बैंकाक में युनूस से बात नहीं करेंगे मोदी तो बढ़ेगा परंपरागत वोटर्स में उत्साह


हस्तक्षेप
– हरीश बी. शर्मा
बैंकाक में होने वाले बिम्सटेक सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांगलादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनूस के बीच मुलाकात की संभावनाएं क्षीण होती जा रही है। भारत ने इस मुलाकात से इंकार कर दिया है, जिसके अनेक कारणों में से जो बड़ा कारण है, वह बांगलादेश में सरकार शेख हसीना सरकार के तख्ता पलट होने के बाद वहां हुए हिंदुओं पर अत्याचार और उन्हें सरकार द्वारा किसी भी तरह का समर्थन नहीं देने की घटनाओं को माना जा रहा है। पिछले साल अगस्त में जब शेख हसीना का तख्ता पलट हुआ था, उसके बाद वे सीधे भारत आ गईं थीं। पहले ऐसी संभावनाएं थीं कि वे यहां पर सिर्फ कुछ देर के लिए आई है, फिर ये देर दिन में तब्दील हुई और अब तो हालात यह है कि शेख हसीना भारत से ही बयान भी जारी कर रही हैं।
बांगलादेश ने बार-बार शेख हसीना को सौंपने की मांग की है ताकि उन पर मुकदमा चलाया जा सके, लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया है, जिसे विदेश नीति के लिहाज से देखा जाए तो बड़ा कदम माना जा रहा है और भारत की इस दृढ़ता के बाद भी बांगलादेश कुछ भी कर नहीं पा रहा है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के कमान संभालने के बाद बांगलादेश के लिए नई मुसीबत खड़ी हो चुकी है, क्योंकि ट्रंप युनूस को पसंद नहीं करते। ऐसे में भारत में शेख हसीना को दी गई पनाह को भी सोचने के लिए एक नया एंगल मिलता है। हालांकि, बांगलादेश को चीन से शह मिली हुई हैं, लेकिन भारत ने इस शह को मात देने के लिए ही शेख हसीना को भारत में रखे रखा है, क्योंकि भले ही हालात बदल गये हों, लेकिन बांगलादेश से शेख हसीना के समर्थकों को सफाया नहीं हुआ है। शेख हसीना भी समय-समय पर कहती रहीं हैं कि धैर्य के साथ समय का इंतजार करो। चीन अमेरिका के लिए भी परेशानी का सबब है और भारत के लिए तो हर बार चीन से बड़ी चुनौती मिलती रही है। बांगलादेश का चीन के प्रति झुकाव भारत की चुनौतियों को बढ़ाने वाला है, लेकिन इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो युनूस का रुख भारत के प्रति कभी नरम होने वाला नहीं है।
वहां हिंदुओं के साथ हुए अत्याचारों के दौरान अंतरिम सरकार की चुप्पी ने यह साबित कर दिया है, ऐसे में बैंकाक में होने वाली बिम्सटेक सम्मेलन ने मोदी युनूस से बात करेंगे, यह सामान्य निर्णय नहीं होगा और अगर वाकई मोदी ने युनूस से बात नहीं की तो इस पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया आने की संभावना है।
दरअसल, बंगाल की खाड़ी के आसपास बसे हुए देशों के संगठन का नाम बिम्सटेक है, जिसमें भारत सहित श्रीलंका, बांगलादेश, नेपाल, भूटान, म्यानमार, थाईलैंड शामिल है। ये देश आपसी हितों के मामलों में सहयोग करने के लिए संकल्पित हैं। आपस में आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध इन देशों के बीच राजनयिक मुद्दों पर होने वाली बात का स्तर क्या होता है और आपस में एक-दूसरे की बात को मानने के लिए क्या गुंजाइश रहती है, यह तो तब देखा जाएगा जब मोदी युनूस के साथ बातचीत के लिए राजी होंगे।
बहरहाल, इतना साफ है कि नरेंद्र मोदी अगर युनूस से बात करने में रुचि नहीं दिखाते हैं और आखिर तक बात नहीं करते हैं तो उनके परंपरागत वोटर को उत्साह का एक अवसर जरूर मिलेगा।
‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।