राजेंद्र राठौड़ कैसे लगेंगे सरकार के एक साल पूर्ण होने के कार्यक्रम आयोजित करवाते हुए
हस्तक्षेप
– हरीश बी. शर्मा
कभी नेक्स्ट-टू-सीएम कहे जाने वाले वाले राजेंद्र राठौड़ आने वाले एक साल तक सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने वाले कार्यक्रमों के आयोजन करवाएंगे। भाजपा ने उन्हें इस कार्यक्रम के संयोजक का दायित्व सौंपा है। यहां एक सवाल उभरता है कि क्या राजेंद्र राठौड़ जैसे कद के नेता के लिए यह दायित्व उचित है? संगठन की बात करें तो यह सामान्य बात लगेगी। जब कार्यक्रम ही तय है और यह भी तय है कि इसका एक संयोजक बनाया जाना है तो ऐसे नेता को ही कमान क्यों न दी जाए जिसके पास अनुभवों का खजाना है। मैदान से लेकर वार-रूम की राजनीति तक में सिद्धहस्त राजेंद्र राठौड़ ने न सिर्फ कांग्रेस से बल्कि अपनी पार्टी की अंदरूनी राजनीति के चलते बड़े-बड़े दिग्गजों से जमकर लोहा लिया है। उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी है। विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी वे कुंदन की तरह बाहर निकले हैं। ऐसे में सरकार के कामकाजों की जानकारी जनता तक पहुंचाने के लिए चलाए जाने वाले कार्यक्रम के संयोजक के रूप में उनका नाम आना कोई बुरी बात नहीं है।
निश्चित रूप से बुरी बात नहीं है। अगर इस तरह के दायित्व को देकर राजेंद्र राठौड़ को मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन ऐसा तो है नहीं। सिर्फ विधानसभा चुनाव हारने भर से राजेंद्र राठौड़ मुख्यधारा से बाहर हो गए हों, ऐसा हुआ तो नहीं है।
यह जरूर है कि लोकसभा चुनाव में उन पर आरोप लगा कि राजस्थान की कुछ सीटों पर उनकी वजह से जाट वोट भाजपा के खिलाफ पड़े। राहुल कस्वां की टिकट कटने और देवेंद्र झाझडिय़ा को टिकट दिए जाने के मामले में राजेंद्र राठौड़ निशाने पर रहे।
हालांकि इससे उनकी शक्ति ही बढ़ी, क्योंकि इसके बाद राजेंद्र राठौड़ पर कोई ऐसी कार्रवाई नहीं हुई, जिससे लगे कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्त्व उनसे नाराज है बल्कि उन्हें नया काम दिया गया है, जिससे यह भी संदेश जा रहा है कि संगठन ने उन्हें किनारे नहीं रखा है। एक कार्यक्रम का संयोजक बनाकर उनकी वरिष्ठता का सम्मान ही किया है।
लेकिन सवाल इसी वरिष्ठता का है, जिसकी वजह से लगता है कि यह पद राजेंद्र राठौड़ के कद से छोटा है। यह काम तो कोई भी कर सकता है। फिर इस काम में करने जैसा कुछ है भी नहीं। अगर यह कोई ऐसा काम होता, जिसमें यह बताना होता कि सरकार को कैसे काम करना है, तब तो उन पर फबता भी। दुनिया को बताना है कि सरकार क्या कर रही है तो इसमें ऐसा कोई नयापन नहीं है।
राजेंद्र राठौड़ को सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित करवाए जाने वाले कार्यक्रमों का दायित्व दिया गया है। एक ऐसी सरकार जिसमें अधिकांश विधायक उनसे जूनियर हैं, उस सरकार के लिए राजेंद्र राठौड़ का नाम अटपटा है। भले ही राठौड़ के समर्थक इससे खुश नजर आएं कि उन्हें कोई काम तो मिला, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह बहस शुरू होने वाली है कि इस तरह का काम करते हुए राठौड़ कब तक सहज रह पाएंगे। खासतौर से यह सवाल उन परिस्थितियों के लिए है जब यह कहा जा रहा है कि यह नई भाजपा है, जिसमें पुरानों की कोई जरूरत नहीं है।
‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।