इसे देखे कैसे बांध का पानी समा रहा कुओं में



सुनने में चाहे यह बात अजीब लगे लेकिन, इस इंजीनियरिंग को शिवगंज में जलदाय विभाग के कुओं पर आसानी से देखा जा सकता है। जहां जवाई का पानी फिल्टर करने के बाद रीतते कुओं में डालकर पानी की खुले आम बर्बादी की जा रही है। विभाग के पास पानी का स्टोरेज करने के लिए पर्याप्त टंकियां नहीं हंै। जलापूर्ति का सिस्टम भी पुराना हो चुका है। नदी में स्थित विभागीय कुएं दम तोडऩे लगे हैं। इन समस्याओं का तोड़ विभाग ने इस रूप में खोज निकाला है।
इस वजह से ये प्रयोग

विभाग के पास जल संग्रहण व वितरण के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। दो टंकियों के निर्माण की योजना बनाकर सरकार को भेजी। जो अभी स्वीकृत नहीं हुई है। कई वर्षों से जल प्रवाह नहीं चलने से नदी में स्थित विभागीय कुएं दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में विभाग ने पाइप लाइन के जरिए जवाई का पानी फिल्टर कर एक नहीं बल्कि चार कुओं में डालना शुरू कर दिया है। ताकि कुएं रिचार्ज रहें और सप्लाई के दौरान कुओं के पानी का उपयोग किया जा सके।
जवाई बांध से हो रही जलापूर्ति
शिवगंज शहर को पेयजल की आपूर्ति जवाई बांध से की जाती है। जवाई बांध पर मुख्य नहर के पास पंप हाउस बना रखा है, जहां से नहर का पानी लिफ्ट कर शिवगंज में जलदाय विभाग कार्यालय के समीप स्थित फिल्टर हाउस तक पहुंचता है। पानी फिल्टर होने के बाद टंकियों में डालते हैं अथवा सीधा शहर में सप्लाई कर दिया जाता है। पानी की कमी को देखते हुए सप्लाई के दौरान जवाई नदी में स्थित कुओं के पानी का भी उपयोग जलापूर्ति में किया जाता है।
पानी की हो रही बर्बादी
विभाग पाइप लाइन बिछाकर नदी में स्थित चार कुओं में पानी डाल रहा है लेकिन, इस कार्य में पानी की काफी बर्बादी हो रही है। वर्षों से जलप्रवाह नहीं चलने के कारण नदी सूखी पड़ी है। इन दिनों गर्मी भी तेज पड़ रही है। इससे कुओं का पानी रिसकर आस-पास की भूमि में चला जाता है। जितना पानी कुओं में डाला जा रहा है। उतने पानी का वापस उपयोग नहीं हो पाता। नहर से पानी भी अधिक लिफ्ट करने के लिए 20 हॉर्स पॉवर का पंप चौबीसों घंटे चलता रहता है।
हर दृष्टि से है गलत
पानी कुओं में डालना तकनीकि व व्यवहारिक दृष्टि से पूर्णतया गलत है। इससे भारी मात्रा में पानी की बर्बादी होती है। विभाग को संसाधन विकसित करने चाहिए। अगर, ऐसा किया जा रहा है तो मामले की जांच करवाई जाएगी।
संसाधनों की कमी है
विभाग के पास संसाधनों की कमी है और सिस्टम पुराना बना हुआ है। दो टंकियों के प्रस्ताव बनाकर भेज रखे हैं, जो अभी स्वीकृत नहीं हुए है। कुएं रीतने लगे थे। ऐसे में जवाई का पानी चार कुओं में डाला जा रहा है। इसका उपयोग सप्लाई के दौरान दुबारा किया जाता है।