भरतपुर शहर को लगा अनदेखी का ग्रहण, बनने लगी नकारात्मक छवि



किसी भी शहर की पहचान में वहां की सड़़कों व चौराहों का स्वरूप काफी अहम स्थान रखता है। भरतपुर जैसे विश्वविख्यात शहर में प्रशासन का इन दोनों पर ही कोई ध्यान नहीं है। सड़कें टूटी पड़ी हैं वहीं चौराहों ही हालत दयनीय है। ऐसे में जब कोई बाहर से व्यक्ति आता है तो उसके मन में भरतपुर की नकारात्मक छवि बननी स्वाभाविक है। शहर के प्रमुख चौराहों में शामिल हैं लक्ष्मणमंदिर चौक, बिजलीघर चौराहा, हीरादास सर्किल, कुम्हेर गेट, रेडक्रॉस सर्किल, मल्टीपरपज चौराहा, यूआईटी के पास स्थित चौराहा एवं मानसिंह सर्किल चौराहा। कार्यक्षेत्र के हिसाब से कोई नगर निगम के अधीन है तो कोई नगर विकास न्यास के अधीन है। दोनों के पास धन की कोई कमी नहीं है, लेकिन जब इन चौराहों के रखरखाव की बात आती है तो दोनों की ध्यान इन चौराहों पर नहीं है।

शहर की हृदय स्थली लक्ष्मण मंदिर चौक पर करीब तीन साल पहले फव्वारे भी लगाए गए थे, लेकिन कुछ समय इनका विधिवत संचालन किया गया। इसके बाद नगर निगम ने इनकी सुध नहीं ली। इस पर खर्च हुआ निगम का लाखों रुपए व्यर्थ हो गया। कुछ ऐसी ही कहानी कुम्हेर गेट की है
यहां भी सर्किल के सौन्दर्यीकरण के नाम पर लाखों रुपए नगर निगम ने खर्च कर दिए। सीवर व चम्बल की लाइन डालने के नाम पर यहां की गईतोडफ़ोड़ व खुदाई के कारणइसका सौन्दर्य बिगड़ गया। टूटी लोहे की रेलिंग व दीवारों से हटे पत्थर निगम की इसके प्रति उपेक्षा की कहानी कहते हैं।
इधर भी है बदहाली
हीरादास सर्किल के सौन्दर्यीकरण की जिम्मेदारी नगर विकास न्यास की है। न्यास ने भी करीब तीन साल पहले इसका सौन्दर्यीकरण कराकर फाउण्टेन शुरू कराए थे, लेकिन रखरखाव के अभाव में ना केवल सर्किल की जालियां टूट गईं, बल्कि फाउण्टेन भी खराब हो गए।
रेडक्रास सर्किल भी क्षतिग्रस्त हालत में है। कई बार तो यहां आवारा पशु धूप से बचाव के लिए सॢकल पर चढ़ जाते हैं। सर्किट हाउस के पास बने सॢकल पर भी कई बार आवारा पशुओं का विचरण देखा जा सकता है। मल्टी परपज चौराहे पर बना सर्किल भी रखरखाव के अभाव की कहानी बयां करता है।