लाॅयन न्यूज, बीकानेर। बीकानेर थिएटर फेस्टिवल के दूसरे दिन सोमवार को सुबह रवि चतुर्वेदी के साथ रंगकर्म पर संवाद हुआ जिसमें उन्होंने बताया कि रंगकर्मियों को खुद से मुकाबला करना होगा और और यह समझना होगा कि दर्शक क्या देखना चाहते है तब नाटकों को दर्शक मिलने शुरू होंगे, उन्होंने यह भी कहा कि नाट्य मंडली में निर्देशक, कलाकार, संगीत, प्रकाश प्रभाव आदि के साथ प्रमुख तौर में लेखक को हिस्सा बनना होगा और नाटक इन सभी के मिले जुले प्रयासों से सफल होता है न कि कोई नाटक इनमें से किसी एक का माध्यम होता है। उन्होंने रोजीरोटी के लिए कभी कुलीगिरी भी की। एनएसडी में ट्रेनिंग के दौरान कई रातें बैंच पर बिताईं। पढने की धुन ऐसी कि फैकल्टी भी चकाचैंध और फिर एक दिन सारी चकाचैंध को त्याग भी दिया।

सेठ तोलाराम बाफना स्कूल परिसर में आयोजित इस रंग-संवाद में रवि जी की जिंदगी के पन्ने जब खुलने लगे तो उनकी मां का संघर्ष भी सामने आया। शिक्षकों की साजिशें भी खुलीं। जीवन की त्रासदियों के वे क्षण भी साझा हुए जिसमें रवि चतुर्वेदी को लगा जैसे सारी दुनिया उनके विरुद्ध है, लेकिन हार नहीं मानी। जो नहीं जचा, उसका विरोध ही नहीं जरूरत पड़ी तो विद्रोह भी किया। क्योंकि यह जान लिया कि ऑफेंस इज बेस्ट डिफेंस। जब सारे एक्टर बनने की धुन में थे, खुद ने शिक्षक बनना तय किया और आज देश को उन पर गर्व है, क्योंकि उन्होंने लंदन, इजरायल और दुनिया के ऐसे ही कई स्थानों पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।

संवाद के दौरान लगा जैसे लगभग हर रंगकर्मी इन परिस्थितियों से होकर निकलता होगा, लेकिन रवि चतुर्वेदी कोई बिरला ही बन पाता है तो उसकी वजह है ग्लेमर और एंबीषन से दूरी। अगर उनमें ऐसा कुछ होता तो उन्हें लोगों के पीछे भागना पड़ता। उन्होंने अपने शिष्य इरफान को भी यही सिखाया। बताया कि हमेशा अहंकार मत करनाए सभी के लिए उपलब्ध रहना।

चतुर्वेदी कहा कि अगर नाटक को दर्शक चाहिये तो रंगकर्मियों को पहले जन का मन टटोलना होगा। समझना होगा कि दर्शक चाहते क्या हैं। एक गांव में नाटक से सत्ता परिवर्तन के किस्से को सुनाते हुए उन्होंने कहा कि गांव की सरकार एक नाटक से बदल गई, लेकिन उन्हें लगा कि यह काम उनका नहीं है। इसलिए इस काम को आगे नहीं बढ़ाया।

समारोह के तीसरे दिन मंगलवार को सुबह 10 बजे डॉ. नंदकिशोर आचार्य के साथ होटल मिलेनियम में परिचर्चा होगी उसके बाद बीकानेर के वरिष्ठ रंगकर्मी कैलाश भारद्वाज को निर्मोही नाट्य सम्मान दिया जाएगा तत्पश्चात 2ः30 बजे रेलवे ऑडीटोरियम में बीकानेर के रमेश शर्मा द्वारा निर्देशित नाटक पागलघर का मंचन होगाए 4ः30 बजे टाउन हॉल में जयपुर से प्रसिद्ध नाट्य दल रंग मस्ताने के युवा निर्देशक चंदन कुमार जांगिड़ के निर्देशन में ‘मैं बीड़ी पीकर झूठ नी बोलता’ का मंचन होगा। 6 बजे रविन्द्र रंगमंच में दिल्ली से सईद आलम के निर्देशन में गालिब इन न्यू दिल्ली और 8 बजे टी एम ऑडिटोरियम में मुम्बई से निरेश कुमार के निर्देशन में बांसवाड़ा कंपनी का मंचन होगा।