हमारे किसान परेशान, पानी जा रहा पड़ोसी देश



हनुमानगढ़। . सरकार की लापरवाही से राज्य में खेती पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। मगर हालात सुधारने को अब तक ठोस प्रयास नहीं हो रहे। इसके कारण भविष्य में खतरे और बढऩे के संकेत हैं। हालत यह है कि हरिके बैराज के पुराने गेट को बदलने के प्रति भी कोई सरकार गंभीर नहीं हो रही। अप्रेल में पंजाब ने इस कार्य के लिए नहरबंदी का प्रस्ताव लाकर हलचल जरूर पैदा कर दी। लेकिन चुनावी फायदे के चलते उसने नहरबंदी का निर्णय अचानक वापस ले लिया। इसके कारण इस वर्ष भी हरिके बैराज के पुनरोद्धार का काम नहीं हो सका। इसका खमियाजा राजस्थान को फिर भुगतना पड़ेगा। स्थिति यह है कि सरकार की अनदेखी के चलते हरिके बैराज क्षेत्र में मानसून में भारी मात्रा में पानी की आवक के बाद भी लाखों क्यूसेक डेज पानी हर वर्ष पाकिस्तान की ओर चला जाता है। जानकार कहते हैं कि हरिके बैराज पर मरम्मत कार्य व इंदिरागांधी मुख्य नहर की रीलाइनिंग हो जाए तो काफी पानी का उपयोग राजस्थान कर सकेगा। लेकिन करीब 50 वर्षों में नियोजित प्रयास नहीं होने के चलते स्थिति सुधरने की बजाय बिगडऩे लगी है। आंकड़ों पर नजर डालें तो गत आठ वर्ष में हरिके हैड से करीब 60 लाख क्यूसेक डेज पानी पाकिस्तान क्षेत्र में प्रवाहित किया गया। जबकि राजस्थान के किसान सिंचाई पानी के लिए हर वर्ष गर्मी के मौसम में संघर्ष करने को मजबूर होते हैं। इस वर्ष इंदिरागांधी नहर क्षेत्र के किसानों को खरीफ बिजाई के लिए सिंचाई पानी मिलेगा या नहीं, इस पर असमंजस की स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही। जल संसाधन विभाग के अधिकारी इस बात को मानते हैं कि पाकिस्तान जाने वाले पानी का उचित भंडारण यदि राजस्थान क्षेत्र में कर लिया जाए तो भविष्य में जल संकट की स्थिति से बहुत हद तक बचा जा सकता है। नहीं तो एटा-सिंगरासर माइनर जैसे कई और आंदोलन प्रदेश में हो सकते हैं।
कितना पानी पाक

गत आठ वर्ष मेें हरिके हैड से 60 लाख क्यूसेक डेज पानी पाक क्षेत्र में प्रवाहित हुआ। वर्ष 2009-10 में 16 हजार, 2011-12 में 11 लाख 30 हजार, 2011-12 में 22 लाख 08 हजार, 2012-13 में 51 हजार 500, 2013-14 में 16 लाख 27 हजार 500 व 2014-15 में करीब चार लाख व वर्ष 2015-16 में करीब पांच लाख क्यूसेक डेज पानी पाक में प्रवाहित हुआ। इस पानी का भंडारण करने की व्यवस्था होती तो इसका उपयोग राजस्थान क्षेत्र के किसान कर सकते थे। किसान कई वर्षों से राज्य में मिनी डैम बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही।
यह है बड़ा कारण
पौंग व भाखड़ा बांध के जल ग्रहण क्षेत्रों में बारिश होने पर इसका पानी सीधे बांध में जाता है। क्षमता के अनुसार बांधों के भरने के बाद शेष पानी को हरिके हैड पर प्रवाहित किया जाता है। हरिके बैराज में जल भंडारण की व्यवस्था नहीं है। यहां से पानी प्रवाहित होने के बाद इस पानी का उपयोग मांग के अनुसार पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के किसान करते हैं। शेष पानी जो बच जाता है, उसे फिरोजपुर हैड के जरिए पाकिस्तान क्षेत्र में प्रवाहित कर दिया जाता है। इसके साथ ही हरिके हैड व बांधों के निचले इलाकों में बारिश के बाद जो पानी संग्रहित होता है, उसे वापस बांधों में पहुंचाना संभव नहीं होता। इसलिए हुसैनीवाला हैड होते हुए पानी पाकिस्तान चला जाता है।
करवाया है अवगत
इंदिरागांधी नहर में जल उपलब्धता की स्थिति का अध्ययन करने को गठित जल संसाधन विभाग की तकनीकी समिति ने चार मई को सर्किट हाउस में किसानों की जनसुनवाई की थी। समिति में शामिल किसान प्रतिनिधि प्रेम कुमार देहडू ने सुझाव जल संभावना तलाशने को लेकर प्रदेश को हिस्से का पानी दिलाने का सुझाव रखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि प्रदेश में सिंचित क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है, मगर सिंचाई पानी की मात्रा दिनों-दिन घट रही है। इससे भविष्य में खेती को और खतरे में पड़ जाएगी। किसान नेताओं का कहना है कि मानसून सत्र में हरिके बैराज के आसपास पानी की आवक होने पर इसका भंडारण करने के लिए सरकार को प्रयास करना होगा। जल स्वावलंबन अभियान चलाकर सरकार ने जनता को जागरूक करने का अच्छा प्रयास किया है, मगर सरकार यदि जागरूक हो जाती है तो लाखों क्यूसेक पानी को पाक जाने से रोका जा सकेगा और इसका फायदा राजस्थान के किसानों को मिलेगा।
कई नहरें चल सकती है
मानसून में लाखों क्यूसेक डेज पानी की आवक होने के बाद भी इसका फायदा राजस्थान के किसानो को नहीं मिल पाता। मिनी डैम बनाकर इस पानी का भंडारण कर लिया जाए तो इसका फायदा प्रदेश के किसानों को मिल सकता है। इस बारे में सरकार स्तर पर ठोस प्रयासों की जरूरत है। इस पानी का भंडारण करने के बाद कई छोटी नहरों का संचालन आसानी से हो सकता है। इससे राज्य में खेती को बढ़ावा मिलेगा और अन्न उत्पादन भी बढ़ेगा।