मानसिक बीमार लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रहे। आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर ‘सरोकार’ में पढें. मनमोहन शर्मा के विचार।

 

10 अक्टूबर को विश्व भर में मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। 
हमारे देश का युवा आज के प्रतिस्पर्धी युग मे रोजगार, व्यापार, कामकाज पाने की यात्रा में संघर्ष करते करते अपने जीवन के किसी मोड़ पर मानसिक विकार या तंत्रिका सम्बन्धी विकारों से प्रभावित हो जाता है।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण वर्ष 2015-16 के अनुमान के अनुसार भारत मे 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 10.6% लोग मानसिक अस्वस्थता से ग्रसित है।

कारण – तेज़ी से बदलती दुनिया मे स्कूल, कालेज, घरों में बढ़ती हिंसा, धमकी, साइबर धमकियां, लैंगिक असमानताओं, प्राकृतिक या मानव जनित आपदा, हिंसा बेरोजगारी, असुरक्षा, वैवाहिक जीवन के ब्रेकअप, प्रेमप्रसंग एवं अन्य कारणों से युवाओं में नकारात्मक वातावरण, शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याए पैदा हो ही जाती है।

उपचार, बचाव – 

सरकारी एवं निजी संस्थानों, समाज द्वारा – 

     1. युवाओ की समस्याओं को सुनना, समझना और समस्या का निराकरण करना।
2. स्कूलो, कालेजो में मानसिक स्वास्थ्य व जीवन कौशल शिक्षा को प्राथमिकता देना।
3. जीवन कौशल, मानसिक स्वास्थ्य विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करना।
4. सामाजिक स्तर पर समाज मे बढ़ती कुरीतियों और लिंगभेद को खत्म करना।
5. युवाओं के लिए समय समय पर काउंसलिंग कैम्प लगवाना।
6. कार्य स्थल पर तनाव मुक्त माहौल बनवाना।

युवा स्वयं मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए क्या करे

     1. अपने मन की बात दुसरो से सांझा करे।
2. नियमित व्यायाम, योग, ध्यान करे।
3. सन्तुलित, पोष्टिक आहार लेवे।
4. खाने, पीने, सोने, काम का समय निर्धारित करें।
5. अपने परिवार और खास मित्रो के साथ सतत सम्पर्क में रहे।
6. शराब, नशे की वस्तुओं से दूर रहे।
7. नकारात्मक विचार आने पर तुरंत विशेषज्ञ से मदद लेवे।