जिला इकाइयों को मजबूत करने की दिशा में कांग्रेस का सार्थक कदम


हस्तक्षेप
– हरीश बी. शर्मा
कांग्रेस अपनी जड़ों की तरफ लौट रही है। देशभर में लग्जरी यात्राएं निकालकर राहुल गांधी को समझ में आ गया है कि कांग्रेस के वास्तविक वोटर तक पहुंचना है तो पारंपरिक तौर तरीकों पर ही काम करना होगा। हमने इस कॉलम में पहले भी कईं बार यह कहा है कि कांग्रेस चाहे तो फिर से शुरुआत कर सकती है, लेकिन इसके लिए उसे जिला इकाइयों को मजबूत करना होगा। राहुल गांधी के आने के बाद सबसे अधिक आघात जिला इकाइयों पर ही लगा। कहीं-कहीं तो ऐसे हालात आ गये कि अध्यक्ष पद पर चुनाव ही नहीं हुए। पुराने को ही एक्सटेंशन मिलता रहा। यह स्थिति इसलिए खराब हुई कि कांग्रेस को विधायक और मंत्री ही चलाते रहे।
राजस्थान इसका एक बड़ा उदाहरण है, जहां एक समानांतर संगठन चलता रहा। अशोक गहलोत के नेतृत्त्व में कांग्रेस चलती रही। वसुंधराराजे के शासन काल में जनता के लिए लडऩे सचिन पायलट को अध्यक्ष बनाया गया, उन्होंने पार्टी को एक करने की कोशिश की। सक्रियता लाए, लेकिन जैसे ही भाजपा हारी और कांग्रेस की सरकार बनी। अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने, सारा संगठन उनके इर्दगिर्द सिमट गया। सचिन पायलट अकेले पड़े और ऐसे अकेले पड़े कि आज तक अकेले ही हैं।
राजस्थान में कांग्रेस की स्थिति इसके बाद ऐसी बिगड़ी कि सुधर ही नहीं पाई। इकाइयों के अध्यक्षों के चुनाव नहीं हो रहे हैं। जो अध्यक्ष हैं वे निष्क्रिय और शिथिल पड़े हैं बल्कि यह कहें कि वे इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि उन्हें कब हटाया जाए ताकि अपने कामधंधे में लगे। ऐसे समय में कांग्रेस अगर पार्टी के जिलाध्यक्षों को बुलाकर सक्रिय होने के लिए कह रही है तो अच्छी बात यह है कि आखिरकार ही सही रास्ते पर आ गई है।
कांग्रेस के रणनीतिकारों ने यह समझ लिया है कि कांग्रेस को अपने स्तर पर ही आगे बढऩे की कोशिश करनी होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्षेत्रीय दलों से समझौते में रही-सही ताकत भी खत्म हो जाएगी। इस लिए पहले चरण में जहां कांग्रेस ने विधानसभा के चुनाव अपने दम पर लडऩे का निर्णय किया और दूसरे चरण में संगठन को मजबूत बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
इस सिलसिले में कांग्रेस की ने संगठन के पदाधिकारियों की एक बैठक गुरुवार को की, जिसमें विशेषरूप से पार्टी के अध्यक्षों को आमंत्रित किया गया। इन अध्यक्षों से कहा गया है कि वे पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम करना शुरू करें वरना उनका विकल्प खोज लिया जाएगा। इस तरह की एक बैठक और अप्रैल की शुरुआत में होनी है, जिसमें पार्टी के सक्रिय सदस्यों को भी बुलाया जाएगा।
इन बैठकों के बाद ग्रुप-डिस्कसन भी हो रहे हैं, जहां से कैलिबर वाले कार्यकर्ताओं को चिह्नित किया जा रहा है। संभव है, इन कार्यकर्ताओं को आने वाले समय में अवसर मिले, लेकिन कांग्रेस पार्टी को यह समझना होगा और खासतौर से राहुल गांधी को कि वे सिर्फ कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में काम करें। अगर यहां भी उन्होंने चाटुकारों की भर्ती की तो हालात और अधिक बिगड़ेंगे। कांग्रेस अगर जमीनी स्तर पर प्रयास करे तो संगठन को सक्रिय करने की दिशा में इस तरह की बैठकों के अच्छे परिणाम सामने आएंगे।
‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।