पहला सुख निरोगी काया

लॉयन न्यूज नेटवर्क। ‘मैं देर करता नहीं, देर हो जाती है’ हिना फिल्म का ऋषि कपूर पर फिल्माया गया ये गीत अपने बचाव में हर वो शख्स दिन में एकाध बार तो गुनगुना ही लेता है जिसे किसी न किसी काम में तो देर हो ही जाती है। पहले-पहल इसके पीछे हम आलस का जिम्मेदार मान लेते है और जहां तक दिन में या कई दिन में एक-दो बार देर हो तो मामला सलट भी जाता है। लेकिन अगर हर काम में या रोजाना के अधिकतर कामों में देर हो रही हो तो आपके साथ-साथ आसपास वालों के लिए भी तनाव का कारण हो सकता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर काम में देरी होने के पीछे की इकलौती वजह आदत, आलस या लापरवाही ही नहीं है हो सकता है आपको सच में कोई बीमारी हो। जानिए इस बार में क्या कहते हैं विशेषज्ञ।

 

आदत नहीं, बीमारी भी हो सकती है लेट-लतीफी

विशेषज्ञों का कहना है कि हर काम में देरी करना सिर्फ आदत ही नहीं बीमारी भी हो सकती है। मेडिकल टर्म में इसे एडीएचडी यानि अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर कहा जाता है। इस बीमारी के चलते खराब एकाग्रता या अति सक्रियता या आवेगपूर्ण बतार्व है, जो व्यवस्थित जीवनशैली में बाधक बनता है।
यदि किसी व्यक्ति में इसके लक्षण पाए जाते हैं ते उसमें अव्यवस्था, असावधानी और टाइम ब्लाईंडनेस जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

कैसे पाएं पार

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि एडीएचडी से निपटने के लिए आप ्र्रमनोचिकित्सक से सम्पर्क कर सकते हैं। साथ ही हाइड्रेट बने रहना, अच्छी निंद लेना, कैफिन और निकोटिन का कम से कम प्रयोग के साथ ही अपने कामों के लिए पहले से तैयार रहना, मानसिक तौर पर मजबूत रहने के लिए लिखित में समय प्रबंधन और लगातार अभ्यास के जरिए इस पर काबू पाया जा सकता है।