जानिए, क्यों फैसला सुनाने के बाद जज पेन की निब तोड़ते हैं



जयपुर। फिल्मों में मौत की सजा सुनाने के बाद न्यायाधीशों को पेन की निब को दबाकर तोड़ते हुए दिखाया जाता है। कानून में ऐसा कोई प्रावधान या नियम नहीं है जिसमें जज का निब तोड़ना जरुरी हो लेकिन भावनात्म और प्रतिकात्मक रूप से ऐसी कलम जिसने किसी की मौत लिखी हो उससे वापस उपयोग नहीं करने के लिए निब को तोड़ा जाता है।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रह चुके अजयकुमार जैन के मुताबिक, भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में मौत की सजा का प्रावधान है ऐसे मामले की सुनवाई डीजे स्तर के न्यायिक अधिकारी ही सुन सकते हैं सामान्यत न्यायिक अधिकारी जीवन के लिए फैसला देते हैं लेकिन जब उनको किसी के जीवन लेने का फैसला लेने के फैसले पर हस्ताक्षर करना होता है तो उस कलम या पैन का दुबारा उपयोग नहीं करे इसी मकसद से निब को तोड़ा दिया जाता है। वरिष्ठ फौजदारी मामले के वकील भंवर सिंह चौहान के मुताबिक, जजेज भावात्मक तरीके से इससे जुड़े होते है जिसकी वजह से ऐसा फैसला करने के बाद कलम का उपयोग नहीं करने के लिए पैन की निब को तोड़ दिया जाता है।

बदल रही परंपरा
हाईकोर्ट के न्यायाधीश रहे जस्टिस पानाचंद जैन के मुताबिक पहले स्यायी वाले निब के पैन उपयोग किए जाते थे इनके निब तोड़ने के बाद नए निब लगाकर उपयोग किए जा सकते थे लेकिन अब जैल या दूसरे पैन उपयोग में आने लगे हैं जिसकी वजह से पैन निब को तोड़ने की जगह नए पैन का उपयोग किया जाने लगा है।