जनाब! सिर्फ 53 नहीं, सैकड़ों हैंडपंप हैं खराब



पाली। बीते रोज प्रभारी मंत्री राजेन्द्र राठौड़ की मौजूदगी में जब पीएचईडी के अधीक्षण अभियंता सुनील जोशी कहा था कि जिले के पानी की स्थिति ठीक है और 12 हजार हैंडपम्पों में से गिनती के हैंडपम्प ही खराब है। तब सुमेरपुर प्रधान राजेन्द्रङ्क्षसह को यह कहना पड़ा था कि ‘गलत आंकड़े मत पेश करो…।
विभाग का यह दावा

12,077 (कुल हैंडपम्प जिले में )
सर्वे किया
11,864 (शहरी/ग्रामीण)
सूखे हैंडपम्प
429 (शहरी/ग्रामीण)
परित्यक्त हैंडपम्प
412 (शहरी/ग्रामीण)
खराब हैंडपम्प
474 (शहरी/ग्रामीण)
मरम्मत किए गए हैंडपम्प
421 (शहरी/ग्रामीण)
(आंकड़े विभाग के अनुसार)
सुमेरपुर : डेढ़ किमी दूर से लाना पड़ रहा है पीने का पानी
पंचायत समिति क्षेत्र की 29 ग्राम पंचायतों में कुल 820 हैण्डपंप हैं। इनमें से 440 हैण्डपंप चालू स्थिति में हैं। इन ग्राम पंचायत क्षेत्रों में 283 हैण्डपंप खराब पड़े हैं। शेष बचे 97 हैण्डपंपों को पानी नहीं होने अथवा तकनीकी खराबी आने से नाकारा घोषित हंै। खराब हैण्डपंपों की मरम्मत का कार्य पंचायत समिति के कार्मिकों अथवा जलदाय विभाग की ओर से करवाया जाता है।
पंचायत को करवानी पड़ती है मरम्मत
पोमावा सरपंच कानाराम का कहना है कि सूचना देने के बावजूद कर्मचारी हैण्डपंप की मरम्मत करने नहीं आते हैं। हैण्डपंप कई दिनों तक खराब पड़ा रहता है। आखिरकार ग्राम पंचायत को निजी ठेकेदार से खराब पड़े हैण्ड पंप की मरम्मत करवानी पड़ती है। ठेकेदार को हैण्डपंप मरम्मत का निजी आय से आठ सौ से नौ सौ रुपए तक भुगतान करना पड़ता है। प्रधान राजेंद्र सिंह देवड़ा कहना है कि हैण्डपंपों की मरम्मत समय पर नहीं होती। अधिकारी बैठकों में झूठे आंकड़े पेश करते हैं।
29 पंचायतें और सिर्फ दो मिस्त्री
पंचायत समिति में हैण्डपंप मिस्त्री के पद पर तीन कर्मचारी नियुक्त हंै। एक कर्मचारी लम्बे समय से प्रतिनियुक्ति पर उपखण्ड कार्यालय में लगा है। शेष बचे दो कर्मचारियों को 29 ग्राम पंचायतों का जिम्मा सौंप रखा है। कर्मचारी यदि हैण्डपंप की मरम्मत करने चला भी जाए तो पाइप निकालने के लिए जनप्रतिनिधियों को श्रमिकों की व्यवस्था करनी पड़ती है।
रायपुर : हैंडपंपों की मरम्मत भी नहीं हो रही है यहां
रायपुर मारवाड़. भीषण गर्मी में क्षेत्र के ग्रामीणों के हलक तर करने में सहायक साबित होने वाले हैंडपम्पों तक ने जवाब देना शुरू कर दिया है।दरअसल, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की देखरेख में उपखण्ड क्षेत्र की 35 ग्राम पंचायतों में सालों पहले हैंडपम्प लगाए थे। गांव-ढाणी का दौरा किया तो गांवों में अधिकांश हैंडपम्प खराब हालत में मिले। मौके पर मिले टूटे-फूटे हैंडपम्पों में से अधिकांश तो तकनीकी खराबी से बंद है तो कइयों का जल स्तर कम होने जाने से नाकारा हो गए हैं। इन तकनीकी खराबी वाले हैंडपम्पों की मरम्मत कराने को लेकर संबधित गांवों के जनप्रतिनिधियों ने कई बार मांग उठाई लेकिन आज तक मरम्मत की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।
बर कस्बे में चार हैंडपंप खराब
बर कस्बे की बात करें तो यहां एक दर्जन से अधिक हैंडपम्प हैं। इनमें से चार हैंडपम्प खराब पड़े हैं। इनमें से कालूराम जी के मंदिर व महावीर कॉलोनी के हैंडपम्प की लगाने के बाद किसी ने सुध तक नहीं ली। यही वजह है कि चोरों ने भी कुछ पाट्र्स तक चुरा लिए।
पीएचईडी के एसई सुनील जोशी से सवाल
गांवों में हैंडपम्पों की क्या स्थिति है?
हमने जिले में 12077 में से 11,864 हैंडपम्पों का सर्वे करवाया। 474 में से 421 हैंडपम्पों को ठीक कर दिया है।
-खराब हैंडपम्पों को ठीक कराने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे?
एक अप्रेल से 40वां अभियान शुरू किया है। हर पंचायत समिति से एक टीम जुड़ी है, जो हैंडपम्पों की मरम्मत का काम कर रही है।