बच्चों के खातिर फिर एक हुए हमसफर



श्रीगंगानगर। दोनों ने अपनी बात को मनवाने के चक्कर में दूरियां इतनी बढ़ा ली कि अदालत की शरण लेनी पड़ी। यहां भी एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप के तीर चले। सेतिया कॉलोनी के दपंती ने अपने दो बच्चों को अपने पास रखने की जिद्द करने के लिए अलग-अलग याचिका दायर कर रखी है। दोनों में कटुता बढ़ती देख फैमिली कोर्ट के विशेष जज राजेन्द्र कुमार शर्मा ने समझाइश का दौर शुरू किया।
एक-दूसरे के आरोपों को नोटिंग कर एक-एक आरोपों का बातचीत के आधार पर समाधान का रास्ता निकाला। फैमिली कोर्ट के जज के चैम्बर में लगे सोफे पर बैठे इस दंपती को जज ने एक ही सवाल किया कि आपसी खींचतान का खामियाजा बच्चे क्यों भुगते। न्यायाधीश शर्मा की पहल को दपंती ने स्वीकार कर दोनों ने अपने गिला शिकवा दूर करने का संकल्प ले लिया। दोनों घर बसाने को राजी हो गए और कोर्ट में दायर अलग-अलग चार मामले वापस उठा लिए।

मामूली अनबन अदालत की चौखट तक पहुंची
सेतिया कॉलोनी निवासी अमरपाल सोनी बीएसएफ में निरीक्षक के पद पर कार्यरत है। फिलहाल उसकी पोस्टिंग बाड़मेर में है। उसकी शादी 2 नवम्बर 2003 को बी ब्लॉक निवासी रेणु के साथ हुई। शादी के बाद दो पुत्र हुए, इसमें पहला नौ वर्षीय मनजोत और दूसरा सात वर्षीय निर्भय हुआ। पति ने आरोप लगाया कि पत्नी रेणु आजाद ख्यालात की होने के कारण अपने बीच किसी की खलल स्वीकार नहीं करती। मामूली बातों से अनबन कोर्ट की चौखट तक पहुंच गई। फैमिली कोर्ट में तलाक के अलावा भरण पोषण भत्ता देने, दाम्पत्य निर्वाह संबंधित याचिका और दोनों बच्चों को लेने के लिए रिट दायर हुई। फैमिली कोर्ट के विशेष न्यायाधीश शर्मा ने इस दंपती से लगातार समझाइश की तो दोनों घर बसाने को राजी हो गए। सोमवार को इन दोनों ने लिखित राजीनामा पेश कर सभी मामले वापस लेने की गुहार की, अदालत ने इस पर मुहर लगाने में देर नहीं की।