– दशरथ रामावत
‘पेड़ बचाओ, पर्यावरण बचाओ’ के संदेश के साथ राजस्थान सरकार बहुत अच्छा काम रही है। हरियाणी तीज के मौके पर सरकार ने एक दिन में लाखों पेड़ लगाकर जनता में यह संदेश प्रसारित करने का प्रयास किया कि पेड़ों का होना बहुत जरूरी है और यही कारण था कि इस अभियान में सरकार ने जनता को भी साथ में लिया।
पौधारोपण के मामले में बीकानेर प्रदेश में सिरमौर रहा। वहीं, टॉप रहने वाले बीकानेर में इन दिन बिश्नोई समाज पेड़ों को बचाने के लिए आंदोलन कर रहा है, जिस समाज के लोगों ने पेड़ों को बचाने की खातिर कुर्बानियां दी थी। इसी समाज के लोग पिछले कई दिनों से अपने काम-धंधे छोड़कर पेड़ों के लिए सड़कों पर उतरे हुए हैं, उनकी मांग है कि सरकार पेड़ों को काटने से रोके और जो लोग पेड़ काट रहे है उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे ।
अभी उनकी सुनवाई नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि देर-सवेर जरूर होगी। दरअसल, जिले में सोलर प्लांट्स का बाढ़ सा आ गया है, जहां खाली जमीन मिल रही है, वहां भिन्न-भिन्न प्रकार की कंपनिया बिजली उत्पादन के लिए सोलर प्लांट स्थापित कर रही है, जिसके लिए बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे है और हजारों की संख्या में अभी तक काटे जा चुके है।
इन पेड़ों को काटने से रोकने के लिए समाज के लोगों, वन प्रेमियों सहित सामाजिक संगठनों के लोगों ने अनेक बार प्रशासन से मिलकर सरकार से गुहार लगा चुके हैं, परंतु इस गुहार का असर होता नजर नहीं आ रहा। बड़ी बात यह है कि एक तरफ सरकार ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने पर जोर दे रही हैं, इसके लिए बड़ा बजट लगाकर पौधे खरीदे जा रहे है, पूरे प्रशासनिक सिस्टम को इसमें झोंका जा रहा है, यानि सरकार चाहती है कि पेड़ होंगे तो जीवन बचेगा।
वहीं, दूसरी और जिले में पिछले लंबे समय से सोलर प्लांट्स की आड़ में अंधाधूंध पेड़ों की बली दी जा रही है, उस पर सरकार का ध्यान ही नहीं जा रहा है। एक मामले में सरकार की दो मंशाए लोगों के न तो समझ आ रही और न ही रास। अगर सरकार को वास्तव में पर्यावरण को बचाना है तो पेड़ लगाने के साथ-साथ इन कटते पेड़ों को भी बचाना होगा, अन्यथा सरकार की अलग-अलग मंशाओं का असर पर्यावरण के प्रति बुरा होगा।