दर्द कोई न सुने तो भला



श्रीगंगानगर। सफेद सोने के नाम से मशहूर नरमा-कपास की बुआई नहीं कर पा रहे किसानों का दर्द कोई न सुने तो ही भला है। खेतों में हालात बदतर हैं। खाली मैदान बन गए हैं। पानी के अभाव में अधिकतर किसान बिजाई कर नहीं पाए और जिन्होंने ट्यूबवैल आदि से बिजाई कर ली है, उनकी फसलें झुलस रही हैं। पानी मिलने की आस में किसानों ने खेत पूरी तरह से तैयार कर लिए हैं लेकिन समय बीतता जा रहा है। देसी कपास की बुआई का समय निकल चुका है। बीटी बोने का समय सिर्फ पांच दिन बचा है तो नरमे की बिजाई में महज बीस दिन बाकी हैं। निकट भविष्य में पानी मिलने की कोई आस नहीं है एेसे में बिजाई होने की उम्मीद बहुत कम ही बची है।
