भाजपा नेताओं की ‘अज्ञानता’ को जग-जाहिर करेगी कांग्रेस, प्लान पर अमल शुरू


हस्तक्षेप
– हरीश बी. शर्मा
कांग्रेस में एक बार फिर शुरू हुई हलचल ने खासतौर से युवाओं में जोश भर दिया है। पिछले दिनों दिल्ली में हुई जिलाध्यक्षों की बैठक में जो बड़ा ‘गुरुज्ञान’ लेकिन कांग्रेस के नेता आएं हैं, वो भाजपा वालों की जुबां पकडऩे की सीख है। भाजपा वाले जहां गलती करें, उसे ट्रोल करने के लिए आक्रामक तरीका अपनाने के लिए सोशल मीडिया के हर प्लेटफाम्र्स पर उपयोग करने के लिए कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को प्रोत्साहित किया गया है।
देखा जा सकता है कि इसके लिए कांग्रेस के ऑफिसियल सोशल मीडिया अकाउंट भी एक्टिव हो गये हैं, हर छोटे-मोटे अवसरों को खोजने में लगी कांग्रेस को भाजपा नेताओं की ऐसी गलतियां भी मिल रही हैं, जिससे नेताओं की अज्ञानता पर चुटकी ली जा सके। पिछले दिनों सीकर में मुख्यमंत्री भजनलाल द्वारा सीकर की एक जनसभा में श्रीमाधोपुर की जगह सवाई माधोपुर कहना भी उनपर भारी पड़ गया है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने एक वीडियो इस कैप्शन के साथ अपने सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स पर जारी किया है कि सवाई माधोपुर नहीं श्रीमाधोपुर बोलिये। इस कैप्शन के साथ एक वीडियो भी लगाया है।
यह वीडियो कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें भाजपा नेताओं, खासतौर से जनप्रतिनिधियों और विधायकों की ऐसी कमियां जिससे उनकी अज्ञानता को दर्शाया जा सके, जनता के सामने लानी है। कांग्रेस की हर जिला इकाई इस दिशा में काम करेगी और उसे सबसे पहले अपने सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स पर शेयर करेगी। मीडिया को बताएगी और अगर मुद्दा बड़ा हुआ तो उसे कांग्रेस अपने नेशनल हैंडल पर भी जारी करेगी।
कांग्रेस की यह रणनीति वैसे तो सामान्य कही जा सकती है, लेकिन नये-नवेले विधायकों और मंत्रियों पर भारी पडऩे वाली है। क्योंकि प्रतिदिन के हिसाब से कहीं से भी एक भी ऐसी क्लिप कांग्रेस वाले जुटा लेते हैं तो न सिर्फ कांगे्रस वाले सक्रिय हो जाएंगे बल्कि भाजपा में जो विधायकों और मंत्रियों के विरोधी गुट के लोग हैं, वे भी इन सभी के चटखारे लेंगे।
इस बात से किसी भी इंकार नहीं हो सकता कि भाजपा सरकार बनने के बाद अनेक ऐसे नेताओं को किनारे लगा दिया गया है, जो एक समय में दिग्गज माने जाते थे या कि विधायक की टिकट के दावेदार भी रहे, लेकिन सरकार बनने के बाद ऐसे नेता भी हाशिये पर हैं। इन नेताओं को बैठे-बिठाए एक मुद्दा मिल जाएगा, जिससे वे यह साबित कर सकें कि जनता ने जिन्हें चुना है या कि पार्टी पर जिन लोगों ने भरोसा किया है, वे वास्तव में इतने भरोसे के लायक भी नहीं है कि पार्टी की नीतियों और सरकार के संदेशों का सही तरीके से प्रचार कर सके।
यह सही भी है कि जितना प्रचार नेगिटिव बातों को मिलता है, उतना पॉजीटिव बातों को नहीं मिलता। अगर कांग्रेस की जिला इकाइयों ने इस दिशा में काम करते हुए अपने-अपने क्षेत्र के विधायकों का फॉलो करना शुरू कर दिया तो भले ही अज्ञानता एक्सपोज हो या नहीं विधायक और मंत्री जरूरत सचेत होकर बोलने लगेंगे, इस रूप में कांग्रेस की यह पहली जीत होगी कि उनकी वजह से भाजपा वाले बैक-फुट पर रहेंगे और बोलने से पहले दस बार सोचेंगे।
‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।