हस्तक्षेप

– हरीश बी. शर्मा

दो दिन पहले प्रिंसीपल सेक्रेट्री अंबरीश कुमार बीकानेर दौरे पर आए तो उन्हें पीबीएम अस्पताल में काफी अव्यवस्थाएं देखने को मिली। ट्रोमा सेंटर से लेकर एसएसबी तक उन्हें खामियां ही खामियां नजर आई। सही बात है। अगर पूरा पीबीएम अस्पताल घूमते तो और भी खामियां नजर आती। लोगों से पूछते तो ‘आई ओपनर’ खुलासे होते। लेकिन टारगेट पर थे मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य गुंजन सोनी, जिनकी मीठी-मीठी बातें खबर बनी। मीडिया में अंबरीश कुमार का यह बयान छाया रहा कि जयपुर आते तो मीठी-मीठी बातें करते हो, समस्याएं बतानी चाहिए थी।

यह भी अच्छी बात है। एक प्रिंसीपल सेकेट्री को ऐसा ही होना चाहिए। उसे मीठी-मीठी बातों नहीं आना चाहिए। अगर ऐसा उन्होंने प्राचार्य गुंजन सोनी को कहा है तो प्रकारांतर से अपनी गलती को ही स्वीकार किया है। लेकिन अब उन्होंने न सिर्फ पीबीएम अस्पताल की अव्यवस्थाओं को देख लिया है बल्कि यह भी समझ लिया है कि सुधार कहां से शुरू करने हैं।
इस बात की आस रखनी चाहिए कि जल्द ही जयपुर से ऐसे आदेश आएंगे, जिसमें पीबीएम अस्पताल की खामियों को सुधारने की दिशा में कड़े कदमों का प्रावधान होगा। अगर ऐसा होता है तो अंबरीश कुमार से ऐसी अपेक्षा है, लेकिन नहीं होता है तो यही संदेश जाएगा कि अंबरीश कुमार को भी सुर्खियों में रहने की आदत है। उन्होंने मीडिया या मीडिया के सोर्सेज के सामने ऐसा इसलिए कहा कि सुर्खियां हासिल की जा सके।

हालांकि, पीबीएम अस्पताल की अव्यवस्थाओं से नाखुश कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं चाहेगा कि अंबरीश कुमार वहां जाकर पीबीएम अस्पताल के हालात भूल जाएं। लेकिन ऐसा होता है तो यह दौरा भी पुराने सारे अधिकारियों के दौरों जैसा ही हो जाएगा।

संभाग का सबसे बड़ा पीबीएम अस्पताल लाखों लोगों के लिए आशा की किरण है। यहां आने वाले हर मरीज को यह विश्वास होता है कि उसका इलाज अच्छे से होगा। अच्छे डॉक्टर्स हैं। अत्याधुनिक मशीनें हैं और स्टाफ भी है, लेकिन यह कौन पता लगाए कि ऐसी कितनी मशीनें हैं, जो उपयोग में आने से पहले ही खराब हो गई। सिर्फ मशीनें ही नहीं डॉक्टर्स होने पर भी नहीं मिलते और सारा भार रेजीडेंट्स पर पड़ जाता है। उन पर अत्याधिक कार्यभार की वजह से चिड़चिड़ापन आता है तो अस्पताल मे विवाद शुरू हो जाते हैं।  रेजीडेंट्स के हड़ताल पर जाते ही अस्पताल की व्यवस्थाएं गड़बड़ा जाती है, जिसे वापस पटरी पर आने के लिए काफी समय निकल जाता है।

इतने बड़े और चिकित्सा संबंधी सारी सुविधाओं वाले इस अस्पताल में ऐसा कोई काउंटर या कोना नहीं है, जहां मरीजों को सही-सही जानकारियां मिल सके। ऐसे में पहचाना वाला जरूरी है और जिनके पास पहचान वाले नहीं हैं, उनके लिए लपके लगे हुए हैं।
प्रिसीपल सेक्रेट्री को चाहिए कि अब वे किसी की मीठी-मीठी बातों में नहीं आएं और अपने स्तर पर अस्पताल का सर्वे करवाए। पता तो चले कि आखिर भरमा कौन कर रहा है। भरम में रहने का कारण भी सामने आ जाएगा। यकीनन, इस अस्पताल को बहुत अधिक सुधार की जरूरत है। यह सुधार वही कर पाएगा जो सुर्खियों में रहने की बजाय जमीनी स्तर पर काम करने और जवाबदेही तय करने में कोताही नहीं बरतेगा।

‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।