चीन से डरा अमेरिका? स्पेस में सैटेलाइट की सिक्युरिटी के लिए कर रहा तैयारी
वॉशिंगटन। अमेरिका और चीन के बीच कई मुद्दों को लेकर विवाद जारी है। दोनों देश एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। साउथ चाइना सी मसले से लेकर यूएन में भी दोनों देशों की तकरार दिखी है। इस बीच खबर है कि अमेरिका को स्पेस में भी चीन से खतरा महसूस हो रहा है। इसके चलते वह अपने सैटेलाइट्स को सिक्योर करने के लिए एक कवच तैयार कर रहा है। यूएस डिफेंस डिपार्टमेंट पेंटागन और इंटेलिजेंस एजेंसियां बिलियन डॉलर्स के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। अमेरिका का मोस्ट वैलुएबल रियल एस्टेट इन स्पेस…
– हाल ही में एक इंटरव्यू में अमेरिकी एयरफोर्स जनरल जॉन हाइटन ने सैटेलाइट की सिक्युरिटी के इस प्रोजेक्ट को अमेरिका का ‘मोस्ट वैलुएबल रियल एस्टेट इन स्पेस’ करार दिया है।
– अमेरिकी ऑफिशियल्स का मानना है कि स्पेस में उनके सैटेलाइट्स को कोई बंधक बना सकता है।
– अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट और खुफिया एजेंसियां सैटेलाइट्स को और कैपेबल बनाने पर विचार कर रही हैं। इससे स्पेस में उनके पास आने वाली किसी डिवाइस या अन्य सैटेलाइट को जाम किया सके।
– साथ ही अमेरिका का स्पेस में समूह में छोटे-छोटे कई सैटेलाइट्स भेजने का प्लान है ताकि बाकी सैटेलाइट्स को टारगेट होने से बचाया जा सके।
– इसके लिए पेंटागन ने एयरफोर्स सेक्रेटरी को प्रिंसिपल स्पेस एडवाइजर का दर्जा दिया है। इसे स्पेस में हो रहे किसी भी डेवलपमेंट पर नजर रखने की अथॉरिटी होगी।
– अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट और खुफिया एजेंसियां सैटेलाइट्स को और कैपेबल बनाने पर विचार कर रही हैं। इससे स्पेस में उनके पास आने वाली किसी डिवाइस या अन्य सैटेलाइट को जाम किया सके।
– साथ ही अमेरिका का स्पेस में समूह में छोटे-छोटे कई सैटेलाइट्स भेजने का प्लान है ताकि बाकी सैटेलाइट्स को टारगेट होने से बचाया जा सके।
– इसके लिए पेंटागन ने एयरफोर्स सेक्रेटरी को प्रिंसिपल स्पेस एडवाइजर का दर्जा दिया है। इसे स्पेस में हो रहे किसी भी डेवलपमेंट पर नजर रखने की अथॉरिटी होगी।
यूएस ने क्यों उठाया ये कदम?
– 2007 में चीन ने डैड पड़े अपने एक सैटेलाइट को उड़ाने के लिए एक मिसाइल दागी थी। इसके चलते स्पेस में सैटेलाइट के हजारों टुकड़े बिखर गए थे।
– 2013 में चीन के एक रॉकेट ने अमेरिका की नींद उड़ा दी। चीन अपना रॉकेट 22 हजार मील तक ले गया।
– स्पेस में ये वो जगह थी, जहां अमेरिका नेशनल सिक्युरिटी के लिहाज से सेंसिटिव सैटेलाइट्स स्थापित करता है।
– अमेरिका इन सैटेलाइट्स का यूज बम का पता लगाने और खुफिया जानकारी के लिए करता है।
– 2013 में चीन के एक रॉकेट ने अमेरिका की नींद उड़ा दी। चीन अपना रॉकेट 22 हजार मील तक ले गया।
– स्पेस में ये वो जगह थी, जहां अमेरिका नेशनल सिक्युरिटी के लिहाज से सेंसिटिव सैटेलाइट्स स्थापित करता है।
– अमेरिका इन सैटेलाइट्स का यूज बम का पता लगाने और खुफिया जानकारी के लिए करता है।
एक स्पेस फेंसिंग बना रहा अमेरिका
– सैटेलाइट्स की सिक्युरिटी के लिए अमेरिका टेक्नोलॉजिकली ‘स्पेस फेंसिंग’ तैयार कर रहा है। ताकि किसी भी मलबे को सैटेलाइट्स के पास आने से रोका जा सके।
