211 मकान कब्जे के दायरे में माना और कब्जे तोडऩे की मुहिम चली। लेकिन अब वहां लोगों ने अपनी दुकानों और मकानों के आगे फिर से पक्के निर्माण इस कदर कर लिए है कि जिला प्रशासन का डंडा बेअसर हो चुका है।