पायलट की यात्रा का राज खोलेगी गहलोत की प्रतिक्रिया


हस्तक्षेप
हरीश बी शर्मा
कांग्रेस सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने नागौर में अपने बगावती तेवर दिखाए हैं। आज हनुमानगढ़ में और इस तरह पांच जिले कवर करने की योजना है। राजनीतिक दृष्टि से इनमें से अधिकांश जाट बहुल इलाके हैं, जहां सचिन पायलट के जाने के अर्थ भी राजनीतिक है।
गौरतलब है कि नागौर से हनुमानगढ़ जाते हुए बीकानेर रुकने के बाद भी सचिन पायलट का बीकानेर में कोई कार्यक्रम नहीं रखा गया, जिसे लेकर भी काफी चर्चा है जबकि इन दिनों बीकानेर में सचिन के समर्थकों की संख्या में इजाफा भी हुआ है। हनुमानगढ़ जाते समय बीकानेर में रात्रि विश्राम के लिए रुके सचिन पायलट के लिए उमड़े कार्यकर्ता इस बात का गवाह है कि बीकानेर में भी उनके समर्थकों की संख्या बढ़ रही है।
बहरहाल, सचिन पायलट ने यह तो नहीं बताया कि सरकार के चार साल होने पर एक तरफ जब मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों से रिपोर्ट तलब की है, उस समय इस यात्रा का क्या अर्थ? खासतौर से तब जब इस दौरान कोई मंत्री अपने क्षेत्र में मिलेगा भी नहीं। ऐसे समय में सरकार को खिंचाई करने का यह अभियान चलाने की रणनीति क्या हो सकती है?
लेकिन यह जता दिया है कि उन्हें बचते हुए अपनी पार्टी की सरकार पर वार करना आ गया है ताकि ‘टारगेटेड’ को ही लगे।
इस बात में कोई शक नहीं कि सचिन पायलट ने कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान में खूब काम किया, लेकिन अशोक गहलोत के वजूद को खत्म नहीं किया जा सका। अलबत्ता यह जरूर हुआ कि सचिन पायलट एक ऐसे पहले नेता साबित हो गए, जो अशोक गहलोत के बराबर आ गए।
दिल्ली के संपर्क और खासतौर से धैर्य ने उन्हें गांधी परिवार का विश्वास पात्र बनाए रखा। अगर सचिन राजस्थान की राजनीति में टिक पाए तो वजह उनका मौन ही रहा, लेकिन इस बार वे मुखर हैं और अपनी सरकार से जुड़े सवाल ही उठा रहे हैं।
नागौर में जो तेवर सामने आए हैं, उन्हें देखकर लग रहा है कि सचिन खुली चुनौती देने के मूड में आ चुके हैं। यह अगर रणनीतिक है तो इस बात से भी कौन इनकार करेगा कि इसमें गांधी परिवार की शह नहीं हो। यह भी तो संभव है कि जयपुर पहुंचने के बाद सचिन एक और कार्यक्रम तय कर दे।
अभी जब कांग्रेस के हाथ से हाथ जोड़ो कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर बात चल रही है तब अपनी ही सरकार के पोल खोल अभियान जो सचिन पायलट ने शुरू किया है, वह एक सोची समझी रणनीति पर आधारित है।
एक आध दिन में सचिन के बयानों पर मुख्यमंत्री की आने वाली प्रतिक्रिया से पता चल जाएगा कि रणनीति कितनी कामयाब रही।
पिछले कुछ समय से वैसे भी सचिन पायलट अशोक गहलोत के आंख की किरकिरी बने हुए हैं। यह तय है कि इस यात्रा पर भी गहलोत का बयान आएगा ही। यह भी हो सकता है कि यह यात्रा सचिन पायलट ने अशोक गहलोत को उकसाने के लिए की हो।
लेकिन इस पूरी कवायद में एक बात साफ हो गई है कि भले ही सचिन पायलट को इस सरकार में जो मिला हो, वह भी छीना जा चुका हो और अब वे नहीं भी चाहते हों कि फिर से उपमुख्यमंत्री या अशोक गहलोत को हटाकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए, लेकिन राजस्थान
की राजनीति में अशोक गहलोत के बाद कांग्रेस के सबसे प्रभावी राजनेता बनने में सफलता प्राप्त कर ली है।
‘लॉयन एक्सप्रेसÓ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेपÓ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।