गाय दूध कम दे रही, कैंसर डरा रहा है…!



पोकरण.। गाय कम दूध दे रही है, पशुओं में गर्भपात और विकृत पशु पैदा हो रहे हैं…खेतों में पैदावार नहीं बढ़ रही..और कैंसर डराने लगा है…। यह शिकायत है करीब 18 साल पहले परमाणु धमाकों से विश्व स्तर पर पहचान बनाने वाले पोकरण के गौरवाशाली गांव खेतोलाई के ग्रामीणों की। शिकायत आज की नहीं, बरसों से कर रहे हैं, लेकिन अब तक यहां विकिरणों के दुष्प्रभाव संबंधी कोई गहन जांच नहीं हुई। चिकित्सकों की टीमें कई बार आई, लेकिन वे भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे।ग्रामीण आज भी उस दिन को याद कर गौरवान्वित होते हैं, लेकिन उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन इस गौरवाशाली गांव की ओर ध्यान नहीं दे रही। ग्रामीणों को शिकायत है कि गांव मूलभूत सुविधाओं को तो तरस ही रहा है, विकिरणों का भी दंश झेल रहा है। गौरतलब है कि 11 व 13 मई 1998 को क्षेत्र के खेतोलाई गांव के निकट पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में परमाणु परीक्षण किया गया था। इससे पूर्व 18 मई 1974 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन भी यहां भारत का प्रथम परमाणु परीक्षण किया गया था।
ग्रामीणों का दावा, कैंसर और हार्टअटैक के मामले बढ़े

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को हर छह माह में क्षेत्र के हवा, पानी, वातावरण, पेड़-पौधों व वनस्पति की जांच करनी चाहिए। यहां के निवासियों व पशुओं के स्वास्थ्य का भी परीक्षण होना चाहिए, ताकि इसके विकिरण से होने वाली बीमारियों से बचा जा सके। परमाणु परीक्षण के बाद से आशंका जताई जा रही है कि खेतोलाई में विकिरण प्रसारित होने से कैंसर के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है तथा मानव व पशुओं में बीमारियों का प्रसार बढ़ रहा है। हालांकि चिकित्सा विभाग को इस बात के अब तक कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। इस संबंध में मिली शिकायत व रिपोर्ट्स पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए गत वर्ष आयोग के अध्यक्ष ने डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज को दल का गठन कर मौके पर वस्तु स्थिति की जांच करने के निर्देश दिए थे। खेतोलाई के कुछ ग्रामीणों ने आयोग अध्यक्ष से यहां परमाणु परीक्षण के बाद कैंसर व अन्य बीमारियां फैलने की शिकायत की थी। हालांकि जांच में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले।
शक्तिस्थल योजना भी विफल
परमाणु परीक्षण की पहचान को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए स्थानीय जैसलमेर रोड स्थित खादी ग्रामोद्योग भवन में जिला प्रशासन की ओर से कुछ मॉडल स्थापित कर शक्तिस्थल विकसित किया गया। यहां विशेष रूप से परमाणु संयंत्र के मॉडल को तैयार किया गया, लेकिन यह स्थल भी विकास के अभाव में अपनी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया। लाखों रुपए की धनराशि खर्च कर बनाए गए कुछ मॉडल, आयुद्ध गैलेरी तथा युद्धों से संबंधित ऐतिहासिक जानकारियों की प्रदर्शनी भी बंद पड़ी है।
नहीं आई कोई मेडिकल टीम
मानवाधिकार आयोग के निर्देशों के बावजूद भी चिकित्सकों की कोई टीम अभी तक न तो खेतोलाई आई है, ना ही किसी व्यक्ति या पशु के स्वास्थ्य का परीक्षण किया है। गांव में कैंसर के मामले बढ़े हैं। पशुओं में गर्भपात और विकृत पशु पैदा हो रहे हैं। इन मामलों की गहन जांच होनी चाहिए