– दानजी स्मृति मारवाड़ भजनी पुरस्कार के लिए आवेदन 25 मार्च तक
– वीणा पर परम्परागत गायन कला को संरक्षण की दरकार, लुप्त होने से बचाने की मुहिम
लॉयन न्यूज, जयपुर। रूमादेवी फाउंडेशन तथा ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान की ओर से हर वर्ष दिए जाने वाले प्रतिष्ठित दानजी स्मृति मारवाड़ भजनी सम्मान के आवेदन की अंतिम तिथि 25 मार्च तक रहेगी। आगामी वाणी उत्सव में वीणा पर परम्परागत गायन करके एवं इस परंपरा को संरक्षण देने वाले कलाकारों को रूपये एक लाख का पुरस्कार और पांच लाख रूपए के वीणा वाद्य यंत्र भेंट करके सम्मानित किया जाएगा।

चार श्रेणी में मिलेगे पुरस्कार
फाउंडेशन की डायरेक्टर व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ रूमा देवी ने बताया कि दानजी स्मृति मारवाड़ भजनी पुरस्कार वितरण के दौरान अलग- अलग चार श्रेणी में कुल रूपये एक लाख दिए जाएंगे, जिसमें प्रत्येक कैटेगरी से चयनित कलाकार को रूपये 25 हजार की राशि दी जाएगी। इसमें नवोदित कलाकार 20 वर्ष तक, युवा कलाकार 21 से 45 वर्ष,वरिष्ठ कलाकार 45 वर्ष से ऊपर एवं वीणा भजन परंपरा के सरंक्षण के लिए विशेष कार्य करने वाले संगठन, संस्थान या व्यक्ति को पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

वीणा वाद्ययंत्र लुप्त होने की कगार पर
भक्तिकाल व आधुनिक काल की शुरुआत में वीणा हर गाँव शहर की सत्संग जागरणों की शान हुआ करता था,अब ये वाद्य यंत्र लुप्त होने की कगार पर हैं। पाँच तार वाले इस सात्विक वाद्य यंत्र से वातावरण सकारात्मक हो जाता था तथा वाणीयो की लहर गुंजती थी। वीणा लोक वाणी गायन कला का अभिन्न हिस्सा रहा है, वर्तमान में बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक वाद्य यंत्र के प्रयोग व उत्तम क्वालिटी के वीणा के अभाव तथा उचित संरक्षण नहीं मिलने के कारण वीणा बहुत कम देखने को मिलता है।

रूमा देवी ने बताया कि वर्तमान में कम होते वीणा के चलन तथा प्रोत्साहन न मिलने के कारण इसका गुणवत्ता स्तर घटता जा रहा है। अभी इसका निर्माण राजस्थान के जोधपुर जि़ले में स्थित केतु गाँव के कुछ सुथार परिवार के हस्तशिल्पी आज भी करते है लेकिन दिनों-दिन यह भी कम होता जा रहा है,जिन्हें संरक्षण देकर गुणवत्ता सुधार कर बनाने वाले हस्तशिल्पीयों के रोजगार को बढावा देने की जरूरत है।

क्या है वीणा गायकी
थार में सदियों से चली आ रही हमारी संस्कृति में वाणी गायन की परम्परा समृद्ध रही है,जो कि छुआ-छूत, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब और धार्मिक भेदभाव को मिटाने का सन्देश देती आई है। वाणी गायन मुख्यत: थार के मरुस्थल में ज़म्मा- जागरण, सत्संग इत्यादि में देखने को मिलता आ रहा है, आज के समय वीणा पर वाणीयां गाने का चलन इलेक्ट्रॉनिक बाजो के शोरगुल मे संकुचित होकर थम सा गया है।

संस्थान के सचिव विक्रमसिंह ने बताया कि थार में सदियों से चली आ रही संस्कृति में वाणी गायन की समृद्ध परंपरा रही है, दान सिंह मारवाड़ क्षेत्र के विख्यात वीणा भजन कलाकार थे। उन्होंने जीवन के अंतिम समय में भी पारंपरिक वीणा भजन परंपरा को संरक्षण देने के लिए नए कलाकारों को सिखाने का महत्वपूर्ण कार्य किया।

ऑनलाइन कर सकते है आवेदन
रूमा देवी फाउंडेशन के संयोजक गणेश बोसीया ने बताया कि पारंपरिक वाणी गायन के संरक्षण को लेकर शुरू किए गए पुरस्कारों के लिए वीणा, ढोलक एवं मंझीरे पर पारम्परिक वाणी गायन करने वाले जिले के कलाकार दानजी स्मृति मारवाड़ भजनी पुरस्कार 2023 के लिए  rumadevifoundation.org पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि 25 मार्च 2023 है। पुरस्कार व सम्मान 29 व 30 मार्च को दानसिंह की चतुर्थ पुण्यतिथि पर बाड़मेर जिले में आयोजित होने वाले वार्षिक वाणी उत्सव कार्यक्रम में प्रदान किए जाएंगे।