मिथ से माउथ तक

लॉयन न्यूज, बीकानेर। कोरोना महामारी के बाद से ही पूरे विश्व में स्वास्थय को लेकर जागरूकता बढ़ी है। बात हमारे देश की करें तो इसमें आधुनिक जीवनशैली अपना रहे लोगों ने भी फिर से प्रकृति की ओर लौटना शुरू कर दिया। खासकर खान-पान के पुरातन और प्राकृतिक तौर-तरीकों को लेकर भी लोगों में खासा उत्साह देखा गया। ऐसे में आयुर्वेद के वर्णित ऋतु अनुसार भोजन और व्यवहार को अमल में लाने के भरपूर प्रयास भी किये जा रहे हैं, लेकिन इनके सबके बीच बहुत से ऐसे मिथ भी है जो लोगों को असमंजस में डाल देते हैं। ऐसा ही एक मिथ है सर्दी का मेवा माने जाने वाले ऋतुफल अमरूद के साथ जुड़ा है। कहा जाता है कि सर्दी में अमरूद फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा कर सकता है।

क्लिनिकल न्यूट्रीशिन्यंस का कहना है कि अमरूद में फाईबर की प्रचुर मात्रा पाई जाती है जिससे ये ओवरवैट होने, डाईबिटीज से तो बचाता है ही साथ ही शरीर में बढ़ रहे बैड कॉलेस्ट्रोल की मात्रा को भी कम करता है। अमरूद में विटामीन सी भी भरपुर होता है जो हमारे इम्युन सिस्टम को मजबूती देता है। अमरूद में पॉलिफिनोलक कम्पाउंड और एंटी ऑक्सीडेंट भी पाये जाते हैं जो कि कैंसर जैसी बीमारियों की रोकथाम में भी मददगार होते हैं। अमरूद में पाये जाने वाले कम्पाउंड इसे एंटी इन्फ्लेमेंटरी एंव एंटी माइक्रोबियल गुण भी देते हैं।

ऐसे में सवाल ये है कि अगर इतने गुणों की खान है अमरूद तो फिर सर्दी में क्यों नहीं खाना चाहिए। डाइट विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सर्दी के मौसम में आपको बार-बार कफ की शिकायत रहती है या श्वसन सम्बन्धी रोगों की शिकायत रहती है तो आपको अमरूद खाने से बचना चाहिए। साथ ही अगर आपको बार-बार पथरी बनती हो तो भी आपको अमरूद खाने से बचना चाहिए। अगर आपके साथ ऐसी कोई भी स्थिति नहीं है तो आप सर्दी के मौसम में जमकर अमरूद का लुत्फ उठा सकते हैं।