जोधपुर।   बहुचर्चित भंवरी देवी के अपहरण व हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को एक साल की अवधि में ट्रायल पूर्ण करने के आदेश दिए हैं। मामले के सहआरोपी रेशमाराम को जमानत पर रिहा करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिए। न्यायाधीश पिनाकी चन्द्र घोष व न्यायाधीश अमिताव रॉय की खण्डपीठ ने सीबीआई की याचिका निस्तारित करते हुए रेशमाराम को दी गई जमानत के आदेश में हस्तक्षेप से भी इनकार कर दिया।सहआरोपी रेशमाराम को राजस्थान उच्च न्यायालय ने 23 मई, 2013 को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे। सीबीआई ने जमानत रद्द करने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर दी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। ऐसे में उच्चतम न्यायालय ने जमानत र² करने का कोई आधार नहीं मानते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को बहाल रखा। प्रत्यर्थी रेशमाराम की ओर से मामले में ट्रायर विचाराधीन होने का तथ्य पेश किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने एक साल की अवधि में ट्रायल पूर्ण करने के आदेश दिए।

दो साल से चल रहा ट्रायल

सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार उक्त घटना 1 सितम्बर 2011 की है। जिसमें 4 अक्टूबर, 2012 को अदालत ने आरोप तय किए थे। 23 जून, 2014 से अनुसूचित जाति-जनजाति मामलों की विशेष अदालत में मामले का विचारण (ट्रायल) चल रहा है। मामले में कुल 298 गवाह हैं, जिनमें से 101 गवाहों की गवाही फिलहाल हो चुकी है।