कोटा.।   हम कार चलाते हैं, इसमें आगे देखने का शीशा बड़ा होता है और पीछे देखने का छोटा। अब इसे उल्टा कर दें तो क्या होगा। दुर्घटना तय है। कुछ ऐसा ही हमारे देश में हो रहा है। अतीत में जी रहे हैं। गाने गाते हैं…जीरो दिया मेरे भारत ने…, जयंती मनाते हैं, मंदिर बनवाते हैं, चालीसा लिखते हैं। गुणगान हो, लेकिन तरीका बदलना होगा। हमें बैकवर्ड नहीं फॉरवर्ड लुकिंग होना होगा।देश में शिक्षा की वर्तमान व्यवस्थाओं पर कटाक्ष करते हुए दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार शाम को कॅरियर पाइंट ऑडिटोरियम में आयोजित व्याख्यान में यह बात कही।एडुकेशन, एम्प्लॉएब्लिटी, एंटरप्रिन्योरशिप विषय पर आयोजित व्याख्यान में सिसोदिया ने कहा कि हमने शून्य दिया, उपयोग अमरीका व यूरोप के छात्रों ने किया। टॉप 20 साइबर कंपनियां वे संचालित कर रहे हैं।हम काम चला रहे हैं, उनका काम कर रहे हैं। आइंसटाइन, आर्यभट्ट, रामानुजन, कलाम की जयंतियां तो मनाते हैं, लेकिन कभी उनके किए काम से आगे बढऩे की क्यों नहीं सोचते। आज हमारे स्टूडेंट लैपटॉप की खराबी तो दूर कर सकते हैं लेकिन घर-परिवार के बीच आ रही खराबी दूर नहीं कर सकते। क्योंकि संबंधों को ठीक करना कभी शिक्षा में सिखाया ही नहीं। हमें या तो जरूरत पूरी करने के लिए रोजगार देने होंगे या रोजगार देने के लिए जरूरत पैदा करनी होगी।

स्वागत उद्बोधन कॅरियर पाइंट के निदेशक ओम माहेश्वरी ने दिया। कॅरियर पाइंट यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रमोद माहेश्वरी ने शिक्षा क्षेत्र की चुनौतियों, अवसर व रोजगार से जुड़ाव पर अपना अध्ययन प्रस्तुत किया। अंत में यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो.मिथिलेश दीक्षित ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

शिक्षण संस्थाओं में ढूंढें हल

यहां मैं कोटा नहीं वरन देश की जनता को सम्बोधित कर रहा हूं, क्योंकि इस शहर में पूरे देश से स्टूडेंट शिक्षा लेने आ रहे हैं। मानव ने अलग-अलग समय पर परिस्थितियों में समाधान के लिए देश, ईश्वर, समाज, जातियां ईजाद की। अब समय आ गया है कि कष्टों का समाधान शिक्षण संस्थानों में खोजें।

शिक्षा को लेकर हम कन्फ्यूज

देश शिक्षा को लेकर कन्फ्यूज है। अंकों के आधार पर योग्यता तय हो रही है। शिक्षा को लेकर स्पष्टता लानी होगी। सोच मजबूत करनी होगी। यह काम अभिभावकों से शुरू होना चाहिए।

ऐसी हो शिक्षा

हमें शिक्षा को लेकर क्रिटिकल व साइंटिफिक थिंकिंग लानी होगी। शिक्षा क्यों दी जा रही है। इससे क्या होगा। उद्देश्य क्या है। यह सब स्पष्ट होना चाहिए। ऐसा हुआ तो रोजगार भी मिलेगा और एन्टरप्रिन्योर भी आगे आएंगे।

मंत्रालय ही नहीं

हमारे देश में शिक्षा मंत्रालय ही नहीं है। मानव संसाधन मंत्रालय है। हमें संसाधन विकसित नहीं करने, हमें मानव को विकसित करना है। शिक्षा को मानवीय बनाना होगा। तय करना होगा शिक्षा लेने वाला हथियार बनाए या इलाज के लिए औजार बनाए।

दिल्ली में करेंगे प्रयोग

सिसोदिया ने कहा कि हम दिल्ली में प्रयोग करने जा रहे हैं। आईआईएम, आईआईटी, प्रशासनिक अधिकारी कोई भी जो पढ़ाने की इच्छा रखते हैं उन्हें स्कूलों से जोड़ेंगे। दिल्ली सरकार उन्हें फैलोशिप देगी।