झुंझुनूं। बीडीके अस्पताल में रोगियों की कतार..। उसमें कुछ लोग ऐसे जो थकावट.., घबराहट और अजीब सी बैचेनी के साथ अपने नम्बर का इंतजार कर रह रहे हैं। थोड़ा सा इंतजार भी बड़ा लग रहा था। ये डोडा पोस्त के आदी लोग हैं। एक अप्रेल से डोडा पोस्त का उपयोग व वितरण बंद होने के बाद अस्पताल में रोज ऐसे लोग आ रहे हैं।

सरकार की ओर से डोडा पोस्त की लत छुड़वाने के लिए अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। जिसको लेकर बीडीके अस्पताल में करीब 20 लोग रोज चिकित्सकीय परामर्श लेने आ रहे हैं। जिले में 652 लोग डोडा पोस्त के पंजीकृत हैं। चिकित्सकों ने बताया कि दवा देने के बाद रोगी बेहतर महसूस कर रहे हंै। नियमित दवा लेने पर डोडा पोस्त की लत आसानी से छूट जाती है। कुछ रोगी कुछ दिन तो दवा लेते हैं, थोड़ा सा आराम मिलने के बाद वे दवा लेना छोड़ देते हैं। इससे उनकी लत नहीं छूट पाती है।

अब भी मिला रहा है अवैध तरीके से

बीडीके अस्पताल में आने वाले डोडा पोस्त के व्यसनियों में से अधिकांश ड्राइवर हैं। वहीं मजदूर व कुछ किसान इसके आदी हैं। यहां आने वाले कुछ ड्राइवरों ने बताया कि कुछ ढाबों पर उन्हें आसानी से अवैध रूप से डोडा पोस्त मिल जाता है। सरकार की ओर से निशुल्क दवा शुरू करने के बाद अब वे इस लत को छोडऩा चाहते हैं।

चिड़ावा में लग रहा है शिविर, अन्यत्र लगेंगे

डोडा पोस्त के व्यसनियों के लिए जिले में पांच जगह शिविर लगने हैं। इनमें से चिड़ावा में शिविर लगाया जा रहा है। यह शिविर 16 मई तक लगेगा। वहीं सूरजगढ़ में 25 मई से शिविर लगेगा। इसके अलावा 15 जून से मुकुंदगढ़, चार जुलाई से उदयपुरवाटी व 25 जुलाई से बीडीके अस्पताल में शिविर लगेगा। इससे पूर्व में भी जिले में शिविर लगाए गए थे।

डोडा पोस्त की लत से परेशान लोगों के इलाज के लिए  सीएचसी स्तर पर बैड की व्यवस्था की गई है। जिला मुख्यालय स्थित बीडीके अस्पताल में 10 बैड की व्यवस्था है। वहीं सीएचसी पर पांच-पांच बैड की व्यवस्था की गई है। यहां पर डोडा पोस्त का रोगी आने पर उसके लिए बैड की व्यवस्था की जाएगी।

केस-1

डाक्टर साहब ठीक से काम नहीं हो पा रहा। थोड़ा सा काम करने के बाद ही थकावट हो जाती है। मजदूरी पर नहीं जा पा रहे हैं। अब डोडा पोस्त नहीं मिलता, कुछ दवा दीजिए, जिससे मजदूरी कर सकें। यह पीड़ा रमेश (काल्पनिक नाम) की है। वह डोडा पोस्त का आदी है, लेकिन  अब डोडा पोस्त नहीं मिलने से परेशानी हो रही है। उसने बताया कि किसी भी तरह इसकी लत छूट जाए। डोडा पोस्त नहीं मिलने से दिन भी बैचेनी रहती है। पैरो में दर्द रहता है। दवा लेने पर ही आराम आता है।

केस-2

डाक्टर साहब शादी में जाना है, लेकिन डोडा पोस्त लिए बगैर पूरे दिन बैचेनी रहती है। आज शादी में जाना है, कोई दवा दो ताकि शादी में कोई परेशानी ना हो। राजेश (काल्पनिक नाम) ने बताया कि दवा लेने से आराम रहता है। शादी में जाना है, इसलिए दवा जरुरी हो गई है। दवा के सेवन से इसकी लत छूट जाए तो आराम मिले।

केस-3

पहले डोडा पोस्त लेकर गाड़ी चलाने पर रात को नींद की छपकी नहीं आती थी, लेकिन अब दवा लिए बिना गाड़ी नहीं चलाई जाती। सुनील (काल्पनिक नाम) ने बताया कि दवा लेने से कुछ बेहतर महसूस हो रहा है। दूर-दराज गाड़ी लेकर जाना पड़ता है। पहले डोडा पोस्त मिलने पर उसका सेवन कर गाड़ी चलाते थे। अब वह नही मिलता है तो बैचेनी सी रहती है। ड्राइविंग भी सही नहीं हो पाती।

अस्पताल में रोज 20 लोग डोडा पोस्त के लत वाले आ रहे हैं। इनको दवा दी जा रही है। वहीं जिनकों भर्ती करने की आवश्यकता होती है। उन्हें भर्ती किया जा रहा है। शिविरों में अधिक लोग इलाज के लिए आ रहे हैं।

डॉ. कूपर थालौर, मनोरोग विशेषज्ञ, बीडीके अस्पताल

डोडा पोस्त से परेशान लोगों के लिए सीएचसी पर पांच व बीडीके अस्पताल में 10 बैड की व्यवस्था है। वहीं चिड़ावा में शिविर लगाया जा रहा है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी शिविर लगाए जाएंगे। निशुल्क दवा देकर इनका इलाज किया जा रहा है।

डॉ. राजकुमार डांगी, डीप्टी सीएमएचओ (स्वास्थ्य), झुंझुनूं