– मनोज रतन व्यास

फिल्मों का रेवेन्यू मॉडल कोविड काल के कारण बिल्कुल ही गड़बड़ा सा गया है। किसी भी चित्रपट की ओटीटी रिलीज़ मूवी निर्माताओं के लिए ओटीटी की फुल फॉर्म की तरह ऑवर दी टॉप नही साबित हो रही है। सलमान खान की हालिया रिलीज “राधे” ही इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है। जी मीडिया ने राधे के डिजीटल,सेटेलाइट और म्यूजिक राइट्स के लिए कुल 170 करोड़ रुपए का भुगतान सलमान खान को किया। भाई जान को ऑन टेबल रिलीज से पूर्व ही मुनाफा तो हो गया, लेकिन मुनाफे का अनुपात घट गया। मोटा-मोटी सलमान,उनके भाई सोहेल खान और बहनोई अतुल अग्निहोत्री को कुल मिलाकर 50 करोड़ का शुद्ध प्रॉफिट हुआ। तीनो फ़िल्म के बराबर के स्टेक होल्डर थे। ट्रेड पंडितो के अनुसार इस मुनाफे से ज्यादा तो सलमान का किसी दूजे प्रोड्यूसर की फ़िल्म के लिए मेहनताना होता।

थिएटर में फिल्मों का प्रदर्शन न होना और रिप्लेसमेंट में ओटीटी पर फ़िल्म को रिलीज करना फिल्मकारों के लिए महज किसी सांत्वना पुरस्कार जैसा ही है। फ़िल्म स्टूडियोज और मेकर्स को ओटीटी से नुकसान तो नही हो रहा लेकिन ओटीटी प्लेटफार्म फायदे का रेसियो घटाकर डील को इस पेंडेमिक इरा में फाइनल कर रहे हैं। मूवी निर्माताओं के पास भी कोई दूजा विकल्प नही है, सॉफ्टवेयर उनका आउट डेटेड न हो जाए,लागत को जल्द रिकवर करने की ललक उन्हें ओटीटी की ओर न चाहते हुए भी खींच रही है।

कल-परसो ही टिप्स के मालिक रमेश तौरानी ने अपनी नेक्सट रिलीज “भूत पुलिस” को सिर्फ 60 करोड़ में स्टार नेटवर्क को बेच दिया। फ़िल्म स्टार के ओटीटी एप्प हॉटस्टार-डिज्नी पर रिलीज होगी। टिप्स ने “भूत पुलिस” को फाइनल टच तक देने में 45 करोड़ लगा दिए है। रमेश तौरानी को सैफ अली खान-अर्जुन कपूर स्टारर फ़िल्म से महज 10 से 15 करोड़ का फायदा होगा,इतना तो टिप्स सिर्फ फ़िल्म के गानों को यूट्यूब व्यूज से ही कमा सकती है।अगर “भूत पुलिस” को थिएट्रिकल रिलीज मिलती और फ़िल्म को अलग अलग टेरिटरी के हिसाब से वितरकों को बेचा जाता तो तौरानी को फ़िल्म की स्टार कास्ट के कारण ही कम से 80 से 100 करोड़ का ऑफर आसानी से मिल जाता। सैफ की फ़िल्म अमूमन 80 से 120 करोड़ के बीच का धंधा करती ही है। ओटीटी प्लेटफार्म लॉस न हो,बस वो तात्कालिक रेमिडी बन गया है,जबकि सिनेमाघरों में रिलीज से फ़िल्म निर्माताओं को 2 से 3 गुणा अधिक फायदा होता।

ओटीटी से कम मुनाफे के अलावा वर्ड ऑफ माउथ पब्लिकसिटी का जो व्यापक असर सिनेप्रेमियों के दिलो पर होता था,उसका भी असर घट गया है। ऑनलाइन फ़िल्म देखने के बाद आम सिनेमालवर वाट्सएप के माध्यम से फ़िल्म की बड़ाई या बुराई करता है,लेकिन जो मास सम्प्रेषण वर्ड ऑफ माउथ से स्वतः किसी मूवी का होता था,वह इन दिनों थम सा गया है। इसी वजह से पिछले एक साल से फ़िल्म रिलीज को तैयार होने के बाद भी रोहित शेट्टी ने अक्षय कुमार अभिनीत “सूर्यवंशी” और कबीर खान ने रणवीर सिंह स्टारर “83” को अब तक ओटीटी पर रिलीज नही किया है। ओटीटी रिलीज अल्पकाल के लिए फ़िल्म निर्माण में लागत से थोड़ा ऊपर ब्रेक इवन पॉइंट को पार करने का बिजनेस मॉडल है। इससे फिल्मकारों को लॉन्ग टर्म में घाटा ही हो रहा है।

फ़िल्म देखने का असली मजा आज भी 70MM के फिल्मी पर्दे में है। फिल्मकारों का कमर्शियल हित भी थिएट्रिकल रिलीज में ही है। ओटीटी रिलीज कैश फ्लो चलता रहे,बस वो युक्ति है। कैश का रिटर्न कई गुणा मिले इसके लिए तो फ़िल्म सिनेमाघरों में लगे,यही उपयुक्त माध्यम है। कोविड पेंडेमिक के बाद स्थिति सामान्य होने के बाद वही फिल्में ओटीटी पर नजर आएंगी जो बिना स्टारकास्ट की हो,जिनका कंटेट बोल्ड हो या जिस फिल्मी कंटेंट को वितरक नही मिल रहा हो। दौर सिनेमा देखने का कल भी खचाखच भरे सिनेमाघरों में था और निकट भविष्य में भी रियल मूवी मजा थिएटर ही देगा, ओटीटी नहीं…..