लॉयन न्यूज, नेटवर्क।  भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के जाने के साथ ही तीसरी लहर सक्रिय होने के अनुमान लगाये जाने लगे हैं। इसी संबंध में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने टीकाकरण के बाद कोविड संक्रमण होने के कारणों को समझने के लिए अध्ययन किया। अध्ययन के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविड वैक्सीन ले चुके केवल 10 फीसदी लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। इतना ही नहीं वैक्सीनेशन कर चुके लोगों में मौत का आंकड़ा 0.4 फीसदी के करीब का हो सकता है।
इस अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड संक्रमण से बचे रहने के लिए वैक्सीनेशन सबसे जबरदस्त उपाय हो सकता है। सभी लोगों को टीकाकरण जरूर कराना चाहिए। देश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर से सुरक्षा देने में वैक्सीनेश ही एकमात्र उपाय हो सकता है।

तमाम राज्यों से प्राप्त सैंपलों का किया गया अध्ययन
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से टीकाकरण के बाद सकारात्मक परीक्षण वाले सैंपलों को एकत्रित किया। इसमें कुल 482 में से 71 फीसदी लोगों को एक या अधिक लक्षणों के साथ सिम्टोमैटिक लक्षण थे, वहीं 29 फीसदी लोगों में एसिम्टोमैटिक मामलों की पुष्टि हुई। शोधकर्ताओं का कहना है कि टीकाकरण कराने के बाद यदि आप बचाव के उपायों को प्रयोग में नहीं लाते हैं तो कोविड स संक्रमित होने का खतरा बढ़ सकता है। टीकाकरण, रोग की गंभीरता से बचा सकता है, संक्रमण से नहीं।

वैक्सीनेशन करा चुके लोगों में कोरोना के लक्षण
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि टीकाकरण के बाद जिन लोगों में सकारात्मक परीक्षण किए गए उनमें बुखार सबसे आम लक्षण था। इसके अलावा रोगियों को सिरदर्द और मतली, खांसी, गले में खराश, गंध और स्वाद की कमी, दस्त, सांस फूलने की समस्या हो सकती है। वहीं कुछ लोगों में आंखों में जलन और लालिमा सहित शरीर में दर्द की समस्या का भी निदान किया गया।

डेल्टा वैरिएंट अभी भी फैला रहा है संक्रमण
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया गया कि भारत के दक्षिणी, पश्चिमी, पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों से डेल्टा और कप्पा वैरिएंट से संक्रमण के मामले देखने को मिले। वहीं देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में अल्फा, डेल्टा और कप्पा वेरिएंट के कारण संक्रमण के मामलों के बारे में पता चला। शोधकर्ताओं ने बताया कि देश में फिलहाल संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले (86.09%) डेल्टा वैरिएंट के कारण देखे जा रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर के लिए भी इसी वैरिएंट को मुख्य कारण माना जा रहा है।

कोरोना का डेल्टा वैरिएंट
कोरोना का डेल्टा वैरिएंट (बी.1.617.2) मूल वैरिएंट का म्यूटेटेड स्वरूप है। भारत में इस साल की शुरुआत में इस वैरिएंट के मामले सबसे पहले सामने आए। कई अध्ययनों से पता चलता है कि यह म्यूटेटेड वायरस काफी संक्रामक हो सकता है। भारत में दूसरी लहर में दिखी तबाही के लिए इसी वैरिएंट को प्रमुख कारण के रूप में देखा जा रहा है। इसकी संक्रामकता को देखते हुए  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न के रूप में वर्गीकृत किया है। कुछ रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है कि दुनियाभर में दी जा रही वैक्सीन कोरोना के इस वैरिएंट के खिलाफ आठ गुना तक कम प्रभावी हो सकती हैं। हाल के दिनों में यूके और इजऱाइल में डेल्टा वैरिएंट के कारण ही कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।