नागौर।  महज कब्जा व रजिस्ट्री को आधार मानकर चिपती जमीन नहीं दी जा सकती, फिर भी दो-दो बार जमीन दी गई । सुनने में भले ही यह अजीब लगे लेकिन सौलह आना सच है। सूत्रों के अनुसार नगर परिषद में लम्बे समय से चिपती का खेल चल रहा था, जिसमें आम आदमी से लेकर कुछ जनप्रतिनिधि भी शामिल थे।

दो-दो बार दे दी जमीन 

सरकारी जमीन पर कब्जा कर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवाकर चिपती के नाम पर जमीन की बंदरबांट के खेल का नया मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार कुछ रसूखदार लोगों ने अपनी पहुंच का फायदा उठाते हुए कब्जा की गई जमीन की रजिस्ट्री करवाई और नगर परिषद कर्मचारियों की मिली भगत से नियम विरुद्ध चिपती जमीन ले ली। यहां तक कि  कई पत्रावलियां तो ऐसी भी हैं जिनमें एक ही व्यक्ति को दो बार चिपती जमीन दी गई।

बिना पावर किए हस्ताक्षर 

सूत्रों का कहना है कि कुछ लोगों ने तत्कालीन अधिकारियों की मिली भगत से शहर के लुहारपुरा, खसरा नम्बर ५३, मानासर, मूण्डवा चौराहा, हनुमान बाग, कृषि मंडी समेत शहर के एक दर्जन स्थानों पर करोड़ों की चिपती जमीन नियम विरुद्ध कोडिय़ों के दाम ले ली। वर्ष २०१२-१३ में करवाई गई रजिस्ट्री में जिस उप सभापति के हस्ताक्षर हैं, वह उस समय पद पर ही नहीं थे और उनका कार्यकाल २००९ में ही समाप्त हो गया था।

पट्टा निरस्त,फिर कैसे दी चिपती भूमि

नगर परिषद में अधिकारियों की शह पर चल रहे नियमन व चिपती के खेल का खुलासा होने पर लोगों ने प्रशासन से शिकायत की। जिसके बाद तत्कालीन कलक्टर ने अलग-अलग समय में दो बार पट्टा निरस्त कर दिया, इसके बावजूद तत्कालीन आयुक्त की लापरवाही व जनप्रतिनिधियों की मिली भगत से उसी जमीन के आधार पर चिपती भूमि हथिया ली।

चल रही है जांच 

हां, ऐसी कुछ शिकायत मिली है, जिनमें एक बार से अधिक नियम विरुद्ध चिपती जमीन बिना किसी आधार दी गई है। पत्रावलियों की जांच जारी है। आवश्यक होने पर मामला दर्ज करवाएंगे।