बाबरा में बांध बन गया मैदान



बाबरा। कस्बे में जल संकट गहराने लगा है। यहां लीलड़ी नदी पर बने बाबरा बांध का पेटा सूख चुका है। इसके चलते क्षेत्र के कुओं में भी जल स्तर घट गया है। क्षेत्र में घटते जलस्तर के कारण यहां के ग्रामीण भूमिगत जल शिराओं के साथ छेड़छाड कर रहे हैं। अवैध रूप से इन जल शिराओं में ‘साराÓ लगाकर अपने कुएं का जल स्तर बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रामीणों की प्यास बुझाने व सिंचाई के लिए 34 वर्ष पहले लीलड़ी नदी पर 133.17 एमसीएफटी भराव क्षमता वाला बाबरा बांध बनाया गया था। पिछले वर्ष मानसून की बेरुखी व बांध के जल ग्रहण क्षेत्र के ऊपरी हिस्सों में एनिकट निर्माण के कारण बाबरा बांध में पानी पैंदे में पहुंच गया है। इससे बाबरा व प्रतापगढ़ पंचायत क्षेत्र के दर्जनों गांवों के सैकड़ों कुओं का जलस्तर घटगया है। साथ ही कई कुएं भी सूख चुके हैं।
11वीं बार पैंदे में बांध का पानी

इस बांध के बनने के बाद यह चार बार ही आेवरफ्लो हुआ है। बांध 1983, 1995,1996 व 1997 में आेवरफ्लो हुआ। इस वर्ष 11वीं बार बांध का जल पैंदे में चला गया है। इससे पहले वर्ष 1985, 1986, 1987, 2004, 2006, 2008, 2009, 2010, 2011, 2013 व 2015 में बाबरा बांध पूरी तरह से सूखा था।
अप्राकृतिक रूप से हो रहा जल दोहन
बांध में पानी सूखने के बाद कुओं का जलस्तर भी घट गया है। इसके चलते अधिकांश लोग कुओं में अप्राकृतिक रूप से सारा लगाकर जल का अत्यधिक दोहन कर रहे है। इससे भू-जल विभाग के अधिकारी जल स्तर में कमी होने के साथ भविष्य में जल उपलब्धता पर चिंता जता रहे हैं।
यह है सार
कुएं का जल स्तर बढ़ाने के लिए लोग कुएं में सूख चुके पानी की प्राकृतिक शिरा (जल-धारा) को मशीन के माध्यम से चौड़ा व लम्बा कर रहे हैं। इस तरह से प्राकृतिक शिराओं से छेड़छाड करने के कारण क्षेत्र में भूमिगत जल स्तर में कमी आ रही है।
इनका कहना
कम वर्षा व बांध के ऊपरी भागों में एनीकटों के निर्माण से बांध में पानी की कमी से पेटा सूख गया है। कुओं का जलस्तर भी घट गया है। – डी.आर. सीरवी, सहायक अभियंता, जल संसाधन विभाग, जैतारण।