बदली सोच : दंपती अब बेटे नहीं, बेटियों को दे रहे हैं प्राथमिकता





अलवर.। पहले लोग वंश बढ़ाने व बुढ़ापे में सेवा के लिए बेटे गोद लेने को प्राथमिकता देते थे, लेकिन अब निसंतान दंपती बेटों के बजाय बेटियां गोद लेने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। एेसे लोगों का मानना है कि बेटियां घर की रौनक होने के साथ ही शादी के बाद भी माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाती हैं।
16 बालिकाओं को दिया गोद

बाल कल्याण समिति की ओर से पिछले तीन सालों में 33 बच्चे लीगल फ्री किए गए हैं। इसमें 22 बालिकाएं व 11 बालक हैं। समिति की ओर से बच्चों को लीगल फ्री करने के बाद उन्हें गोद दिए जाता है। अभी तक 25 बच्चों को गोद दिया गया है। इसमें 16 बालिकाएं व 9 बालक हैं तथा शेष रहे 8 बच्चों को गोद देने की प्रक्रिया चल रही है। इसमें भी पांच बालिकाएं हैं।
अलवर से बाहर के परिवार
बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक नवल खान ने बताया कि बच्चा गोद लेने वाले अधिकतर दंपती अलवर जिले से बाहर के हैं। इन्होंने केन्द्रीय दत्तक ग्रहण एजेंसी की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किया है। वर्तमान में दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि प्रांतों के दंपती यहां से बच्चे गोद लेकर गए हैं।
आयु के आधार पर मिलता है बच्चा
केन्द्रीय दत्तक ग्रहण एजेंसी की गाइड लाइन के अनुसार बच्चा गोद देने में आयु का महत्व ज्यादा है। बच्चा गोद लेने वाले दंपती की आयु अधिक है तो उसे बड़ा बच्चा गोद दिया जाता है, लेकिन यदि नवविवाहित दंपती निसंतान है तो उसे नवजात शिशु गोद दिया जाता है।
दूसरा बच्चा बेटी चाहिए
बेटे के साथ बेटी खेलने की ख्वाहिश पूरी करने के लिए कई दंपती दूसरी संतान को जन्म देने के बजाय निराश्रित बच्चों को गोद लेने की राह चुन रहे हैं। एेसे कई दंपती हैं जिनके पहले से ही एक बेटा है और बेटी गोद लेने के लिए आवेदन किया है।
पहले से है बेटा
दाउदपुर से आए एक दंपती ने बताया कि हमारे पहले से दो साल का बेटा है। अब हम कोई दूसरा बच्चा पैदा नहीं करना चाहते हैं। बेटे को बहन मिले और हमें बेटी, इसलिए एक बेटी गोद लेना चाहते हैं।संजय वशिष्ठ अध्यक्ष बाल कल्याण समिति अलवर ने बताया कि निसंतान दंपती अब बेटियां गोद लेने में रूचि दिखा रहे हैं, अभी तक 16 बालिकाएं गोद जा चुकी हैं। बेटियों के लिए आवेदन करने वालों की प्रतीक्षा सूची भी लंबी है। जबकि बेटा गोद लेने के लिए आवेदन कम आ रहे हैं।