• मनोज रतन व्यास

शो मैन राज कपूर के बाद एक्टर अजय देवगन फ़िल्म विधा के हर विभाग को समझने वाले आज के दौर के एकमात्र सम्पूर्ण कलाकार है। अजय देवगन की 8 मार्च को रिलीज हुई फ़िल्म ‘शैतान’ ने आश्चर्यजनक रूप से बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। अजय देवगन के साथ काम करने वाले सभी को-स्टार और अनेक निर्देशक एक बात एक सुर में सार्वजनिक रूप से कहते है कि अजय देवगन से ज्यादा सिक्योर और फ़िल्म निर्माण को बारीकी से समझने वाला दूजा कोई एक्टर इस वक्त बॉलीवुड में नही है।

अजय के प्रोडक्शन में बनी ‘शैतान’ में लीड भूमिका स्वयं अजय की नहीं बल्कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता आर माधवन की है। ‘शैतान’ टाइटल भी माधवन के कैरेक्टर पर ही बेस्ड है। बिना कोई बड़ी पी आर एक्सरसाइज और प्रमोशन के महज वर्ड और माउथ पब्लिकसिटी से ‘शैतान’ ने अपने बजट का दुगुना बिजनेस कर लिया है।

अजय देवगन न केवल इन दिनों अपने एक्टिंग करियर में बेहद बिजी है बल्कि फ़िल्म निर्माण, निर्देशन, वीएफएक्स कम्पनी, थिएटर चेन बनाने में भी मशरूफ है। हैरत नहीं होनी चाहिए कि किसी जमाने में अजय देवगन के सचिव रहे कुमार मंगत पाठक आज बॉलीवुड के बड़े फ़िल्म निर्माता है। कुमार मंगत के पुत्र अभिषेक पाठक भी अजय देवगन के मार्गदर्शन में हिट निर्देशक और निर्माता बन गए है। सनद रहे अजय की सुपरहिट मूवी दृश्यम 2 का निर्देशन अभिषेक पाठक ने ही किया था। ‘शैतान’ का निर्माण भी अजय के साथ कुमार मंगत की कम्पनी पैनोरमा स्टूडियोज ने किया है। कुमार मंगत के साथ फिल्मकार रोहित शेट्टी भी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। आज अगर कुमार मंगत या रोहित शेट्टी अजय को छोड़कर किसी दूजे स्टार के साथ कोई प्रोजेक्ट करते है तो अजय को रत्ती भर भी फर्क नही पड़ता है अपितु अजय स्वयं सामने से दोनों को अपनी कैपेसिटी में सहयोग के लिए सदा तत्पर रहते है।

अजय देवगन की फ़िल्म मेकिंग की ट्रेनिंग उनके पिता वीरू देवगन के सानिध्य में हुई है। असल में तो विशाल देवगन (अजय देवगन का रियल नाम) कभी एक्टर बनना ही नहीं चाहते थे। अजय को लड़कपन से ही कैमरे के पीछे रहने की चाहत थी। उन्नीस-बीस साल की कच्ची उम्र में बिना कोई फॉर्मल ट्रेनिंग अजय देवगन को अपनी पहली फिल्म ‘फूल और काँटे’ बिना कोई पूर्व जानकारी के यूं ही उन पर करने के लिए थोप दी गई। कुकू कोहली के निर्देशन में बनी ‘फूल और काँटे’ हर फिल्मी पंडित को हैरत में डालते हुए सुपरहिट हो गई,जबकि अजय की पहली फिल्म के सामने यश चोपड़ा जैसे दिग्गज निर्देशक की फ़िल्म ‘लम्हे’ रिलीज हुई थी। लम्हे में मिस्टर इंडिया की सुपरहिट जोड़ी अनिल कपूर-श्रीदेवी थे, फिर भी लम्हें टिकट खिड़की पर पिट गई और फूल और काँटे सुपरहिट साबित हुई।

पिछले तीन दशकों में खान तिकड़ी के पीक दौर में भी अजय देवगन के करियर की गाड़ी रफ्ता-रफ्ता चलती रही। स्वयं को हर प्रतिस्पर्धा से परे रखकर अजय ने अपने बिलीव सिस्टम को बैक किया और सदा कंटेंट पर फोकस किया। भले ही अजय की फ़िल्म हजार करोड़ का बिजनेस न करती हो लेकिन उनके फ़िल्म निर्माण और कहानी चयन का मॉडल वाकई में अनुकरणीय है।बिना एक्टिंग करें भी अजय की फिल्मी दुनिया की टकसाल सदा उन्हें धनोपार्जन करवाती रहती है।

अजय देवगन स्वभाव से अंतर्मुखी है, मीडिया से भी बहुत कम संवाद करते है। बहुत कम बॉलीवुड अवार्ड्स और फिल्मी पार्टियों का हिस्सा बनते है।अजय देवगन परफेक्ट फैमिली मैन है, फ़िल्म निर्माण के हर तकनीकी पक्ष से स्वयं दक्ष है। अजय की अपनी डगर है, अब तीस साल के अनुभव के बाद जनता की पल्स को आसानी से समझते है। दो दशक पूर्व जिस अजय देवगन ने अपने होम प्रोडक्शन की फ़िल्म “राजू चाचा” से भयंकर घाटा और आर्थिक तंगी देखी थी उसी अजय देवगन का आज हर प्रोजेक्ट शूटिंग शुरू होने से पहले ऑन टेबल प्रॉफिट में होता है। अजय फ़िल्म की डिमांड और कहानी के हिसाब से फ़िल्म निर्माण में खर्चा और कास्टिंग करते है, इसलिए ही अजय आज सफल एक्टर के साथ सक्सेसफुल बिजनेसमैन भी है। एक्टिंग और बिजनेस के साथ अजय सदा नवाचार के लिए तैयार रहते है और आज भी अपने भीतर की क्रिएटिविटी की जिंदा रखें हुए है और वक्त की मांग के अनुसार स्वयं को लगातार अपडेट भी करते रहते है।