पहला सुख निरोगी काया

लॉयन न्यूज, बीकानेर।आम घरों के किचन में पाया जाने वाला अदरख एक बेमिसाल व औषधीय गुणों से भरपूर होता है। सदियों से पारंपरिक तौर पर अदरख को अनेक रोगोपचारों के लिए अपनाया जाता रहा है, आयुर्वेद में भी अदरख का खूब जिक्र है। अब तक आपने महज सर्दी खांसी के लिए अदरख के कारगर होने की बात सुनी होगी लेकिन आज हम आपको अदरख के कुछ और अनोखे गुणों के बारे में बताएंगे और बताएंगे कैसे आदिवासी हर्बल जानकार अदरख का उपयोग तमाम देसी नुस्खों के लिए करते हैं
दस्त होने के हालात में कच्चे अदरख को चबा लिया जाए और हर 2-2 घंटे के अंतराल से चबाया जाए तो बहुत जल्द आराम मिलता है।

जिन लोगों का वजन कम है और जिन्हें मोटा होने की चाहत है, उन्हें भोजन से 15 मिनिट पहले अदरख का एक टुकडा जरूर चबाना चाहिए, आदिवासियों के अनुसार अदरक खाने से भूख बढ़ती है।

ताजे अदरख को पीसकर या कुचलकर लेप तैयार कर लिया जाए और इसमें थोडा सा कर्पूर भी मिला लिया जाए और सूजन और दर्द वाले अंगों पर लगाया जाए तो दर्द कम हो जाता है और सूजन भी कम हो जाती है।

मोच आ जाए तो अदरख का लेप लगाकर रखा जाए, जब लेप सूख जाए तो इसे साफ करके गुनगुने सरसों के तेल से मालिश करनी चाहिए, दिन में दो बार दो दिनों तक किया जाए, मोच का असर खत्म हो जाता है।

दांतो में दर्द होते समय अदरक के छोटे टुकड़े दांतो के बीच में दबाकर रखने से दांतो में होने वाला दर्द खत्म हो जाता है, सूखे अदरख या सोंठ के चूर्ण में थोडा सा लौंग का तेल मिलाकर दांतो पर लगाया जाए तो भी दर्द छू मंतर हो जाता है।
दो चम्मच कच्ची सौंफ और5 ग्राम अदरख एक ग्लास पानी में डालकर उसे इतना उबालें कि एक चौथाई पानी बच जाये। एक दिन में 3-4 बार लेने से पतला दस्त ठीक हो जाता है। गैस और कब्ज में भी लाभदायक होता है।

गाउट और पुराने गठिया रोग में अदरख एक अत्यन्त लाभदायक औषधि है। अदरख लगभग (5 ग्राम) और अरंडी का तेल (आधा चम्मच) लेकर दो कप पानी में उबाला जाए ताकि यह आधा शेष रह जाए। प्रतिदिन रात्रि को इस द्रव का सेवन लगातार किया जाए तो धीमें धीमें तकलीफ़ में आराम मिलना शुरू हो जाता है। आदिवासियों का मानना है कि ऐसा लगातार ३ माह तक किया जाए तो पुराने से पुराना जोड़ दर्द भी छू-मंतर हो जाता है।