– सिक्युरिटी ऑफिशियल्स इस कोशिश में लगे हैं कि कोई भी मिसाइल सैटेलाइट्स के पास ही न पहुंचे। इसके अलावा सैटेलाइट्स के पास पहुंचने वाला कोई भी इक्विपमेंट अपने आप जाम हो जाए।
– डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर रॉबर्ट ओ वर्क के मुताबिक, ‘आज की तारीख में स्पेस एक सेंक्चुरी की तरह हो गया है। यहां कई तरह की चीजें एग्जिस्ट कर रही हैं। स्पेस में अमेरिका का सिस्टम काफी बड़ा और महंगा है लेकिन वह खतरे का सामना करने के लिए कैपेबल नहीं है।’
– एयरफोर्स स्पेस कमांड के कमांडर जॉन हाइटन के मुताबिक, ‘किसी भी मिलिट्री ऑपरेशन में सैटेलाइट्स की अहम भूमिका होती है। मुझे नहीं लगता कि अमेरिका में लोगों की स्पेस में इतनी डिपेंडेन्सी है, लेकिन दुनिया के कई देश हम पर करीब से नजर रख रहे हैं।’
– सिक्युरिटी ऑफिशियल्स इस कोशिश में लगे हैं कि कोई भी मिसाइल सैटेलाइट्स के पास ही न पहुंचे। इसके अलावा सैटेलाइट्स के पास पहुंचने वाला कोई भी इक्विपमेंट अपने आप जाम हो जाए।
– डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर रॉबर्ट ओ वर्क के मुताबिक, ‘आज की तारीख में स्पेस एक सेंक्चुरी की तरह हो गया है। यहां कई तरह की चीजें एग्जिस्ट कर रही हैं। स्पेस में अमेरिका का सिस्टम काफी बड़ा और महंगा है लेकिन वह खतरे का सामना करने के लिए कैपेबल नहीं है।’
– एयरफोर्स स्पेस कमांड के कमांडर जॉन हाइटन के मुताबिक, ‘किसी भी मिलिट्री ऑपरेशन में सैटेलाइट्स की अहम भूमिका होती है। मुझे नहीं लगता कि अमेरिका में लोगों की स्पेस में इतनी डिपेंडेन्सी है, लेकिन दुनिया के कई देश हम पर करीब से नजर रख रहे हैं।’
स्पेस प्रोग्राम पर कितना खर्च कर रहा अमेरिका?
– स्पेस में सिक्युरिटी के लिए अमेरिका काफी पैसा लगा रहा है।
– स्पेस प्रोग्राम पर पेंटागन इस साल 22 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा है।
– 5 बिलियन डॉलर का एडिशनल अमाउंट स्पेस एफर्ट पर खर्च करेगा। इसमें से 2 बिलियन डॉलर स्पेस कंट्रोल के नाम पर खर्च होंगे।
– हाइटन के मुताबिक, ‘अमेरिका अब लड़ने के तरीके बदल देगा। अब वियतनाम, कोरिया या वर्ल्ड वॉर II जैसे लड़ाइयां नहीं होंगी। अब मिसाइल्स और स्मार्ट बम भी नहीं होंगे।’
– हाइटन ये भी कहते हैं, ‘अब लड़ाई हुई तो नुकसान और मरने वालों की तादाद ज्यादा होगी। हम पुराने तरीकों से नहीं लड़ेंगे। क्योंकि ये अमेरिकन स्टाइल में लड़ने का तरीका नहीं है।’
– स्पेस प्रोग्राम पर पेंटागन इस साल 22 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा है।
– 5 बिलियन डॉलर का एडिशनल अमाउंट स्पेस एफर्ट पर खर्च करेगा। इसमें से 2 बिलियन डॉलर स्पेस कंट्रोल के नाम पर खर्च होंगे।
– हाइटन के मुताबिक, ‘अमेरिका अब लड़ने के तरीके बदल देगा। अब वियतनाम, कोरिया या वर्ल्ड वॉर II जैसे लड़ाइयां नहीं होंगी। अब मिसाइल्स और स्मार्ट बम भी नहीं होंगे।’
– हाइटन ये भी कहते हैं, ‘अब लड़ाई हुई तो नुकसान और मरने वालों की तादाद ज्यादा होगी। हम पुराने तरीकों से नहीं लड़ेंगे। क्योंकि ये अमेरिकन स्टाइल में लड़ने का तरीका नहीं है।’