-रोशन बाफना
लॉयन न्यूज, बीकानेर। बीकानेर के बीछवाल स्थित सेंट्रल जेल से फरार कैदी के बारे में चौंकाने वाली साइड स्टोरी सामने आई है। जानकारी के अनुसार सूरतगढ़ निवासी सुभाष पुत्र दौलतराम डाकोत हत्या के मामले में आजीवन कारावास का दंड भुगत रहा था। जेल से मिली जानकारी के अनुसार कैदी सात दिन की पैरोल पर घर गया हुआ था, जिसे शनिवार शाम तक वापिस जेल लौटना था मगर वह नहीं लौटा। जेल प्रशासन ने कैदी के पिता को फोन करके जानकारी जुटाई तो बताया गया कि वह जेल के लिए निकल चुका है। यहां एक और साइड स्टोरी यह है कि कैदी सुभाष इससे पहले पांच साल पूरे होने पर जब बीस दिन की प्रथम पैरोल पर गया था, तब भी वह एक दिन देरी से मगर अपने आप लौट आया था। इसी देरी की वजह से उसे कलेक्टर ने इस बार सात दिन की ही पैरोल दी। उल्लेखनीय है कि कुल सजा का एक चौथाई सही-सही काट लेने के बाद प्रथम पैरोल बीस दिन, अगले वर्ष तीस दिन फिर चालीस दिन की पैरोल सालाना आधार पर दी जा सकती है, बशर्ते कि कैदी सही समय पर लौट आए। उल्लेखनीय है कि सुभाष को 2008 में न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन डकैती, चोरी आदि के चार-पांच मुकदमों की सजा बकाया होने की वजह से हत्या की सजा 2013 में शुरू हुई। ज्ञात रहे कि आजीवन कारावास की न्यूनतम समयावधि चौदह साल होती है यानी इससे पहले कैदी को रियायत नहीं दी सकती। वहीं कुल अवधि बीस वर्ष बताई जाती है जिस में दिन-रात को एक दिन ही गिना जाता है। ऐसे में जिन्दगी सलाखों के अन्दर ही कटना तय होता है। वहीं कैदी के सही आचरण पर हर वर्ष अधिकतम चालीस दिन की पैरोल पर रिहाई के साथ ही चौदह वर्ष बाद मुक्ति की संभावना बनी रहती है। खबर लिखने तक सुभाष जेल नहीं लौटा, जेल प्रशासन ने बीछवाल थाने में मुकदमा दर्ज करवा रखा है। वहीं पुलिस कैदी की तलाश कर रही है।